सिरसा श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में पांडुलिपियों एवं लिपि पर परा पर विशेष व्याख्यान आयोजित

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Special lecture on Para on manuscripts and scripts was organized in Sirsa Shri Sanatan Dharma Sanskrit College
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा में स्थित श्री सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, सिरसा में पांडुलिपि: प्राचीन लिपियों का उद्भव, विकास एवं लिपि पर परा का सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य विषय पर एक ज्ञानवर्धक एवं विशेष व्या यान का आयोजन किया गया। इस शैक्षिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित डा. राकेश कुमार (विख्यात पांडुलिपि विशेषज्ञ एवं संस्कृतविद) ने गहन और विस्तारपूर्वक अपने विचार प्रस्तुत किए। डा. राकेश कुमार ने बताया कि पांडुलिपियां न केवल भारत की प्राचीन बौद्धिक परंपरा की प्रतीक हैं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर भी हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक अनेक प्रकार की लिपियां विकसित हुई, जिनमें ब्राह्मी, शारदा, नागरी, कूटलिपियां प्रमुख हैं। 


उन्होंने इन लिपियों के उद्भव, क्षेत्रीय विस्तार और उनके उपयोग की विधियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि आज के डिजिटल युग में पांडुलिपियों का संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन यदि हम इन प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण एवं गहन अध्ययन करेंए तो यह न केवल हमारी संस्कृति को संजोने का कार्य होगा, बल्कि विश्व पटल पर भारत की ज्ञान परंपरा को पुन: स्थापित करने में भी सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर प्रधान एडवोकेट सुरेन्द्र बंसल, प्रबंधक सनातन धर्म सभा सिरसा, बजरंग पारीक, सचिव सुरेश वत्सय, केके शर्मा, महेश भारती तथा महाविद्यालय के प्राचार्य गणेश शंकर उपस्थित रहे।


 श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के प्रधान एडवोकेट सुरेन्द्र बंसल ने अपने स्वागत भाषण में डा. राकेश कुमार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे व्या यानों से छात्रों को भारतीय परंपरा, भाषा और लिपि विज्ञान की समझ में गहराई मिलती है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन गणेश शंकर द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य गणेश शंकर एवं वरिष्ठ आचार्यगण विक्रम, गौतम तथा पुष्पा आचार्य सहित बड़ी सं या में छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।

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