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हरियाणा के सीएम से किया स्कूलों में एकादशी को मिड डे मील में चावल न परोसने का आग्रह

 
Haryana CM urged not to serve rice in mid-day meal on Ekadashi in schools
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 Haryana CM urged not to serve rice in mid-day meal on Ekadashi in schools
mahendra india news, new delhi

हरियाणा में सिरसा शहर के डीसी कॉलोनी निवासी नरेंद्र पारीक ने खण्ड शिक्षा अधिकारी को मु यमंत्री के नाम एक ज्ञापन देकर एकादशी को सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील में चावल न परोसने का आग्रह किया है।
पत्र की कॉपी शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार, निदेशक मौलिक शिक्षा निदेशालय पंचकूला, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सिरसा को भी प्रेषित की गई है। 


अपने पत्र में नरेंद्र पारीक ने बताया कि हरियाणा प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में केंद्र सरकार के सहयोग से मिड डे मील योजना दो दशकों से चल रही है, जिसमें बच्चों के स्वास्थय को मध्यनजर रखते हुए पौष्टिक भोजन परोसा जाता है। इस भोजन में सप्ताह में एक दिन दाल चावल का मेन्यू रखा गया है। मिड डे मील का मेन्यू सरकारी स्तर पर निर्धारित करते समय एक मानवीय भूल हुई, जिससे लाखों बच्चों और उनके परिवार जनों की धार्मिक भावना आहत होती है। एकादशी के दिन सनातनी व्यक्ति चावल खाने से परहेज करता है। एकादशी के दिन चावल खाना मांस भक्षण के समान माना गया है। 

एकादशी के दिन चावल न खाने का उल्लेख अनेक धार्मिक पुस्तकों में तो मिलता ही है, इसके साथ-साथ हमारे धर्मगुरूओं ने भी इसे निषेध माना है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति एकादशी के दिन चावल खाता है या किसी ऐसे व्यक्ति को चावल खिलाता है जिसे ये ज्ञान नहीं है कि एकादशी के दिन चावल खाने से पाप लगता है, मगर खिलाने वाले को पता है कि आज एकादशी है और चावल नहीं खाने चाहिए। फिर भी जानबूझकर या मजबूरी में खिलाता है तो नरक का भागी बनता है और अपने अगले जन्म में सरीसृप जीव के रूप में जन्म लेता है। धार्मिक व पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग किया था। उनके अंश पृथ्वी में समा गये और बाद में उसी स्थान पर चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए। इस कारण चावल और जौ को जीव माना जाता है। कथा के अनुसार जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी को चावल खाना खिलाना वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस व रक्त के सेवन के बराबर है। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि एकादशी के दिन चावल खाने से पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा जाता है । यही कारण है कि देवी देवताओं के स मान में एकादशी तिथि पर चावल का सेवन करना वर्जित है। पारीक ने बताया कि 10 मार्च को पक्ताल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी, जिसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। आज के दिन प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील में सरकारी आदेशों की पालनार्थ स्कूल मुखिया/मिड डे मील इंचार्ज ने मजबूरी में बच्चों को चावल खिलाया। इस चूक से जहां धार्मिक भावनाएं आहत हुई है, वहीं जाने अनजाने में सरकारी अधिकारी सरकारी अध्यापक, मिडे डे मील वर्कर्स व छात्र पाप के भागी बने हैं। वर्तमान हरियाणा सरकार सभी समुदाय के धार्मिक हितों की रक्षा करने वाली सरकार है। इस सरकार से ये अपेक्षा की जा सकती है कि सनातनी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुए शिक्षा महकमे को आदेश जारी करें कि जिस दिन एकादशी हो उस दिन यदि मिड डे मील के मेन्यू में चावल या चावल से बनने वाले व्यंजन है तो उसे उस दिन न बनाकर अगले दिन बनाया जाए और उस दिन कुछ और व्यंजन बनाया जाए।

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