अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा बोले- वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है हिंदी का प्रभाव

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने कहा कि 10 जनवरी 1949 को भारत में राजभाषा के तौर पर अपनाई गई हिंदी भाषा का प्रभाव वैश्विक स्तर पर निरंतर बढ़ रहा है जो सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। डॉ. ढींडसा ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। यह हमारी पहचान है और हम सभी हिंदी बोलकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और यह हमारे साहित्य, कला और फिल्म उद्योग का अभिन्न हिस्सा है। हिंदी फिल्मों के माध्यम से यह भाषा न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय हुई है।
बॉलीवुड ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर एक पहचान दिलाई है। दुनियाभर में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में लगभग 44 फीसद लोग हिंदी बोलते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे देशों में भी हिंदी बोली जाती है। आजकल हिंदी का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है और विभिन्न देशों में हिंदी सीखने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि हिंदी भाषा अब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोगों के बीच संवाद का माध्यम बन गई है। डॉ. ढींडसा ने कहा कि भारत में विविधता के बावजूद हिंदी ने हमेशा एकता का प्रतीक माना है। यह भाषा हमारे राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करती है। हिंदी में संवाद करने से हम अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को आसानी से व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देशवासी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंदी को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सम्मान मिले।