शिव के प्रति रखो अटूट आस्था, बेल पत्र सभी बीमारियों की औषधि, शिवलिंग पर चढ़ा बेलपत्र उठाकर धोने के बाद फिर चढ़ा देना लाखों गुना पुण्य मिलेगा: पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज

हरियाणा के सिरसा में स्थित श्री तारा बाबा कुटिया में सीहोरवाले कथावाचक-आध्यात्मिक गुरू पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज ने कहा कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया एक लोटा जल और एक बेलपत्र सारे दुखों का नाश करता है, बेलपत्र में योगशक्ति है, शिव शक्ति है। शिवलिंग पर चढ़ाया गया बेलपत्र उठाकर उसे धोकर फिर से शिवलिंग पर चढ़ा देना, ऐसा करने से 26000 नदियों में स्नान करने, गंगासागर में स्नान करने, 12 ज्योर्तिलिंग पर जल चढाऩे, चारों धाम की यात्रा से मिलने वाले पुण्य से लाख गुना पुण्य मिलता है। एक बेल पत्र का दान सवा मन सोना दान करने से भी हजारों गुना बड़ा है। बेल पत्र सभी बीमारियों की औषधि है। शिव के प्रति अटूट आस्था होनी चाहिए।
प्रदीप मिश्रा महाराज मंगलवार को श्री बाबा तारा जी कुटिया परिसर में आयोजित श्री गुरू शिव पुराण कथा के दूसरे दिन देशभर से आए श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। सबसे पहले पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज, गोपाल कांडा, गोबिंद कांडा और परिवारजनों ने पूजा अर्चना की। कांडा बंधुओं ने पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज जी से आशीर्वाद लिया। गोपाल कांडा ने कथा स्थल पर पहुंचे सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। गोबिंद कांडा और उनकी धर्मपत्नी सरिता कांडा ने व्यासपीठ पर विराजमान पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज से आशीर्वाद लिया। कथा में गोबिंद कांडा के समधि कानपुर के प्रख्यात ज्वैलर्स राजेंद्र अग्रवाल और दीपा अग्रवाल अग्रवाल सपरिवार मौजूद थे।
ओम नम: शिवाय का जाप करने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि साधु, संत, तपस्वी जिस धरा पर बैठकर भगवान शिव का अखंड जाप करते, पूजन करते है वो धरा कभी साधारण नहीं हो सकती। श्री बाबा तारा जी ने इस भूमि पर भक्ति की है। संत का जन्म विश्व कल्याण के लिए होता है। जो सच्चे मन से शिव का स्मरण करता है उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि माता-पिता, संत, गुरूजन और भगवान के भक्त की पहचान उसके जीते जी नहीं होती उसके जाने के बाद पता चलता है कि जीवन में उनका क्या महत्व था।
उन्होंने कहा कि संत और बसंत एक जैसे है, संत के जीवन में आने से जीवन बदलता है तो बसंत के आने से प्रकृति बदलती हैं। जो समय भक्ति में दिया जाता है वह कभी व्यर्थ नहीं जाता, उसका लाभ जरूर मिलता है। उन्होंने कहा कि जिससे प्रेम करो उससे धन की चाह मत करो, प्रेम केवल समय चाहता है, प्रेम की सबसे बड़ी कीमत समय ही होता है। शिव भक्ति और गुरू भक्ति में दिया समय काल भी आगे बढ़ा देता है। व्यक्ति को पता होना चाहिए कि कोई उसका मालिक भी है जो हर संकट से उसे बाहर निकाल लेगा। यह भी होना चाहिए की मेरा परमात्मा और मेरा गुरू मेरे साथ है। भगवान शिव के 21 अवतार हुए है। उन्होंने कहा कि एक्टर का बेटा एक्टर नहीं बन सकता अगर बन भी गया तो उसमें उसके पिता जैसे गुण नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि किसी के जैसा मत बनों खुद को ऐसा बनाओं की लोग आप जैसा बनना चाहे।
