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सिरसा के प्राचीन श्री शनि धाम में शनैश्चरी अमावस्या पर्व पर शनिदेव जी की पूजा, हवन यज्ञ, भंडारा, तेल अभिषेक व संकीर्तन कार्यक्रम इस दिन

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On the occasion of Shanishari Amavasya festival, worship of Shanidev ji, havan yajna, bhandaara, oil abhishek and sankirtan program will be organized at the ancient Shri Shani Dham in Sirsa on this day
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसा में स्थित नोहरिया बाजार स्थित प्राचीन श्री शनि धाम में शनिवारी अमावस्या (29 मार्च) यानि शनैश्चरी अमावस्या के अवसर पर शनैश्चरी अमावस्या पर्व का आयोजन किया जाएगा। शनैश्चरी अमावस्या पर्व की तैयारियों को लेकर श्री शनिदेव मंदिर चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों के द्वारा बैठक की गई। जिसमें निर्णय लिया गया कि शनैश्चरी अमावस्या 29 मार्च को है , इस उपलक्ष्य में शनिधाम में शनिदेव जी की पूजा, हवन यज्ञ, भंडारा, तेल अभिषेक व संकीर्तन कार्यक्रम आयोजन किया जाएगा।

मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारी आनंद भार्गव, चंद्रमोहन भृगुवंशी ने बताया कि शनिवार के दिन अमावस्या होने पर शनैश्चरी अमावस्या होती है। भगवान शनिदेव जी की पूजा में शनैश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। नवग्रहों के राजा, भाग्य विधाता शनिदेव जी तथा नवग्रहों की कृपा का अद्भूत अवसर है। उन्होंने बताया कि इस बार 29 मार्च को शनैश्चरी अमावस्या है। इस उपलक्ष्य में श्री शनि धाम में शनिदेव जी की पूजा, हवन यज्ञ, भंडारा तथा तेल अभिषेक कार्यक्रम होगा। श्रद्धालु शनैश्चरी अमावस्या को अपने हाथों से शनि शिला पर तेल अर्पण कर सकेंगे और शनि जी का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। वर्णनीय है कि शनि शिला पर विशेष अवसरों पर ही सीधे तेल चढ़ाने की अनुमति है, सामान्य दिनों में तेल इलेक्ट्रिक सिस्टम से अर्पित किया जाता है।  

अद्भूत शनि दरबार जहां हैं एक साथ शनिदेव के 11 रूप, 250 वर्ष पुरानी हाथी पर सवार प्रतिमा है अद्भूत
नोहरिया बाजार स्थित प्राचीन शनिधाम नगर में प्राचीन देवालयों में से एक है। करीब 250 वर्ष पुराने इस मंदिर में भगवान शनिदेव की हाथी पर सवार प्रतिमा है जो पश्चिम मुखी है तथा सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली है। श्रद्धालुओं के सहयोग से इस प्राचीन मंदिर के जीणोद्धार के बाद इसे भव्य रूप प्रदान किया गया है। मंदिर में शनि देव जी का शिला स्वरूप विराजमान है, जिस पर श्रद्धालु सरसों का तेल अर्पित कर शनि व नवग्रह जनित पीड़ा को शांत करने की प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही यहां शनिदेव जी के नौ अलग अलग वाहनों पर नौ स्वरूप स्थापित किए गए हैं जो राशियों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। मंदिर में नवग्रहों के स्वरूप भी विराजमान है जो नवग्रह पूजन को पूर्ण करते हैं। पूरे मंदिर को महल की भांति बनाया गया है जिसमें सफेद रंग के पत्थर व टाइल्स का प्रयोग किया गया है जो मन को असीम शांति देने वाले हैं। मंदिर प्रांगण में शनिदेव जी के गुरु महादेव भगवान शंकर, शनि के सखा हनुमान जी के साथ साथ मां दुर्गा दरबार, बाबो सा भगवान तथा अयोध्यापति भगवान राम का दरबार है जो अति मनोहारी है। 

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