goodbye stress: मानव मन इस दुनिया में सुख और शान्ति ढूंढता हुआ थक गया है ब्रह्माकुमारी पूनम

सिरसा के ब्रह्माकुमारीज़ आनन्द सरोवर में चल रहा है अलविदा तनाव शिविर 

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सिरसा के ब्रह्माकुमारीज़ आनन्द सरोवर में चल रहा है अलविदा तनाव शिविर 

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हरियाणा के सिरसा में ब्रह्माकुमारीज़ आनन्द सरोवर में चल रहे अलविदा तनाव शिविर में जे सी डी विद्यापीठ के महानिदेशक डा. कुलदीप ढींढसा ने चौथे सत्र में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान डा. कुलदीप ढींढसा ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के सम्पर्क में आने से अदभुत शांति और खुशी का अनुभव होता है यहां सिखया जाने वाला राजयोगा मेडिटेशन हमें शारीरिक और मानसिक दोनो प्रकार से स्वस्थ बनाता है इसका मैंने भी अपने जीवन में अनुभव किया है, यही कारण है कि मैं 80 वर्ष की आयु में भी सारे कार्य कुशलता से कर पाता हूं। । उन्होंने कार्यक्रम के दौरान हुई अलौकिक अनुभूति को भी सबके साथ सांझा किया और मेडिटेशन के अभ्यास को अपने जीवन का हिस्सा बनाने की भी सबको प्रेरणा दी।  

मानव मन इस दुनिया में सुख और शान्ति ढूंढता हुआ थक गया 
अलविदा शिविर की मुख्य वक्ता बीके पूनम बहन ने कहा कि मानव मन इस दुनिया में सुख और शान्ति ढूंढता हुआ थक गया है। उसे तलाश है ऐसे स्त्रौत की ’ाहां से उसे स्थाई सुख और शांति मिले। इसकी प्राप्ति का एकमात्र ठिकाना स्वंय ईश्वर ही है। परन्तु परमात्मा का सत्य परिचय न होने के कारण यह तालाश पूर्ण नहीं हो पा रही है।


उन्होंने कहा कि आज विश्वभर में परमात्मा के लिए कोई कहते है कण-कण में भगवान है, कोई कहते सबके अन्दर है, कोई तो कहते है भगवान है ही नहीं, कोई कहते है ईश्वर एक है, जब इस तरह की अनेक मतें हो जाती है तब ईश्वर को इस धरा पर स्वंय आना पड़ता है अपना सत्य परिचय देने के लिए। परमात्मा पिता के बताए परिचय अनुसार वो एक महा’योति है जो परमधाम में निवास करती है, इस ’योति का वास्तविक नाम शिव है, जिसके लिए गायन है कि ईश्वर शिव है, सत्य है और सुन्दर है। 

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अब हमें उनका वास्तविक परिचय पाकर उनसे अपना आत्मिक संबंध जोडऩा है क्योंकि उनके साथ आत्मिक रिश्ता जुडऩे पर हमारा मन शक्तिशाली बनता है और हमारे में सबके लिए सद्भाव उपजने लगता है जो वर्तमान समाज में अति आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने परमात्मा के बारे में विभिन्न धर्मों में कही गई बातों को एकसार में लाते हुए परमात्मा के ’योतिबिन्दू स्वरूप को सभी के समक्ष स्पष्ट किया।  

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