Nirjala Ekadashi: जून में इस दिन है निर्जला एकादशी, निर्जला एकादशी का क्या महत्व

इस साल में जून महीने के अंदर दो एकादशी पड़ रही हैं, अपरा और निर्जला एकादशी, ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि अपरा एकादशी कृष्ण पक्ष और निर्जला एकादशी की तिथि शुक्ल पक्ष में पड़ती है। दोनों तिथियों का अपना-अपना महत्व है। निर्जला एकादशी पर जल दान का बहुत ही बड़ा ही महत्व है। इस दिन सभी जल दान जरूर करें।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। इसकी शुरुआत सोमवार यानि 17 जून की सुबह 4.43 बजे से हो रही है। निर्जला एकादशी समापन मंगलवार, 18 जून को सुबह 6.24 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार एकादशी 18 जून को ही मनाई जाएगी। पारण 19 जून बुधवार को सुबह 8 बजे तक होगा।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एकादशी का महत्व और पूजा विधि।
निर्जला एकादशी का क्या महत्व है
आपको बता दें कि निर्जला एकादशी के दिन बिना अन्न जल के पूरे दिन भक्त उपवास करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जिंदगी में खुशहाली आती है और दौलत-शोहरत बढ़ती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से हर तरह के दुख-दर्द मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों की अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को बैकुंठ में स्थान मिलता है।
एकादशी की पूजा विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें.
2. पूर्व दिशा में चौकी पर पीला आसन बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर रखें.
3. दीपक प्रज्ज्वलित कर पूजन की शुरुआत करें.
4. भगवान को तुलसी की पत्तियां, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, फल और गंगाजल चढ़ाएं.
5. व्रत कथा पढ़कर आरती करें और भोग लगाएं.