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हरियाणा की सांस्कृतिक और भाषाई परंपरा में पंजाबी साहित्य का विशेष स्थान

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Punjabi literature has a special place in the cultural and linguistic tradition of Haryana

mahendra india news, new delhi
  चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के पंजाबी विभाग द्वारा साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से हरियाणा का पंजाबी साहित्य विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि हरियाणा की सांस्कृतिक और भाषाई परंपरा में पंजाबी साहित्य का विशेष स्थान है। पंजाबी भाषा न केवल हरियाणा की लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है, बल्कि इसने समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे की भावना को भी सशक्त बनाया है। उन्होंने इस तरह के आयोजनों को भाषा-संवर्धन एवं सांस्कृतिक संवाद का सशक्त माध्यम बताया।

इस कार्यक्रम में तीन तकनीकी सत्र रखे गये। इस कार्यक्रम को दिल्ली अकादमी के कन्वीनर प्रो. संदीप कौर के दिशा निर्देशन में प्रबंधित किया गया।
उद्घाटन सत्र की प्रधानगी प्रो. रवैल सिंह ने की। इसमें बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि बहुत संघर्ष के बाद पंजाबी अकादमी का गठन हुआ। पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया और इसे दूसरी भाषाओं के अधीन किया गया। उन्होंने दिल्ली और प्रवासी साहित्य का हवाला देते हुए अंकलिकता के नजरअंदाज होने के बारे में बताया।

इस अवसर पर साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से आए अनेक विद्वानों एवं पंजाबी साहित्यकारों ने हरियाणा में पंजाबी भाषा एवं साहित्य की स्थिति, योगदान और संभावनाएं विषय पर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने हरियाणा के पंजाबी लेखकों की रचनात्मक उपलब्धियों और समकालीन साहित्य में उनकी भूमिका पर विस्तृत चर्चा की। तीसरे सत्र का संचालन डॉ मनप्रीत ने किया। इस अवसर पर पाल कौर ने मुख्य वक्ता के रूप भाग लिया। सतनाम सिंह जस्सल, हरसिमरन रंधावा, केसरा राम, प्रिंसिपल बूटा सिंह, हरविंदर सिंह, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कुलदीप सिंह, पंकज शर्मा ने दूसरे सत्र में मुख्य मेहमान के रूप में भाग लिया।

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समापन स्तर में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुनील कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और कहा कि पंजाबी भाषा एक श्रेष्ठ भाषा है और राष्ट्र के विकास में इसका अहम योगदान है। पंजाबी विभागाध्यक्ष प्रो. रणजीत कौर ने स्वागत भाषण में संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की और साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन विभाग के प्राध्यापक गुरसाहिब सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया जबकि धन्यवाद डॉ हरदेव ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में  डॉ चरणजीत, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।