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डेरा जगमालवाली में हुआ मासिक सत्संग, दुनिया सपने की तरह, नहीं किसी का पक्का ठिकाना: संत बिरेन्द्र सिंह

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Monthly satsang held at Dera Jagmalwali, the world is like a dream, no one has a permanent place: Sant Birendra Singh
mahendra india news, new delhi

मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम, डेरा जगमालवाली के संत बीरेन्द्र सिंह जी ने कहा है कि ये दुनिया किसी का भी पक्का ठिकाना नहीं है। भगवान श्री राम, पीर पैगम्बर से लेकर रावण तक सब इस दुनिया से चले गए हैं मालिक के घर से जब बुलावा आता है तो इस दुनिया को छोड़कर जाना ही पड़ता है। 
डेरा जगमालवाली में मासिक सत्संग के दौरान रविवार को संत बिरेन्द्र सिंह ने फ़रमाया कि हम सब पराये देश में बैठे हैं और सारे ही मुसाफिर हैं। एक-एक दिन करके मौत के नजदीक जा रहें हैं, इस सच्चाई को अगर हम दिल में बैठा ले तो आधी चिंताए और टेंशन कम हो जाती हैं। हम सब यहाँ बाहर का धन जोड़ने में लगे रहते हैं, असली धन नहीं जोड़ते। बड़ी बड़ी की गयी कमाई अंत समय में काम नहीं आती। सिर्फ नाम की कमाई ही काम आती है।
उन्होंने फ़रमाया कि सतगुरु संतो के रूप में यहाँ भी मदद करता है और आगे मालिक की दरगाह में भी मदद करता है, सतगुरु के नाम के बिना सब व्यर्थ है। हम सब बाहर का जो काम कर रहे है वो तो पांचो चोर(काम,क्रोध,लोभ,मोह और अहंकार) का काम है, ये चोर हमें धोखे में रखकर अपना काम निकलवा रहे हैं और हमारी स्वांस रुपी पूँजी को खा रहे हैं, लेकिन इस और हमारा ध्यान ही नहीं है। 
हमें यह विचार करना चाहिए कि हम इस जीवन में कौन सा व्यापार कर रहे है। हम सब झूठ का व्यापार करने में लगे पड़े हैं। असली व्यापार तो सिमरन करना, बंदगी करना है। हमें सत्संग जरूर सुनना चाहिए। मन हमें विचलित करता है और सत्संग से दूर करता है। बिना संतों के, बिना बंदगी के, बिना सिमरन के छुटकारा नहीं है। सारे काम सिमरन से बनने हैं। यदि हम सही रास्ते का चयन कर ले तो एक दिन हम अपनी मंजिल तक जरूर पहुँच जायेंगे और इसके लिए हमारी आस्था और श्रद्धा का सही होना बहुत जरूरी है। 
 संत ने फ़रमाया कि सत्संगियों को चाहिए कि क्रोध को कम करने की कोशिश करें। इस दुनिया में जितनी भी लड़ाई, झगडे हो रहे है ये सब क्रोध पैदा कर रहा है। प्रेम के बिना जीवन नीरस है , चाहें आप बड़ी हवेली में रहते हो, चाहे आपके पास सुख के सारे साधन हो , लेकिन अगर प्रेम नहीं तो वो सारी चीज़ें फीकी लगती है। शाही महल भी बिना प्रेम के कब्रिस्तान बन जाता है। 
उन्होंने फ़रमाया कि अगर हम अपने आपको शुन्य पर ले आयेंगे, अहंकार का त्याग कर देंगे तो सतगुरु हमारे सारे काम करने शुरू कर देगा। इस सत्संग में देश के विभिन्न राज्यों से आये हुए श्रद्धालुओं सत्संग सुनकर लाभ उठाया।