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नरमे की फसल मे गुलाबी सूंडी से ऐसे करें बचाव, निवारण ओर सावधानी, गांव लुदेसर में किसानों को किया जागरूक

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This is how to prevent, prevent and take precautions from pink grub in Narma crop, farmers made aware in village Ludesar
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा जिले में गांव लुदेसर में कृषि विभाग द्वारा धान की सीधी बिजाई हेतु किसान जागरूकता शिविर  का आयोजन किया गया। शिविर मे किसानों को नरमे की  फसल मे गुलाबी सूँडी होने के कारण, निवारण ओर सावधानियों के बारे मे विस्तार से जानकारी दी। कृषि विकास अधिकारी डॉ शैलेन्द्र सहारण ने बताया की कृषि विभाग से बिटीएम डॉ महेंद्र सिंह, एटीएम डॉ होशियार सिंह, डॉ  रविंद्र कुमार व सुप्रीवाइजर पवन कासनिया ने विभागीय स्कीमो की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर किसान धान की सीधी बिजाई करता है तो हरियाणा सरकार किसानो को 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से किसान के खाते में सब्सिडी दी जा रही है डीसीआर  आनलाइन करवाने हेतु किसान सीएससी सेंटर पर जाकर मेरी फ़सल मेरा ब्यौरा से धान की सीधी बिजाई का फार्म भर सकते हैं जिसकी अंतिम तिथि 10 जुलाई है।

कृषि विकास अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सहारण ने नरमे की फसल पर गुलाबी सुंडी व सफेद मक्खी के नियंत्रण ओर मूंगफली व ग्वार फसल पर लगने वाली फफूद के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया की कपास की फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी फूलों व टिंडो पर करें। फलिय भागों पर 10त्न से अधिक प्रकोप इसका आर्थिक कगार है। खेत के विभिन्न हिसों से 60 फूलों की जांच करने पर अगर इन में से रॉजेटेड फूल तथा सुंडी के द्वारा नुकसान किये गए 6 फूल मिलते हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें। खेत मे अलग अलग पौधों से 20 हरे टिंडे तोड़ कर उसमें घुसी गुलाबी सुंडी को गिनो अगर इनमें दो या दो से ज्यादा सुंडियां मिलती हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें। एक एकड़ में दो फेरोमोन ट्रैप लगाएं और यदि लगातार तीन रातों में गुलाबी सुंडी के 15 प्रौढ़ (जून से मध्य अगस्त) या 24 प्रौढ़ (मध्य अगस्त से अक्तूबर) प्रति ट्रैप मिलते हैं तो गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए स्प्रे करें।

उन्होंने बताया की गुलाबी सुंडी नियंत्रण करने के लिए गुलाबी सुंडी नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों की सिफारिश
गुलाबी सुंडी के लिए 800 मिलीलीटर प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. या 900 से 1100 मिलीलीटर क्विनालफोस 20 ए.एफ. या 250 से 300 ग्राम थायोडिकार्ब 75 डब्ल्यू, पी. प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव बारी-बारी से करें। 15 सितम्बर के बाद 80 से 100 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन 25 ई.सी. या 160 से 200 मिलीलीटर डेकामेथरीन 2.8 ई.सी. को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में 10 से 12 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार स्प्रे करें।

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ये बरतें सावधानियां
कीटनाशक का छिड़काव दोपहर 12 बजे से पहले या फिर शाम के वक्त करें 
एक ही कीटनाशक का छिड़‌काव बार-बार नहीं करना चाहिए।
कीटनाशक के छिड़‌काव के बाद 24 घंटों के भीतर अगर बरसात आ जाती है तो, कीटनाशक का छिड़काव फिर से करें।
कीटनाशक का छिड़काव करते समय सावधानी रखें जैसे छिड़काव करते समय शरीर, चेहरे और आँखों का ढकना, हवा के विपरीत छिड़काव नहीं करना, इत्यादि।
कपास की बीजाई के 90-120 दिन के बीच में अण्डा परजीवी ट्राईकोग्रामा बेक्टीरिया के 60000 अण्डे प्रति एकड़ के हिसाब से छोंडें।
जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो, उस कपास को अलग चुगाई करें व अलग ही भण्डारित करें। परन्तु जिसमें गुलाबी सूंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास में विराजमान सुंड़ियो को खत्म करने के लिए अच्छी तरह से उपचारित करके भण्डारण करें।

कपास की चुनाई व छटियों/लकड़ियों की कटाई आर्थिक लाभ के हिसाब से जितना जल्दी हो सकें कर लेनी चाहिए। इसके लिए कपास की फसल में अन्तिम सिंचाई सितम्बर माह के अन्त तक अवश्य कर दें। ऐसा करने से फसल के टिण्डों को होने वाला नुकसान कम हो जाएगा।

कपास की अन्तिम चुगाई के बाद खेत में बचे अधखुले व खराब टिण्डों को नष्ट करने के लिए खेत में भेड़, बकरी आदि जानवरों को चरने दें।

कपास की लकड़ियों को छाया में खेत में इक‌_ा न करें। कपास की लकड़ियों को जमीन पर पीटें ताकि इनमे छिपे गुलाबी सुंडी के लार्वा नीचे गिर जाए और छटियों को जमीन पर लंबवत खड़ा करें।
गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों से नये क्षेत्र में कपास की छटियों/ लकड़ियों को नहीं ले जाना चाहिए।