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नई कृषि बाजार नीति के विरोध में एसकेएम हरियाणा ने डबवाली के एमएलए आदित्य चौटाला को सौंपा ज्ञापन

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SKM Haryana submitted a memorandum to Dabwali MLA Aditya Chautala in protest against the new agricultural market policy
mahendra india news, new delhi

हरियाणा में सिरसा के संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा ने नई कृषि बाजार नीति के विरोध में हरियाणा विधासभा के सदस्य और हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के चेयरमैन आदित्य देवीलाल को उनके आवास पर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और उनसे हरियाणा के किसानों के हित में इस नीति का विरोध करने की अपील की। बयान जारी करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि गत 15 फरवरी को मोर्चा की नरवाना में हुई बैठक में कृषि बाजार नीति के विरोध में सीएम और बोर्ड के चेयरमैन को ज्ञापन देने का निर्णय किया गया था इसी कड़ी में बोर्ड चेयरमैन और विधायक आदित्य देवीलाल को उनके चौटाला आवास पर ज्ञापन दिया गया, 


जिसके माध्यम से उनसे इस नीति का विरोध करने और हरियाणा में इसे लागू न करने की अपील की गई। किसान नेताओं ने आगे कहा कि जिन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  किसान आंदोलन हुआ था, उन्हीं प्रावधानों को लागू करने के लिए नई कृषि बाजार नीति का ड्रा ट 25 नव बर 2024 को जारी कर दिया गया, जिसमें प्राइवेट, ऑनलाइन ई नाम मंडियों को स्थापित करने की जोरदार सिफारिश है। ये नीति कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को लागू करने की बात करता है, जिससे छोटे व मंझौले किसान उजड़ जाएंगे यह ड्रा ट निजी कंपनियों को थोक में खरीद और थोक में भंडारण की इजाजत देता है। इससे साइलो और बड़े भंडारों में असीमित भंडारण द्वारा मनमर्जी से खाद्यान्नों के भाव निर्धारित होंगे और खाद्य सुरक्षा छिन्न-भिन्न होगी। 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी निष्प्रभावी हो जाएगी। इस ड्रा ट में कंपीटीशन के नाम पर किसान को अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने की छूट जैसी थोथी बात है। यदि कंपीटिशन करना है तो निजी कंपनियों को वर्तमान में मंडी में जाकर खरीदने से कौन रोक रहा है। इस ड्रा ट में जीएसटी की तर्ज पर ही राज्यों के कृषि मंत्रियों की एक राष्ट्रीय कमेटी गठित करने का प्रस्ताव है। जीएसटी काउंसिल में गैर भाजपा राज्यों के साथ खुला भेदभाव हो रहा है और वे सार्वजनिक तौर पर लगातार विरोध कर रहे हैं। इस नीति से यह स्पष्ट है कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) की सिफारिश के अनुरूप ही उदारीकरण के नाम पर भारतीय कृषि और कृषि व्यापार को कॉरपोरेट पूंजी के लिए खोलने का एजेंडा है। ये नीति किसानों की वास्तविक समस्याओं को जिसमें एमएसपी पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी देने, किसानों मजदूरों की कर्जा मुक्ति करने एबिजली कानून को रद्द करनेएबीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने आदि मुद्दे की तरफ  कोई ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए ही 4 जनवरी को टोहाना और 9 जनवरी को पंजाब के मोगा में किसान महापंचायत करके इस नीति का बड़े पैमाने पर विरोध करने का निर्णय किया गया। ज्ञापन देने के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल में डा. सुखदेव ज मू, कंवरजीत सिंह, जोगेंद्र नैन, बाबा गुरदीप, सुमित दलाल, राजीव मलिक, तेजेंद्र सिंह, सुखविंदर, कुलदीप ढांडा, मेहर सिंह, प्रहलाद सिंह आदि शामिल रहे।

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