सिरसा में श्री शिव पुराण कथा: भगवान शिव को क्रोध सृष्टि का कल्याण करने के लिए आता है:पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज

हरियाणा के सिरसा में श्री तारा बाबा कुटिया में सीहोरवाले कथावाचक-आध्यात्मिक गुरू पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज ने कहा कि श्री शिव पुराण कथा के प्रथम दिन देशभर से आए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भगवान शिव को क्रोध सृष्टि का कल्याण करने के लिए आता है और जब गुरू को क्रोध को आता है तो वह शिष्य के कल्याण के लिए आता है, शिव वो गुरू है जिन्होंने पूरे विश्व के कल्याण का लक्ष्य रखा हुआ है। शिव का स्मरण करने मात्र से सभी सुख हासिल होते है, शिव लिंग पर एक लोटा जल और बेलपत्र चढ़ाने और बाद में बेल पत्र का जल के साथ सेवन करने से सारे रोग दूर होते है पर शिव के प्रति आस्था होनी चाहिए।
प्रदीप मिश्रा सोमवार को श्री बाबा तारा जी कुटिया परिसर में आयोजित श्री गुरू शिव पुराण कथा के प्रथम दिन देशभर से आए श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। कथा से पूर्व कुटिया परिसर में कलशयात्रा निकाली गई जो कथा स्थल पर आकर संपन्न हुई और वहां पर पवित्र कलश स्थापित किए गए। साथ ही पूर्व गृहराज्यमंत्री गोपाल कांडा, उनकी धर्मपत्नी सरस्वती कांडा शिवपुराण गं्रथ सिर पर विराजकर कथा स्थल पर लेकर आए जहां पर पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज ने विधिवत रूप से पूजन करवाया।
इसके साथ ही गोबिंद कांडा, सरिता कांडा, संगीता कांडा, धवल कांडा, नंदिता कांडा, धैर्य कांडा, सुशीला कांडा नारंग,हर्षा कांडा, संस्कृति कांडा और परिवार के अन्य सदस्यों ने पूजन किया। इस मौैके पर गोपाल कांडा ने कहा कि सिरसा और हरियाणा का परम सौभाग्य है कि हम आपको (पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज) अपने बीच पाकर प्रसन्न है। आपके मुखारबिंद से कथा श्रवण कर जनता का कल्याण होगा। उन्हें जो कुछ भी मिला है वह बाबा के आशीर्वाद से ही मिला है। इस पावन अवसर पर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा महाराज ने भगवान शिव और श्री बाबा तारा जी का स्मरण करते हुए ओम नम. शिवाय का जाप करवाया। उन्होंने कहा कि बाबा तारा जी और भगवान शिव की भूमि तारकेश्वर धाम में पहले कथा बहुत हुई पर शिवपुराण कथा दूसरी बार हो रही है। उन्होंने कहा सिरसा संत-महात्माओं की भूमि है जहां पर देवता भी संतों का दर्शन करने आते हैं। इस पवित्र भूमि पर गुरू नानक देव जी, गुरू गोबिंद सिंह जी के चरण पड़े हैं। संतों, भगवंत और शंकर को पहचानना कठिन है।
माता-पिता की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं
उन्होंने कहा कि जब तक माता पिता जिंदा है उनकी खूब सेवा करो, सेवा करने से जब उनका आशीर्वाद मिलता है तो परमसुख मिलता है, गुरू का आशीर्वाद तो मरने के बाद भी मिलता है। उन्होंने कहा कि माता पिता के मरने के बाद उनके फोटो पर फूल चढ़ाने और आरती करने से कल्याण होने वाला नहीं हैं। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि पर भगवान शिव का विवाह नहीं हुआ उनका विवाह तो वैशाख शुक्ल पंचमी को हुआ था, शिवरात्रि पर पृथ्वी पर पहले शिवलिंग का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को अपनी जन्मतिथि न पता हो वह शिवरात्रि को अपना जन्मदिन मानकर मना सकता है।
व्रत धारण करने वाले को पैर नहीं छुआने चाहिए
उन्होंने कहा कि अगर किसी ने व्रत धारण किया हुआ है तो उसे पैर छुआने से बचना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति उसके पैर छूता है व्रत का सारा पुण्य उसके खाते में चला जाता है। उन्होंने कहा कि बहन, बेटी से कभी पैर नहीं छुआने चाहिए हो सके तो दोनों के पैर छूकर आशीर्वाद लो। उन्होंने कहा कि आपको सभी देवी देवताओं के चरण दिखते है पर शिव लिंग के चरण कभी नहीं दिखाई देते क्योंकि शिवलिंग के चरण ही नहीं होते हैं।
जो शिव की भक्ति धारण करता है उस पर उनकी कृपा होती है
उन्होंने कहा कि जो भी भगवान शिव की भक्ति करता है उस पर उनकी कृपा जरूर होती है। उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों की तुलना शिवालय से नहीं होती, मंदिर में भगवान स्थापित रहते है जबकि शिवालय में से शिव निकल कर और नंदी पर सवार होकर अपने भक्तो से मिलने जाते हैैं। उन्होंने कहा कि गुरू की बात पत्थर की लकीर होती है। शंकर पर भरोसा होना चाहिए। उन्होंने कथा के दौरान कई ऐसे मरीजो का विवरण प्रस्तुत किया जिनका शिवलिंग पर एक लोटा जल और बेलपत्र चढ़ाने और बेलपत्र का सेवन से केंसर दूर हो गया, संतानसुख हासिल हुआ और एक मरीज को 25 साल बाद रोशनी नसीब हुई।
गुरूद्वारा होता है गुरू का द्वार
उन्होंने कहा कि गुरूद्वारा गुरू का द्वार होता है जो परमात्मा के करीब पहुंचाता है गुरू के दरवाजे पर जा रहे हो तो लंगर ग्रहण करना या न करना पर सेवा जरूर करना, सेवा करने से देने का भाव पैदा होता है और जिस दिन भाव पैदा हो गया उसका कल्याण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सेवा करने वालों को ही मेवा मिलती है पर आज की युवा चाबी लेने के लिए ही माता पिता और सास ससुर की सेवा करते हैं। उन्होंन कहा कि शिव पुराण कथा उन्हीं को नसीब होती है जिन्हें भगवान शिव डमरू बजाकर बुलाते है, जहां भी जगह मिले वहंी बैठकर कथा का व्रण करना चाहिए। बाद में आरती का आयोजन किया गया। कांडा परिवार ने भगवान शिव और श्री बाबा तारा जी की आरती की।