उन्होंने कहा कि सब लोग एक ही बात कहते है कि - जैसी बेटी है वैसा हमें दामाद दे दो, बेटी है राधा, कृष्ण जैसा दामाद दे दो
यानि बेटी के लिए सुंदर, गुणवान, संस्कारवान दामाद चाहिए पर कोई बहु के बारे में ऐसा नहीं सोचता, बहु में हजार कमियां निकालकर उसे कोसा जाता है, बहु भी किसी की बेटी है उसकी मां ने भी ऐसे दामाद की कल्पना की होती जैसा आपने की है। अच्छा यहीं है कि आप जैसा दामाद का सम्मान करते हो ठीक वैसा ही सम्मान बहु का भी करना चाहिए। जिस दिन बहु को बेटी जैसा सम्मान दे दिया घर स्वर्ग बन जाएगा। उन्होंने कहा कि शिवपुराण में कही पर इस बात का उल्लेख नहीं है कि शिव लिंग पर सोने और चांदी के बेलपत्र चढ़ाने से ज्यादा लाभ या पुण्य मिलता है, शिवपुराण में 24 हजार श्लोक है कही भी ऐसी बात नहीं मिलती, ये सब खाने- कमाने का चक्कर होता है। इससे बचना चाहिए और केवल और केवल बेलपत्र ही चढ़ाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सात दिन की शिवपुराण कथा के श्रवण का लाभ तीन माह बाद मिलेगा और ऐसा मिलेगा कि सोचा भी न होगा। व्यासपीठ के बेल पत्र में इतनी शक्ति होती है कि सारे असाध्य रोग चुटकियों में ठीक हो जाते है। ऐसे अनेक पत्र पढक़र सुनाए जिन्होंने एक लोटा जल चढ़ाकर और बेलपत्र का सेवन किया और सारे रोग दूर हो गए। उन्होंने कहा कि लोगों के भीतर से भ्रम को दूर करना उसे बाहर निकालना ही शिवपुराण है। घर में शिवलिंग की स्थापना की जरूरत नहीं होती, नरमदेश्वार का नाम लेकर रख देना। उन्होंने कहा कि सीहोर धाम में मिलने वाला रूद्राक्ष कभी खराब नहीं होता और सारे रोग-संकट दूर करता है। उन्होंने कहा कि सीहोर धाम में रूद्राक्ष महोत्सव का आयोजन होगा, उन्होंने उसमें गोपाल कांडा और गोबिंद कांडा को भी आमंत्रित किया।
श्री बाबा तारा जी कुटिया में 51 बेल वृक्ष वाली वाटिका स्थापित है। वेल वृक्ष के नीचे तप करने से सारे संकट दूर हो जाते है, पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस बेल वृक्ष के नीचे तप किया जाता है वह सूखने लगता है क्योंकि वह साधक के सारे पाप अपने पर ले लेता है। ऐसा ही तुलसी के पौधे के साथ भी होता है। उन्होंने कहा कि घर के दरवाजे पर और शिवालय में एक एक घी का दीपक जलाने से कर्ज से छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि कितने भी परेशान हो पर आत्महत्या का विचार मन में मत लाना, भगवान शंकर के घर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ा देना सारी परेशानी दूर हो जाएगी।
बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था कुटिया की ओर से
बाहर से करीब 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं, जिनके ठहरने के लिए सिरसा की विभिन्न धर्मशालाओं में ठहरने की व्यवस्था की गई है और कुछ के लिए कुटिया के मुख्य गेट के समीप की गई है। इन श्रद्धालुओं के लिए सुबह-शाम भोजन की व्यवस्था की गई है, श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए चार ऑटोमेटिक चपाती मशीने लगाई गई है। पीने के पानी के लिए समुचित प्रबंध किया गया है। एक और टयूबवैल लगाया गया है। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए कुटिया में चप्पे चप्पे पर सेवादार तैनात किए गए है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।