home page

भगवान शिव: सावन पर 72 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग, इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

 | 
Lord Shiva: Rare coincidence after 72 years on Saavan, worship Lord Shiva with this method
mahendra india news, new delhi

सावन माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस माह में शिव भक्तपूजा करते हैं। इस वर्ष 22 जुलाई दिन सोमवार से सावन शुरू होंगे। सावन शुभारंभ प्रात: 05:37 से सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है जबकि इसका समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को होगा। इसके साथ ही सोमवार, प्रीति योग और आयुष्मान् योग का संयोग भी बन रहा है। 

ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि सावन में ग्रह-नक्षत्रों का कई अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस सावन माह को बहुत ही शुभ बना रहा है। इस पूरे 29 दिनों तक शिव भक्त महादेव की आराधना व पूजन कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकेंगे।


उन्होंने बताया कि इस सावन में ग्रह-नक्षत्रों का कई अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस सावन को बेहद शुभ बना रहा है। वैदिक पंचाग के मुताबिक, सावन माह में इस बार चार शुभ संयोग बन रहे है। करीब 72 वर्ष बाद इस अद्भुत संयोग सावन में देखने को मिल रहा है। 
इस वर्ष सावन माह में 5 सोमवार है अर्थात पूरे 29 दिनों तक शिव भक्त महादेव की आराधना व पूजन कर सकेंगे। 

इस विधि से करें शिव-पूजा
भगवान शिव की पूजा सावन में करने के लिए स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। 

इसी के साथ ही गंगाजल और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। बाद में प्रभु को धूप, बेलपत्र, भंग, अक्षत, धतूरा, दीप, फल, फूल, चंदन अर्पित करें। फिर आवास के मंदिर में घी का दीपक जलाएं। अब सावन माह सोमवार व्रत की कथा सुनें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। ॐ
 नम: शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।

WhatsApp Group Join Now

भगवान भोलेनाथ की पूजा में क्या न करें
आपको बता दें कि भगवान शिव की पूजा करने के दौरान भूलकर भी उन्हें नारियल या नारियल पानी अर्पित नहीं करना चाहिए। क्योंकि नारियल को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. 

जब आप भोलेनाथ की आराधना करें तो गलती से भी सिंदूर या कुमकुम न चढ़ाए. ये सब चीजें सुहाग की निशानी होती हैं, जबकि भोलेनाथ आदियोगी हैं, ऐसे में इन चीजों के अर्पण से वे नाराज हो सकते हैं। 

 

इसी के साथ ही आपको बता दें कि चाहे सावन हो या कोई और माह, उसमें भगवान शंकर की पूजा करते समय तुलसी की पत्तियों का प्रयोग करना वर्जित है। असल में तुलसी को मां लक्ष्मी का पर्याय माना जाता है, इसका भोलेनाथ को अर्पण करने से फायदे के बजाय नुकसान हो जाता है। 

इसी के साथ ही आपको बता दें कि धार्मिक विद्वानों के अनुसार भगवान शिव की स्तुति के दौरान उन्हें केतकी या कमल के फूल नहीं चढ़ाएं. ये दोनों ही फूल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रिय माने जाते हैं। इसके बजाय उन्हें सफेद रंग के फूल अर्पित कर सकते हैं। 

नोट: ये सामान्य जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।