खाटू श्याम बाबा: खाटू श्याम जी को क्यों कहा जाता है सेठों का सेठ, खाटू श्याम बाबा की आरती
Khatu Shyam Baba: Why is Khatu Shyam Ji called the Seth of Seths, Aarti of Khatu Shyam Baba

राजस्थान के सीकर जिले में बाबा खाटू श्याम के अंदर हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। भंयकर गर्मी हो या कड़ाके की ठंड बाबा के भक्तों का हमेशा आना जाना लगा रहता है। हारे के सहारे बाबा खाटू श्याम का डंका देश के साथ विदेशों में भी बज रहा है. कहते हैं कि खाटू श्याम जी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं, जो भी द्वार पर आता है, उसको खुशियां ही खुशियां मिलती है। आज हम आपको बताएंगे कि खाटू श्याम जी को सेठों का सेठ क्यों कहा जाता है.
खाटू श्याम जी को सेठों का सेठ' इसलिए कहते हैं क्योंकि वे अपनी उदारता और सहायता करने की क्षमता के लिए पूरे विश्व में पूजे जाते हैं. भक्तों का कहना है कि खाटू श्याम जी हमेशा हारे हुए का सहारा बनते हैं और उनकी सहायता बाबा हमेशा करते हैं।
खाटू श्याम जी को उनके भक्त उदार और मददगार मानते हैं, बाबा अपने भक्तों की हर संभव मदद करते हैं और उन्हें दुख से बाहर निकालते हैं।
खाटू श्याम बाबा की आरती ..........
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
जो ध्यावे फल पावे, सब दु:ख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्त-जन, मनवांछित फल पावे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।।
ओम जय श्री श्याम हरे.. बाबा जय श्री श्याम हरे।।