गाँव मिठनपुरा में हुई शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी, बेटी ही लक्ष्मी- एक अलग पहल
mahendra india news, new delhi
आजकल खर्चीली शादियों के दौर में गाँव मिठनपुरा में हुई शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। गाँव के साधारण किसान श्री हरी सिंह भांभू ने अपने बेटे डॉ आकाशदीप की शादी बिना दान दहेज की है।आजकल एक रुपया एक नारियल की तो बहुत शादियां हो रही हैं परन्तु श्री हरी सिंह ने इससे भी आगे सोचते हुए शादी की सभी रस्मों में किसी भी प्रकार का लेनदेन नहीं किया।
पुत्रवधू के रूप में डॉ नवोदिता कड़वासरा को लक्ष्मी के रूप में गृहप्रवेश करवाकर समाज में फैली दहेज की कुप्रथा को बंद करने की ओर एक अनूठा कदम उठाया है। श्री हरिसिंह भांभू ने बताया कि यदि समाज लड़की की शिक्षा पर किए गए खर्च को ही दहेज समझे तो बेटियां ना तो बोझ समझी जाएंगी बल्कि शिक्षित भी हो जाएगी।एक शिक्षित बेटी दो परिवारों को शिक्षित करती है।
शादी समारोह में यह निर्णय चर्चा का प्रमुख विषय बना रहा। वर पक्ष ने कहा कि शिक्षा और नैतिक संस्कार ही परिवार की असली संपत्ति है, न कि दिखावे के लिए लिया जाने वाला दहेज।
दहेज प्रथा से होने वाली सामाजिक समस्याओं को देखते हुए भांभू परिवार की यह पहल समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है। इस कदम से न केवल दोनों परिवारों ने आपसी प्रेम और समानता को बढ़ावा दिया है, बल्कि समाज को यह प्रेरणा भी दी है कि यदि दहेज मुक्त विवाह की सोच हर घर में विकसित हो जाए तो दहेज प्रथा स्वतः ही समाप्त हो सकती है।
स्थानीय लोगों ने इस निर्णय का हृदय से स्वागत किया और नवदंपत्ति को शुभाशीष देते हुए कहा कि ऐसे प्रयास ही समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं। भांभू परिवार की इस अनूठी पहल से निस्संदेह समाज में दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ नई सोच और जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा।
