गांव दड़बा कलां में श्री मद् भागवत कथा : अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो के दर पर सुदामा गरीब आ गया है...

गांव दड़बा कलां स्थित श्री कृष्ण प्राणामी गोशाला में श्री मद्भागवत कथा करते हुए कथा वाचिका गंगा मिश्रा ने श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन यानी कि विश्राम दिवस, सोमवार के दिन भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न चरित्र हुआ यह प्रद्युम्न जी कामदेव के ही अवतार थे, जब प्रद्युम्न का जन्म हुआ था तो शम्बरासुर नाम का एक दैत्य था, जिसने सुना था कि प्रद्युम्न नहीं मेरी मृत्यु का कारण बनेंगे तो उसने प्रद्युमन को सूतीका से ही अपहरण कर लिया और जैसे ही करने वाला था तब तक नारद जी ने भगवान की प्रेरणा बस कहा किसी समुद्र में फेंक दो, और धन्य है
भगवान की कृपा जिन्हें मारने के लिए समुद्र में फेका गया, वह समुद्र में से भी बच के निकल गए और उस शम्बरासुर का वध किया तो भगवान की ऐसी कृपा है जिसको सब कोई मारना चाहता है पर भगवान कृपा करें तो लाख प्रार्थना करने के बाद भी व्यक्ति ऐसे ही बच निकलता है, तभी कहा गया है की जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, जिस पर भगवान की कृपा हो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी बच निकलता है, भगवान सदैव अपने भक्तों पर कृपा करते हैं।
इसी के साथ ही कथा वाचिका गंगा मिश्रा ने कथा में बहुत ही सुंदर कृष्ण सुदामा जी की मित्रता का वर्णन कियाा, मित्र को कैसे मित्र के साथ रहना चाहिए मित्रता की परिभाषा क्या है, नीचे दुख गिरी सम रज करी जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना, जिनके अस मति सहज न आई , ते सठ कत हठी करत मिताई, अपने मित्र के दुख को ना समझ पाए उसकी मित्रता नहीं करना चाहिए,
मित्र का कर्तव्य है अपने दुख को कम समझना और अपने मित्र के दुख को बड़ा समझना, आगे कथा में बहुत ही सुंदर बृज की फूलों की होली का दर्शन हुआ। जैसे ही अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो के दर पर सुदामा गरीब आ गया है भजन के माध्यम से गुणगान किया गया। पंडाल तॉलियां की गुंज उठा। गोशाला परिसर में कथा के समापन पर हवन यज्ञ व भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गोशाला कमेटी के सदस्य व ग्रामीण मौजूद रहे।