सिरसा सीडीएलयू में राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस पर विशेष व्याख्यान: जनसंपर्क मात्र पेशा नहीं, यह जुनून है: सुनित मुखर्जी

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Special lecture on National Public Relations Day at Sirsa CDL University: Public relations is not just a profession, it is a passion: Sunil Mukherjee
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा में स्थित चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व जनसंपर्क निदेशक एवं मास कम्युनिकेशन विभाग के शिक्षक  सुनित मुखर्जी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रकारिता विभागाध्यक्ष प्रो. सेवा सिंह बाजवा ने की और कहा की आज के डिजिटल युग में जनसंपर्क जनहित को जागरूक करने, सामाजिक बदलाव लाने और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Special lecture on National Public Relations Day at Sirsa CDL University: Public relations is not just a profession, it is a passion: Sunil Mukherjee
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता  का स्वागत सीडीएलयू के जनसंपर्क निदेशक डॉ. अमित सांगवान ने किया और बताया कि यह कार्यक्रम कुलपति प्रो. नारसीराम बिश्नोई के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा की जनसंपर्क महज सूचना के आदान-प्रदान का माध्यम नहीं, बल्कि यह संगठन और समाज के बीच विश्वास की मजबूत कड़ी है। यह सकारात्मक छवि निर्माण के साथ-साथ जनता और संस्था के बीच पारदर्शिता, संवाद और सहभागिता को भी प्रोत्साहित करता है।

बत्तौर मुख्य वक्ता  बोलते हुए  सुनित मुखर्जी ने कहा, "पीआर (जनसंपर्क) एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि एक पैशन है। यदि आप पीआर में आना चाहते हैं तो आपके अंदर पैशन, पॉजिटिव एटीट्यूड, परसुएसिव कम्युनिकेशन और परसीवरेंस इन एफर्ट्स होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि वह स्वयं पीआर में 'डिफॉल्ट' से आए, लेकिन अब यह उनका प्रेम और सेवा का माध्यम बन चुका है।मुखर्जी ने बताया कि जनसंपर्क को जनहित से जोड़कर सामाजिक-सामुदायिक विकास और राष्ट्र निर्माण का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि "जनसंपर्क सिर्फ जीवन यापन का साधन नहीं, यह जनकल्याण का सशक्त माध्यम है।उन्होंने बताया कि भारत में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस मनाया जाता है क्योंकि 1968 में इसी दिन नई दिल्ली में पहला अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 'प्रोफेशनल एप्रोच' विषय पर चर्चा हुई और 'कोड ऑफ एथिक्स' को अपनाया गया।
डिजिटल युग में जनसंपर्क की भूमिका पर बोलते हुए मुखर्जी ने कहा कि आईसीटी और सोशल मीडिया ने पीआर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं उत्पन्न की हैं। उन्होंने कहा कि आज का पीआर केवल प्रेस विज्ञप्तियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, ब्रांडिंग, इवेंट मैनेजमेंट, और सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों से जुड़ चुका है।डॉ रवींदर ने उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों और अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षकगण एवं गणमान्य अतिथि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस अवसर पर धीरज , ज्योति तथा विक्रम ने वक्ता  से सवाल पूछे जबकि चिराग ने इवेंट को कवर किया। 

 

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