तप से होती है कर्मों की निर्जरा – जैन साध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी, वंदना जैन और रानी जैन के अठाई व्रत की मेंहदी रस्म आयोजित

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Penance leads to the purification of karmas – Mehndi ceremony of Athai Vrat of Jain Sadhvi Sarvagya Prabha Ji, Vandana Jain and Rani Jain was organized
mahendra india news, new delhi
कालावाली, जैन धर्म में चतुर्मास का समय आत्मिक साधना, तपस्या और संयम का विशेष पर्व माना जाता है। इसी पावन अवसर पर कालावाली स्थित एसएस जैन सभा के तत्वावधान में आयोजित चतुर्मासिक प्रवचन में जैन साध्वी सर्वज्ञ प्रभा जी महाराज एवं साध्वी नमिता जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक संदेशों से आलोकित किया।

गुरु जितेन्दर कैलाशवती दरवार मे साध्वी श्री सर्वज्ञ प्रभा जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा, तप से कर्मों की निर्जरा होती है । यही तप हमें जीवन में पुण्य का उदय कराता है और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर करता है।उन्होंने फर्माया कि जैन दर्शन में तप और संयम को आत्मा की शुद्धि का मूल साधन माना गया है। केवल उपवास करना ही नहीं, बल्कि मन, वचन और काय से संयमित रहना ही सच्चा तप है।

प्रवचन के दौरान साध्वी नमिता जी ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि चतुर्मास आत्मचिंतन और आत्मसाधना का अनुपम अवसर होता है। इस समय में हमें जीवन की दिशा को मोक्ष की ओर मोड़ना चाहिए।
इस अवसर पर वंदना जैन और रानी जैन द्वारा किए गए आठ उपवास एवं अठाई व्रत की विशेष सराहना की गई। उनके समर्पण और आस्था को देखते हुए सभा में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत वातावरण निर्मित हो गया।
कार्यक्रम के अंतर्गत मेंहदी रस्म का भी आयोजन हुआ, जो अठाई व्रत की पूर्णता के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी। मेंहदी रस्म ने कार्यक्रम में एक उत्सवमयी रंग भर दिया। इस अवसर पर जैंन महासाध्वी द्वार भक्ति गीतों के साथ जैन शारदालुओ को तप करने कि प्रेरणा दी। 

एसएस जैन सभा के प्रमुख पदाधिकारियों ने बताया कि चतुर्मास के इन पावन दिनों में प्रतिदिन प्रवचन, सामायिक, स्वाध्याय एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। साध्वी श्रीजी की प्रेरणा से युवाओं एवं महिलाओं में धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
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सभा के प्रधान संदीप जैन ने बताया कि इस वर्ष चतुर्मास विशेष रूप से तप और त्याग के संकल्पों से ओतप्रोत रहेगा। कई श्रद्धालुओं ने उपवास, आयंबिल और नवकारसी जैसे व्रतों का संकल्प लिया है। कार्यक्रम का संचालन सभा के महासचिव राकेश जैन द्वारा किया गया।

साध्वी श्रीजी के प्रवचनों ने सभी को आत्ममंथन और संयम की राह पर चलने की प्रेरणा दी।
अंत में सभा के अध्यक्ष ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, साध्वीश्री के सान्निध्य में यह चतुर्मास हमारे लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना रहेगा। हम सभी को इस दौरान धर्म के प्रति जागरूकता और आत्मसुधार की ओर अग्रसर होना चाहिए।
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