home page

दिवाली मनाने को लेकर असमंजस में लोग, वरिष्ठ वास्तु व ज्योतिष विशेषज्ञ डा. पुनीत गोयल ने किया समाधान

 | 
People are confused about celebrating Diwali, senior Vaastu and astrology expert Dr. Puneet Goyal provided the solution
mahendra india news, new delhi

दीपावली पर्व का समय नजदीक आ गया है। इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के मन में संशय बना हुआ है की दिवाली 31 अक्टूबर को मनाएं या 1 नवंबर को। दिवाली की तारीख को लेकर लोगों के मन में वहम की स्थिति इसलिए भी बनी हुई है, क्योंकि कार्तिक मास की तिथि एक दिन की बजाय दो दिन पड़ रही है। दिवाली की तिथि को लेकर मन में चल रही दुविधा को दूर करने के लिए सिरसा शहर के वरिष्ठ वास्तु व ज्योतिष विशेषज्ञ डा. पुनीत गोयल ने लोगों की इस दुविधा को दूर करते हुए बताया कि हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है। 

इनमें उदया तिथि का और भी महत्व होता है। हिंदू धर्म में व्रत त्यौहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है। उदया तिथि का अर्थ सूर्य उदय के समय जो तिथि होती है, उसको ही महत्व दिया जाता है। इस तर्क से कुछ लोग उदया तिथि को महत्व देते हुए दिवाली 1 नवंबर को मानना ज्यादा अच्छा मान रहे हैं, परंतु दिवाली पर लक्ष्मी पूजन हमेशा प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि के बीच में पढऩे वाली कार्तिक अमावस्या के दौरान होता है। इसलिए दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जानी चाहिए।

वैदिक शास्त्र के नियम:
उन्होंने बताया कि शास्त्र में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन हमेशा अमावस्या तिथि के रहने पर और प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से लेकर देर रात तक करने का विधान होता है। यानी अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिताकाल के मुहूर्त में दीवाली मनाना शुभ माना गया है। इसी कारण जिस दिन कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि रहे, तो प्रदोष काल से लेकर आधी रात को पूजन करना और दीपावली बनाना ज्यादा शुभ व शास्त्र सम्मत रहता है। ऐसी धार्मिक मान्यता भी है की मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में ही हुआ था, जिसके चलते निशीथ काल में मां लक्ष्मी की पूजा की और उनसे जुड़े सभी तरह की साधना आदि करने का विशेष महत्व होता है।

WhatsApp Group Join Now


लक्ष्मी पूजा मुहूत:र्
डा. गोयल ने बताया कि इस बार दिवाली पूजन का समय 31 अक्टूबर को शाम 6.25 से लेकर रात 8.20 तक रहेगा, गृहस्थ लोग इसी दौरान लक्ष्मी पूजन करें। इस समय लक्ष्मी की पूजा करने से मां लक्ष्मी स्थिर रहती है। मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करना अति उत्तम रहेगा। प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघडिय़ा को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मी पूजन को शाम 6.25 से लेकर शाम 7.13 का समय अति सर्वोत्तम रहेगा, कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा।