home page

सिरसा में डेरा जगमालवाली के नए उत्तराधिकारी महात्मा बीरेंद सिंह लॉ की पढ़ाई करने के साथ सूफी गायक भी हैं, जानिए महात्मा बीरेंद सिंह के बारे में

 | 
 सिरसा में डेरा जगमालवाली के नए उत्तराधिकारी महात्मा वीरेंद्र सिंह लॉ की पढ़ाई करने के साथ सूफी गायक भी हैं, जानिए महात्मा वीरेंद्र सिंह के बारे में
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के SIRSA के डेरा जगमालवाली लंबे समय से फेमस है। इस डेरा के प्रमुख वकील साहिब के निधन के बाद गद्दी को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। लेकिन अब महात्मा बीरेंद सिंह को गद्दी सौंपने के बाद विवाद को खत्म करने की कोशिश की गई है। 
इसी बीच सभी लोग महात्मा बीरेंद सिंह के बारे में जानना चाहते हैं। 
हमें मिली जानकारी के अनुसार, बीरेंद सिंह ढिल्लो मूल रूप से हरियाणा के जींद जिले के गांव डहोला के रहने वाले हैं। जिनको जन्म वर्ष 1978 में हुआ, जब वह महज 13 वर्ष के थे, तो डेरा जगमालवाली में आ गए। वर्ष 1993 में डेरे में आने के बाद वह 3 वर्ष बाद 1996 में संत वकील साहब से मिले और अपनी शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ सत्संग में ध्यान रखने लगे।

महात्मा बीरेंद सिंह ढिल्लो सूफी गायक भी हैं और उन्होंने कई गाने भी गाए हैं, इसके बाद में महात्मा बीरेंद सिंह के मन में ख्याल आया कि बाहरी दुनिया कुछ नहीं रखा है और इसलिए वह सतसंग के मार्ग पर चलेंगे, हालांकि, उन्होंने इसके दौरान स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई भी की, लेकिन वह संतों की भक्ति और सेवा भाव में लगे रहे। यही वजह है कि महात्मा वीरेंद्र सिंह ने शादी भी नहीं की


डेरे की कमानज्लाल डायरी में क्या था
आपको बता दें कि डेरा के प्रमुख स्व. संत महात्मा वकील चंद बहादुर साहिब के भाई शंकर लाल ने बताया कि महात्मा बीरेंद सिंह ढिल्लो को डेरे के ट्रस्ट की ओर से पगड़ी दे दी गई है, लेकिन जब तक जांच नहीं होगी, तब तक वह ना तो सत्संग करेंगे और ना ही नाम दान देंगे. हालांकि डेरे के संचालन की कमान उन्हीं के पास है। 

WhatsApp Group Join Now

ये है विवाद
आपको बता दें कि सिरसा जिले में कालांवाली के समीप 300 वर्ष पुराना कालावाली डेरा मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली है। इसके मुख्य संत वकील चांद बहादुर साहिब का इसी 31 जुलाई 2024 को निधन हो गया था और इसके बाद डेरे की गद्दी को लेकर दो पक्ष में विवाद हो गया था। इसके बाद में विवाद बढ़ता देख हरियाणा सरकार में एक दिन के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया था। इसके बाद में इसी 9 अगस्त को महात्मा बीरेंद सिंह को डेरे की कमान सौंपी गई है। उन्हें पगड़ी पहनाई गई।