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आर.एम.पी. को मिले प्रैक्टिस का अधिकार : एलसी शर्मा

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mahendra india news, new delhi
सिरसा। आर.एम.पी. यूनियन की एक बैठक जनता भवन रोड स्थित श्री युवक साहित्य सदन में हुई। इस बैठक में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एल.सी. शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। जिला अध्यक्ष आर.एस. सैनी ने बताया कि नशा और लिंग जाँच (भ्रूण लिंग निर्धारण) सामाजिक व जानलेवा बीमारियाँ बन चुके हैं। नशा व भ्रूण हत्या पर वर्ष 1990 में दिल्ली में जागरूकता अभियान की शुरुआत करते हुए इन दोनों समस्याओं को मुख्य एजेंडे में शामिल कर संगठन ने एक नारा दिया था:


"लिंग जांच अपराध है, भ्रूण हत्या पाप है, नशा खोरी अभिशाप है, आर.एम.पी. निरपराध हैं।"
डबवाली हल्का प्रधान सुखदेव सिंह ने कहा कि संगठन ने पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियान को सुचारु रूप से चलाने का काम किया। वर्ष 2014 में, नशे की रोकथाम को लेकर एलेनाबाद से सिरसा तक के अनेक गाँवों से होते हुए 100 किलोमीटर लंबी 'हज़ारी मोटरसाइकिल यात्रा' निकाली गई थी। संगठन द्वारा नशे पर किए गए प्रयासों की प्रशंसा करते हुए, हरियाणा पुलिस के सेवानिवृत्त ए.डी.जी.पी. श्रीकांत जाधव द्वारा संगठन के सभी सदस्यों को प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) देकर सम्मानित किया गया था।

RMPs should be given the right to practice: LC Sharma


प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ओ.पी. वर्मा ने बताया कि आर.एम.पी. का रिश्ता समाज के प्रत्येक घर में परिवार के सदस्य की तरह का है और वह समाज के दुख-सुख में पूरी जिम्मेदारी के साथ भागीदारी करते हुए अपना फर्ज पूरा करता है। उसे न तो मुखबिर बनने की जरूरत है और न ही अराजकता फैलाने की। उसे समाज के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए युवा पीढ़ी को नशे से दूर करने के लिए सरकार का सहयोग करते हुए एक अच्छे नागरिक का कर्तव्य निभाने की जरूरत है। इसलिए, आर.एम.पी. यूनियन इसी एजेंडे पर काम करते हुए पिछले 40 वर्षों का सफर तय कर आगे बढ़ रही है और स्वास्थ्य सेवाएँ दे रही है।

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संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एल.सी. शर्मा ने कहा कि हरियाणा में 1973 से आर.एम.पी. के रजिस्ट्रेशन बंद हैं। 1 लाख 82 हज़ार लोग अपंजीकृत चिकित्सक के रूप में कार्य कर रहे हैं। कुछ दशक पूर्व, कांग्रेस की सरकार में सी.एम. चौधरी भजन लाल ने आर.एम.पी. को पंजीकृत करने का फैसला लिया था। इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था जिसके तहत बोर्ड की फीस के रूप में 2288 रुपये प्रत्येक आर.एम.पी. से जमा करवाते हुए करोड़ों रुपये लिए गए थे। बाद में किसी कारणवश वह फैसला स्थगित करना पड़ा। उसके कुछ वर्षों बाद, चौटाला सरकार में आर.एम.पी. की समस्या की गंभीरता को समझते हुए 'कर्मकार विधेयक' के रूप में आर.एम.पी. को प्रैक्टिस का अधिकार देने का विधेयक पास किया था, जो सरकार चले जाने की वजह से लागू नहीं हो सका।


बाद में, भाजपा की सरकार बनने के बाद कई बार पूर्व सी.एम. मनोहर लाल खट्टर से मुलाक़ात कर आर.एम.पी. की समस्या उनके सामने रखी गई। मनोहर लाल ने आर.एम.पी. की मांगों का ध्यान रखते हुए हेल्थ वर्कर बोर्ड का गठन करते हुए चिकित्सकों को प्रैक्टिस का अधिकार देने का आश्वासन दिया था जो कि आज तक लंबित है।


राष्ट्रीय अध्यक्ष एल.सी. शर्मा ने कहा कि 70 और 80 के दशक में प्रैक्टिस की शुरुआत करने वाले युवाओं की उम्र उस समय 25 से 30 साल थी और आज वे सीनियर सिटीजन हो चुके हैं। उन्होंने पूरा जीवन जनता की स्वास्थ्य सेवाओं में लगाते हुए एक अच्छे चिकित्सक व अच्छे नागरिक के रूप में जीवन व्यतीत किया है। पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों द्वारा मिले हुए ज्ञान को आधार बनाकर, मेडिकल पुस्तकों का अध्ययन करके, और बड़े-बड़े अस्पताल में 5 से 10 साल का अनुभव प्राप्त करने के बाद, आज का युवा चिकित्सक गाँवों में दूर-दराज के क्षेत्रों में, गली-मोहल्लों में, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों का, जिनके पास पैसे का अभाव होता है, पैसे की चिंता न करते हुए कम से कम खर्च में इलाज करते हुए लोगों की सेवा का कार्य कर रहे हैं।
आज, देश में बेरोजगारी की समस्या भयानक रूप ले चुकी है। ऐसे में आर.एम.पी. चिकित्सक सेवा करने के साथ-साथ स्वरोजगार के रूप में कार्य करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और रोजगार की समस्या को हल करने में सरकार का सहयोग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आर.एम.पी. को प्रतिबंधित करके और जीवन रक्षक मेडिसिन पर प्रतिबंध लगाकर सरकार जनता का कौन सा भला करना चाहती है, यह एक विचारणीय विषय है। इस पर चर्चा होना जरूरी है ताकि स्वास्थ्य सेवाओं को ध्यान में रखकर कानून बनाया जा सके।
इस मौके पर कमलेश पारीक, ओम प्रकाश, बब्बर, गुरनाम सिंह मंगला, राम कुमार, रूलिया सिंह, राम सरन सहित सैंकड़ों आर.एम.पी. मौजूद थे।