Ekadashi: कृष्ण पक्ष की पद्मिनी एकादशी तीन साल बाद 29 जुलाई को

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कृष्ण पक्ष की तीन साल बाद आने वाली पद्मिनी एकादशी इस बार 29 जुलाई को यानि शनिवार को है। इसका विशेष महत्व भी है। इस व्रत से वर्षभर की एकादशियों का पुण्य मिल जाता है। आपको ये भी बता दें कि पुरुषोत्तम मास में की पहली एकादशी होने से इसे पुरुषोत्तमी भी कहा जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि चतुर्मास में अधिक मास में होने वाली एकादशी भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से मिलने वाला पुण्य अक्षय होता है। वहीं, सावन में खासतौर से भगवान विष्णु की आराधना करने का भी विधान शिव और विष्णु पुराण में बताया है।
सिरसा के ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की तीन साल बाद पद्मिनी एकादशी इस बार 29 जुलाई को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास करने से ही हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
भगवान विष्णु के माह में होने से ये व्रत और भी खास हो जाता है।
आपको ये भी बता दें कि इस एकादशी के दौरान ग्रंथों में इस व्रत को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण माना गया है। ब्रह्मांड पुराण में तो ये भी कहा गया है कि मलमास की एकादशी पर उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही नियम और संयम से रहने पर भगवान विष्णु खुश हो जाते हैं। इसी के साथ साथ अन्य पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत से बढक़र कोई यज्ञ, तप या दान नहीं है।
इस एकादशी पर व्रत का और भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत करने वाले इंसान को सभी तीर्थों और यज्ञों का फल मिल जाता है। जो इंसान इस एकादशी पर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की पूजा और व्रत करता है। इससे जाने-अनजाने में हुए हर प्रकार के पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसा इंसान हर तरह के सुख भोगकर भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है।