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साहीवाल जो पंजाब की नस्ल है, गीर गुजरात की नस्ल, देसी नस्ल की गाय का पालन करें किसान: साध्वी पूशा भारती

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Sahiwal is a breed of Punjab, Gir is a breed of Gujarat, farmers should rear indigenous breeds of cows: Sadhvi Pusha Bharti
mahendra india news, new delhi
सिरसा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रत्येक महीने भंडारे के रूप में साहुवाला गांव में एक कार्यक्रम किया जाता है। आज इस कार्यक्रम में आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी पूशा भारती ने भारतीय संस्कृति के धरोहर गो सेवा के बारे में संगत को प्रेरित करते हुए भारतीय संस्कृति की देसी नस्ल की गाय के बारे में बताया। 
उन्होंने कहा कि हमारे देश में भारतीय नस्ल की 37 प्रकार की गाय पाई जाती थी। साहीवाल जो पंजाब की नस्ल है, गीर गुजरात की नस्ल है, 
थारपारकर राजस्थान की, हरियाणवी ऐसे अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नस्ल हुआ करते थे। जो कि आज लुप्त हो चुकी है। हमारा समाज, हमारे किसान भारतीय नस्ल की गाय को छोडक़र पश्चिमी सभ्यता की अंग्रेजी जर्सी गाय को पाल रहे हैं। एक पशु के नाते उसकी पालना करनी अच्छी बात है, लेकिन हमारे वैज्ञानिक जो न्यूजीलैंड के हैं, जिन्होंने एक पुस्तक में लिखा है डेविल इन द मिल्क अर्थ दूध के अंदर राक्षस। उनका कहना है जर्सी गाय के दूध में एक बीसीएम 7 नाम का तत्व, जोकि इंसान की सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक है, जो जर्सी गाय के दूध में पाया जाता है। जो व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन करता है, वो अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। लेकिन जो देसी गाय का दूध है, इसमें ऐसा कोई भी हानिकारक तत्व नहीं है, जो किसी प्रकार से इंसान की सेहत को नुकसान पहुंचाता हो। 
आशुतोष महाराज ने इस चीज को देखते हुए परिवार परीव करीबन 20 वर्ष से कामधेनु गौशाला पंजाब के नूर महल से शुरू किए हैं, जिसमें अब तक पांच नस्ल की गाय का संरक्षण एवं संवर्धन पर संस्थान कार्य कर रही है और साथ में किसानों को भी दिया जा रहा है। इसी पर प्रकाश डालते हुए आज साध्वी बहन ने सभी किसानों के समक्ष देसी गाय के रखरखाव पर प्रकाश डाला और सभी को प्रेरित किया। हमारे ऋषियों का कहना है कि गाय एक ऐसा संवेदनशील प्राणी है, अगर कोई व्यक्ति बीमार है और देसी गाय का सेवा करता है, उसके शरीर को स्पर्श करता है तो देसी गाय के शरीर से निकलने वाली ऐसी सात्विक किरणें जो उस बीमार व्यक्ति की सेहत को ठीक भी करती है। मां शब्द की उत्पत्ति भी गाय से ही हुई है। कहते हंै जब गाय का बछड़ा बोलता है तो मां शब्द का आभास होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया है। मां शब्द की उत्पत्ति ऋषियों ने वहीं से की है। इसलिए भारतीय संस्कृति की धरोहर गाय का पालन सेवा प्रत्येक भारतवासियों का कर्तव्य बनता है। गौ मां की सेवा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।