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HARYANA MEWS, डेरा जगमालवाली में पूज्य मैनेजर साहिब जी और वकील साहिब जी की बरसी पर विशाल भंडारा और सत्संग सम्पन्न, श्रद्धालुओं ने लिया नाम सुमिरन व सेवा का लाभ

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HARYANA MEWS, A huge feast and satsang was organized at Dera Jagmalwali on the death anniversary of Pujya Manager Sahib Ji and Vakil Sahib Ji, devotees took advantage of Nam Sumiran and Seva
कालांवाली : डेरा जगमालवाली में पूज्य मैनेजर साहिब जी एवं पूज्य वकील साहिब जी की पुण्यतिथि (बरसी) के उपलक्ष्य में दो दिवसीय सत्संग व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालु ने सत्संग सुनकर लाभ उठाया | इस आयोजन से पूर्व 29 जुलाई से 1 अगस्त तक डेरा में 85 घंटे की सिमरन क्लास( मैडिटेशन) लगाईं गई थी 
 

  संत बिरेन्द्र सिंह जी ने सत्संग में पूज्य मैनेजर साहिब जी और पूज्य वकील साहिब जी के जीवन की उदाहरण देकर संगत को बताया कि सच्चे संत किस तरह बिना दिखावे के सेवा और सिमरन करते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में दिखावे से हटकर नाम के साथ जुड़ना ही सच्चा धर्म है। सतगुरु का नाम ही सच्चा सहारा है | दुनिया के मोह से हटकर आत्मा को जानना और भगवान से जुड़ना ही सच्चा जीवन है।'

उन्होंने फ़रमाया कि इंसान के जीवन का अंतिम उद्देश्य आत्मा का उद्धार है, और इसके लिए नाम सुमिरन ही सबसे बड़ा साधन है। नाम ही जीवन का सच्चा सहारा है , बाकी यहाँ की सब चीजे तो नश्वर है | उन्होंने बताया कि जब इंसान दूसरों से तुलना करता है, तो वह भीतर से खोखला हो जाता है। जो अपने हिस्से में संतोष करता है, वह सुखी रहता है। जो दूसरों की अच्छाई देखकर खुश होता है, वही भीतर से विशाल होता है।

संत ने संगत को समझाया कि शिकायतें छोड़कर स्वीकार करना सीखें। यह आत्मिक भक्ति है और यह बाहर के भजन से कहीं बड़ी होती है। जो प्रभु की हर लीला को स्वीकार करता है, वह वास्तव में आत्मा से जुड़ता है। आगे ऊन्होने संगत को समझाया कि बाहर कुछ मिलने वाला नहीं है , जितना बाहर ढूंढ़ने का प्रयास करोगे उतने ज्यादा दुःख मिलेंगे | उन्होंने कहा कि तेरे घर के अन्दर अमृत बरस रहा है पर हमारा मन इस बात को हमें मानने नहीं देता | इस बात को भी मानने नहीं देता कि सतगुरु हमारे अंग-संग है | 

उन्होंने बताया कि इंसान अक्सर किस्मत को दोष देता है, पर असल में हमारे कर्म ही हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं। अगर सोच, बोलचाल, और आचरण सुधरे — तो जीवन अपने आप बदलता चला जाता है। पूज्य महाराज जी ने जोर देकर कहा कि जब तक इंसान खुद को कुछ समझता रहेगा, वह ईश्वर को नहीं समझ पाएगा। दीनता ही सच्चा पूंजी है। जीवन छोटा है, समय बहुत कीमती है। महाराज जी ने कहा कि पुराने झगड़े, ताने ये सब आत्मा पर धूल की तरह जम जाती हैं। जब हम माफ करके भूल जाते हैं, तो हमारी आत्मा फिर से उजली और हल्की हो जाती है।  इसे दुनिया के झमेलों में मत गवाओ। रोज़ थोड़ा वक्त नाम के लिए निकालो। यही असली अमानत है, बाकी सब मिट्टी है।

उन्होंने कहा कि दिखावटी भक्ति, ऊँचे बोल और बनावटी व्यवहार से कुछ नहीं होता। संतोष, मौन और अंतर की प्रार्थना ही सच्चे नाम सुमिरन की पहचान है | उन्होंने कहा कि 24 घंटो में से कम से कम 2 घंटे सतगरू के लिए जरूर निकालने चाहिए और सिमरन करना चहिये | उन्होंने कहा कि अगर हम रोज़ाना प्रभु का नाम लें, उसे आदत बना लें — तो धीरे-धीरे मन शांत हो जाता है और आत्मा का रास्ता साफ़ दिखाई देने लगता है।

संत बिरेन्द्र सिंह में फ़रमाया कि चाहे कितनी भी पूजा कर लो, किताबें पढ़ लो, व्रत रख लो — जब तक सच्चे गुरु की रहनुमाई नहीं मिलती, आत्मा भटकती रहती है। जो आज का दिन भगवान की याद में जिएगा, सेवा में बिताएगा — वही इस जीवन की कीमत जान पाएगा। वरना जीवन ऐसे ही बीत जाएगा और अंत में हाथ कुछ नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि कोई कितना धार्मिक दिखता है, इसका कोई महत्व नहीं; असली धर्म उस इंसान में होता है जो भीतर से साफ़, सच्चा और दयालु हो।