17 जनवरी 2025 से किन प्रदेशों में होगी बरसात, कहां गिरेंगे ओले, मौसम की ताजा रिपोर्ट

माह में पिछले कई दिनों से बदलाव देखने को मिल रहा है। मौसम में कल 17 जनवरी 2025 को कैसा रहेगा। इसके लिए प्राईवेट एप स्काईमेट ने अपडेट जारी किया है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जनवरी के महीने में उत्तरी पर्वतीय राज्यों में बरसात और बर्फबारी की भारी कमी देखी जा रही है। महीने के मध्य तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 80 डिग्री, हिमाचल प्रदेश में 85 डिग्री और उत्तराखंड में 81 डिग्री की कमी दर्ज की गई है। जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ता है, इतनी बड़ी कमी को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, अभी जनवरी की शुरुआत ही हुई है और अगले हफ्ते के दौरान इन पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है।
एक सप्ताह तक बर्फबारी और बारिश:
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव अभी भी जम्मू-कश्मीर के ऊपर बना हुआ है। 18 जनवरी को एक और पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है। 20 जनवरी को एक और मौसमी सिस्टम इसके बाद आएगा। इन मौसम प्रणालियों की श्रृंखला अगले एक सप्ताह तक पहाड़ों में बारिश और बर्फबारी को बनाए रखेगी। इस दौरान मौसम की गतिविधियों (बारिश, बर्फबारी, ठंडी हवाएं) की तीव्रता और फैलाव अलग-अलग हो सकता है। 20 से 22 जनवरी 2025 के बीच मौसम गतिविधि अपने चरम पर रहने की संभावना है।
पहाड़ और मैदान दोनों होंगे प्रभावित:
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 20 से 23 जनवरी के बीच तीसरी मौसम प्रणाली का प्रभाव मैदानों में बनने वाले प्रेरित चक्रवातीय परिसंचरण के साथ होगा। ये दोनों प्रणालियां एक-दूसरे को मजबूत करेंगी और मौसम की गतिविधियों का पैमाना और कवरेज बढ़ाएंगी। इस दौरान पहाड़ और मैदान लगभग तीन दिनों तक लगातार मौसम गतिविधियों (बारिश, बर्फबारी, ठंडी हवा) का सामना करेंगे, जो अब तक का सबसे लंबा दौर होगा।
बारिश और बर्फबारी के साथ गिरेंगे ओले:
मौसम वैज्ञानिाको के अनुसार 20 से 23 जनवरी के बीच भारी बारिश और बर्फबारी के साथ कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की संभावना है। श्रीनगर, पहलगाम, सोनमर्ग, गुलमर्ग, मनाली, डलहौजी, शिमला और मुक्तेश्वर जैसे लोकप्रिय स्थलों पर बर्फबारी होगी। यह बर्फबारी इतनी ज्यादा हो सकती है कि सड़कों के बंद होने और हवाई संचालन प्रभावित होने की आशंका है। हवाई पट्टियों पर बर्फ जमने से उड़ानों पर असर पड़ेगा। पानी के स्रोत और नदियां फिर से जम सकती हैं। कश्मीर घाटी में "चिल्लई-कलां" का अंतिम चरण पहले से ज्यादा सख्त हो सकता है।