सीडीयलयू SIRSA और शोभा देवी रामानंद बंसल फाउंडेशन के बीच हुआ ऍमओयू , ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र’ की स्थापना से शिक्षा को मिलेगा नया आयाम
Mahendra india news, new delhi
चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय (CDLU), SIRSA और शोभा देवी रामानंद बंसल फाउंडेशन, SIRSA के बीच हुए एक ऐतिहासिक साँझा करार पत्र (ऍमओयू ) के तहत विश्वविद्यालय में “शोभा देवी रामानंद बंसल भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र” की स्थापना की जाएगी। शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित इस विशेष समारोह ने शिक्षा जगत में नई संभावनाओं के द्वार खोले और भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की।
इस MOU पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव प्रो. अशोक शर्मा ने हस्ताक्षर किए, जबकि फाउंडेशन की ओर से जानी-मानी शिक्षाविद एवं फाउंडेशन अध्यक्ष कुमुद बंसल ने दस्तखत किए। इस कार्यक्रम का संचालन प्रो. पंकज शर्मा, निदेशक सामुदायिक संबंध, सीडीयलयू ने किया। इस अवसर पर डॉ. संजू बाला ढुल, निदेशक भारतीय ज्ञान प्रणाली, ज्ञान प्रणाली, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर राजकुमार ,डीन यूनिवर्सिटी स्कूल फॉर ग्रेजुएट स्टडीज प्रोफेसर सुशील ,प्रोफेसर काशिफ ,डॉ मंजू नेहरा, फाउंडेशन के उपाध्यक्ष अरविंद बंसल तथा कोषाध्य्क्ष वसुधा बंसल, सिरसा एजुकेशन सोसाइटी के महासचिव सुरेश गोयल , चार्टेड अकउंटेंट संजीव जैन सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के डीन, निदेशक और विभागाध्यक्ष भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सीडीयलयू के कुलपति प्रो. विजय कुमार ने कहा कि यह ऍमओयू भारत की समृद्ध ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करने और उन्हें उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में एकीकृत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र से विद्यार्थियों को परंपरागत भारतीय मूल्यों से परिचित कराने के साथ-साथ वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक सोच का भी विकास होगा, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में और सक्षम बनेंगे।
फाउंडेशन की अध्यक्ष कुमुद बंसल ने कहा कि यह केंद्र शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण दोनों क्षेत्रों में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने इसे स्वर्गीय श्री रामानंद जी बंसल की स्मृति को समर्पित करते हुए कहा कि फाउंडेशन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और शिक्षा को एक साथ आगे बढ़ाना है। उनके अनुसार यह पहल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक सिद्ध होगी, क्योंकि उन्हें परंपरागत जड़ों के साथ आधुनिक शिक्षा का अनुभव भी प्राप्त होगा।
समझौते के तहत फाउंडेशन ने 21 लाख रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने की सहमति दी है, जिसमें से 11 लाख रूपये का चेक दिया गया । इस धनराशि का उपयोग केंद्र की स्थापना, संसाधन संवर्द्धन, शोध कार्यों, शैक्षणिक गतिविधियों और भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित कार्यक्रमों में किया जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी 2020 और यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगी।
केंद्र का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शोध और समकालीन शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ना है। यहाँ पर भारतीय दर्शन, साहित्य, कला, संस्कृति और वैज्ञानिक विरासत जैसे विषयों पर बहुविषयक अध्ययन और शोध को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही, छात्रों और शोधार्थियों के लिए डिजिटल पुस्तकालय और अध्ययन सामग्री तैयार की जाएगी। केंद्र के अंतर्गत आईकेएस आधारित नए पाठ्यक्रम विकसित किए जाएंगे, कार्यशालाएँ, संगोष्ठियाँ और सेमिनार आयोजित होंगे तथा संस्कृत भारती के सहयोग से संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा।
ऍमओयू के अनुसार, केंद्र के संचालन और विकास की निगरानी हेतु कुलपति की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति गठित की जाएगी। इसमें विश्वविद्यालय और फाउंडेशन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के बाहरी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। यह ऍमओयू दस वर्षों तक प्रभावी रहेगा और आवश्यकता अनुसार इसका नवीनीकरण किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि शोभा देवी रामानंद बंसल फाउंडेशन की स्थापना 2005 में स्वर्गीय श्री रामानंद जी बंसल की पावन स्मृति में की गई थी। तब से यह संस्था शिक्षा के प्रसार और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए निरंतर कार्यरत है। अब इस ऍमओयू के माध्यम से सीडीयलयू ने भारत की पारंपरिक ज्ञान संपदा को संरक्षित करने और छात्रों व समाज को भारतीय ज्ञान परंपराओं से जोड़ने की दिशा में एक सशक्त कदम उठाया है।
