श्रीकृष्ण लीला महोत्सव: श्रीकृष्ण की लीलाएं समाज में देती हैं प्रेम की संदेश : पंडित भारत भूषण जी महाराज

हरियाणा के सिरसा में श्री श्याम बगीची परिवार द्वारा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय श्रीकृष्ण लीला महोत्सव का भव्य आगाज़ हुआ। श्री वृंदावन धाम से पधारे पंडित भारत भूषण जी महाराज ने अपने मुखारबिंद से श्रीकृष्ण की लीलाओं का गुणगान किया।
इससे पहले जनता भवन से एक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, इसमें श्री श्याम बगीची परिवार के सदस्य महिला, पुरूष एवं बच्चे श्री श्याम प्रभु के झंडे हाथ में लिए श्री श्याम प्रभु के जयकारे लगाते हुए तथा श्याम के भजनों पर थिरकते, नाचते-गाते क थास्थल श्री श्याम बगीची धाम में पहुंचे।
कमेटी सदस्यों द्वारा कथा वाचक पंडित भारत भूषण जी महाराज का भव्य एवं गर्मजोशी से स्वागत किया गया। बता दें कि कथा 14 अप्रैल तक प्रतिदिन सायं 3 बजे से 6 बजे तक होगी। कथावाचक पंडित भारत भूषण जी महाराज ने श्री श्याम बगीची में आयोजित तीन दिवसीय श्रीकृष्ण लीला महोत्सव के प्रथम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि कथा एवं सत्संग जीवन जीने की कला सिखाती है। कथा सुनने से मन को शांति मिलती है। पीड़ा से मुक्ति मिलती है एवं सच्चे सुख का मार्ग प्रशस्त होता है।
भारत भूषण ने कहा कि श्रीकृष्ण की लीलाएं समाज में प्रेम की संदेश देती हैं । समाजिक सद्भाव व शांति तथा आपसी भाईचारा के लिए कथा एवं सत्संग जरूरी हैं। कथा श्रवण से कष्ट दूर होते हैं। ईश्वर को पाने के लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है। वो तो सभी जगह विराजमान हैं। कथा श्रवण से सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि कथा का लाभ वक्ता से ज्यादा श्रवण करने वाले को मिलता है। क था मनुष्य के देहिक, देविक एवं भौतिक तीन तापों का हरण कर लेती है। ज्ञान कर्म और भक्ति इन तीन मार्गो पर चलकर मनुष्य संसार रूपी भव सागर को पार कर ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।
इन मार्गों में भक्ति का मार्ग सबसे सरल व सहज है। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने लीलाओं के माध्यम से आदर्श को स्थापित किया जो आज के दिन भी अति प्रासंगिक हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि कलयुग में भागवत कथा का श्रवण मात्र से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है । कर्म को सबसे बड़े धर्म की संज्ञा दी गई है। भगवान शंकर ने कर्म फल दायक को संरक्षित कर रखा ।
उन्होंने कहा कि मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसमें सोचने एवं समझने की चेतना होती है। इस जीवन में अच्छे कर्म कर प्राणी हमेशा के लिए जन्म मृत्यु से मुक्ति पाकर परमधाम को प्राप्त कर सकता है। पंडित भारत भूषण महाराज ने कहा कि मनुष्य को चाहिए कि वह मानव धर्म की रक्षा करते हुए सच्चे मार्ग पर चलें। काम क्रोध लोभ मोह का त्याग कर ईश्वर की ओर ध्यान देना चाहिए।
भारत भूषण ने कहा कि सत्संग एवं कथा में तालियां बजाने से हाथ की लकीरें बदल जाती हैं और नाचने पर 84 लाख योनियों में नहीं नाचना पड़ता । उन्होंने कहा कृष्ण की लीला इतनी अपरम्पार है कि उसकी लीलाओं को समझना सबके बस में नहीं उनके प्यार की भूख खत्म ही नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है । महोत्सव के दौरान कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से जहां माहौल कृष्णमय बनाया वहीं श्रद्धालुअ्रों की जमकर वाहवाही बटोरी। राधा ऐसी भई श्याम की दीवानी .... कांहे तेरी आखियों में पानी ...कृष्ण दीवानी, मीरा श्याम दीवानी से कर मानों कृष्ण के राधा प्रेम को दिखाया वहीं मीरा के कृष्ण प्रेम को प्रस्तुति से श्रोताओं को जोड़ दिया। अब मैं शरण तिहारी आई...लाखो लाज गीरिधारी ने पूरे माहौल को मानों कृष्ण पर स्थिर कर रख दिया।
कान्हा थोड़ा सा प्यार दे, चरणों में बैठा के तार दे, कान्हा बंसी बजाय...राधा दौरी चली आए पर भी भक्तजन खूब झूमे। इस अवसर पर श्री श्याम बगीची धाम के मुख्य सेवक पवन गर्ग, हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान हीरा लाल शर्मा, चौधरी देवीलाल गउशाला के प्रधान जोगिन्द्र कुमार नागपाल, पंकज सर्राफ, रमेश गंभीर, राजेश मित्तल, मोनू मक्कड़, बंटी अरोड़ा, मुकेश जैन, अश्वनी कुमार, विजय मेहता, महेंद्र गोयल, राकेश बांसल, सुरेश बांसल, मोनू वधवा, रवि फुटेला, राजवीर, धीरज गोयल, पवन सिंगला, राहुल मेहता, मुकेश गोयल, नरेन्द्र भार्गव, अशोक कुमार सहित तमाम श्री श्याम बगीची परिवार की महिलाएं, पुरूष, बच्चे एवं शहर के अनेक भक्तजन मौजूद रहे।