Haryana News: हरियाणा के किसान के बेटे ने अमेरिका में गाड़े झंडे, Gold मेडल जीतकर किया प्रदेश का नाम रोशन...

यहां तक पहुंचने वाले वह पहले भारतीय एथलीट हैं। परवेज की तूफ़ान जैसी रफ़्तार देखकर लोगों के साथ साथ–साथ उद्योगपति भी प्रभावित हुए हैं। परवेज की दौड़ को देखकर महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा भी अपने आप को नहीं रोक पाए।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर परवेज की वीडियो शेयर कर उनकी जमकर सराहना की। दौड़ स्पर्धा में प्रथम आकर परवेज खान ने ओलंपिक में जगह बनाने की राह आसान कर ली है।
गौरतलब कि अमेरिका के फ्लोरिडा में आयोजित एसईसी ट्रैक एंड फील्ड आउटडोर चैंपियनशिप 2024 में मेवात जिले के चाहल्का निवासी 20 वर्षीय परवेज खान ने क्वालिफाइंग रेस में 800 मीटर को 1.48.33 मिनट में और 1500 मीटर 3.44.98 मिनट में पूरी कर फाइनल में अपनी जगह बनाई थी। जिसके बाद रविवार की रात फिर से फाइनल का मुकाबला हुआ।
1500 मीटर दौड़ के इस मुकाबले में विभिन्न देशों के 9 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें सभी को पछाड़ते हुए परवेज ने प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया, वहीं 800 मीटर स्पर्धा में तीसरे स्थान पर आकर कांस्य पदक विजेता बने। इससे पहले परवेज अंडर 16 में 800 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके है। जिसके बाद लगातार 2021–22 में परवेज नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं।
इतना ही नहीं एनसीएए ट्रैक पर भी दौड़ने वाला परवेज पहला भारतीय है, इससे पहले वहां कोई भी भारतीय क्वालीफाई नहीं कर पाया। परवेज के पिता नफीस अहमद ने बताया कि 30 जून से पहले 1500 मीटर एथलीट खिलाड़ियों की रैंकिंग निकाली जाएगी, जिसके बाद टॉप 2 खिलाडियों को ओलंपिक में जाने का मौका मिलेगा।
Pure Josh & Chutzpah…
— anand mahindra (@anandmahindra) May 11, 2024
Leaving everyone behind with ease.
I had not heard of him till I saw this clip.
But I hope his capability & his confidence is a glimpse into the future of Indian Track & Field! https://t.co/rqQJ2WbfK2
कौन है परवेज
परवेज खान एक किसान के बेटे हैं और मेवात जिले के तावडू खंड के गांव चाहल्का के रहने वाले हैं। जो अभी भारतीय नेवी में अपनी सेवाएं दे रहे है। इसके साथ ही अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ फ्लोरिडा ने परवेज की प्रतिभा को देखते हुए उसे 4 साल के लिए अपने पास रखा है, जिसमें यूनिवर्सिटी परवेज का सारा खर्चा वहन कर रही है।
1 साल का 58 लाख रुपए खर्च आता है, लेकिन पूरा खर्चा यूनिवर्सिटी वहन कर रही है। परवेज के पिता नफीस अहमद ने बताया कि परवेज को यहां तक पहुंचाने में सबसे ज्यादा उनके परिवार का सहयोग रहा है।
सेना की भर्ती के लिए शुरू किया था दौड़नासेना में भर्ती के लिए तैयारी करने की इच्छा से प्रेरित होकर परवेज ने कम उम्र में ही दौड़ना शुरू कर दिया था। अपनी प्रतिभा को पहचानते उन्होंने सफलताओं के अवसरों की तलाश की और 13 साल की उम्र में नई दिल्ली चले आए।
उन्होंने कहा कि वह मेवात क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उचित संसाधन नहीं मिलने से उनकी प्रतिभाएं बाहर नहीं आ रही हैं। बच्चों का टैलेंट यही दबकर रह जाता है।