राजस्थान के गोगामेडी में जाहरवीर गोगा जी के मेले को लेकर तैयारियां शुरू, इस तारीख से शुरू होगा विशाल मेला

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हरियाणा की सीमा के साथ लगाते गोगामेडी में 9 अगस्त 2025 से मेला शुरू शुरू होगा। राजस्थान के धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पवित्र स्थल गोगामेड़ी में उत्तरी भारत के सबसे बड़े सांप्रदायिक सोहदर्य के प्रतीक गोगामेड़ी मेले को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। इस गोगामेडी में पशु मेला भी लगेगा।
जाहरवीर गोगा जी का जन्म भादो मास में नवमी को माना जाता है, जिसे गोगा नवमी कहते हैं। इसलिए पूरे भादो मास गोगामेडी में मेला लगता है यहां पर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल सहित देश के दूर-दूर के प्रदेशों व विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं।
ये मेला 9 अगस्त से शुरू होगा और सितंबर माह तक चलेगा। सबसे बड़ा गोगा नवमी को लगेगा। गोगा जी के भक्त गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह करते हुए पहले गुरु गोरखनाथ के धूणें पर जाकर नमन करते हुए फिर गोरक्ष गंगा में स्नान करने के बाद 3 किलोमीटर तक पैदल चलकर कनक दंडवत गोगामेडी में जाहरवीर की समाधि पर धोक लगाते हैं, व सजदा करते हैं।
मंदिर में समाधि बनी हुई है यहां पर मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु नारियल, खील, पतासे, नारियल, नीली ध्वजा, सोने व चांदी के छत्र इत्यादि चढ़ावा चढ़ाते हैं।
आपको बता दें कि जाहरवीर की समाधि पर धोक लगाने के बाद श्रद्धालु रानी सीरियल, माता बाछल, नाहरसिंह पांडे, भज्जू कोतवाल, रत्तना हाजी, सबल सिंह बावरी, केसरमल, जीत कौर, श्याम कौर, व भाई मदारण की समाधियों पर भी नमन करते हैं।
गोगामेडी स्थल में 158 एकड़ भूमि आरक्षित है। जिस का रखरखाव देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार के अधीन है। मंदिर में हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्मों के पुजारी हैं । भादो मास में ही गोगामेडी में उत्तर भारत का सबसे बड़ा ऊंट मेला लगता है।
आपको बता दें कि यहां पर देश के कोने-कोने से ऊंट व्यापारी व किसान पहुंचते हैं यह मेला पशुपालन विभाग राजस्थान सरकार के सौजन्य से आयोजित किया जाता है । गोगामेडी मेला परिसर में क्षेत्र में भादो मास में गोगा जी का रात्रि जागरण होता है । भक्तों को गोगा जी की घोट व छाया आती है। तो भक्त अपने आप को लोहे की जंजीरों से पीटने लगते हैं।