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सिरसा में श्री तारा बाबा कुटिया है आस्था का केंद्र, शीतकालीन अवकाश में बच्चों को करवाए भ्रमण, कुटिया में आकर्षित करती है 71 फीट ऊंची प्रतिमा

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Shri Tara Baba Kutiya in Sirsa is a centre of faith, take children on a tour during the winter holidays

mahendra india news, new delhi

हरियाणा प्रदेश व अन्य प्रदेशों में एक जनवरी 2026 से शीतकालीन अवकाश घोषित किया हुआ है। ऐसे में अभिभावक बच्चों को घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं। अगर आप अपने बच्चों को भ्रमण करवाना चाहते हैं तो सिरसा में आस्था का केंद्र श्री तारा बाबा कुटिया में बच्चों को जरूर लेकर पहुंचे। 

हरियाणा में सिरसा जिले को संतों की नगरी कहा जाता है। जिले में वैसे तो धार्मिक स्थलों के नाम से ही प्रचलित है। परंतु, एक स्थान ऐसा है भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों के मन में भी देखने की जिज्ञासा पैदा करता है। ये है सिरसा के रानिया रोड पर स्थित श्री तारा बाबा कुटिया। 

आपको बता दें कि श्री तारा बाबा कुटिया, करीब 25 एकड़ में फैली हुई है। मुख्य गेट से लेकर कुटिया के अंदर हिस्सों और दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र नजर आते हैं। कुटिया में बनी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और उसके साथ नंदी की मूर्ति काफी दूर से स्पष्ट दिखाई देती है। 

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बता दें कि डेढ़ दशक पूर्व निर्माण की गई इस तारा बाबा कुटिया का इतिहास प्राचीन तो नहीं परंतु कम वक्त की अवधि में प्रचलित होने के कारण देश के विभिन्न प्रदेेशों में अपना स्थान बना चुकी है। सिरसा की तारा बाबा कुटिया में फरवरी माह में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले ने  शिवमहापुराण कथा की थी। जिसमें लाखों लोगों ने कथा का आनंद लिया।

इसी नहीं यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों में बॉलीवुड हस्तियों की उपस्थिति दर्ज है। इनमें हेमा मालिनी, संजय दत्त, धर्मेंद्र, सुनील शेट्टी, अनुराधा पोड़वाल व कविता पोड़वाल सहित अनेक कॉमेडियन व हास्य कलाकार जैसी नामचीन हस्तियां शिरकत कर चुकी हैं।

संत के जीवन से जुड़ा कुटिया का रहस्य
बता दें कि तारा बाबा कुटिया का निर्माण वर्ष 2003 में किया गया था। इसके निर्माण में सबसे बड़ी भमिका सिरसा के प्रमुख समाजसेवी कांडा बंधुओं की रही। तारा बाबा का जीवन एक ब्रह्माचारी संत रूप में था। उनका जन्म हिसार जिला के गांव पाली में हुआ था। उनके पिता जमींदार व पशु व्यापारी थे। जब वे 3 वर्ष के थे, उनके माता पिता का देहांत हो गया था। उनकी बुआ उन्हें सिरसा ले आईं। दस वर्ष की आयु में उनका ध्यान भक्ति में लग गया और उन्होंने अपना वक्त बाबा बिहारी जी (सिरसा) की सेवा में लगा दिया।

बताया जा रहा है कि 14 वर्ष की वर्ष में तारा बाबा ने बिहारी बाबा के शिष्य बाबा श्योराम से नाम ले लिया। उसके बाद वह हिसार के पास वन में तप करने चले गए। लेकिन राम नगरिया गांव (सिरसा से सटा हुआ है) वाले उनकी मिन्नत कर गांव ले आए। इसके बाद गांव के बाहर एक कुटिया बनाकर दी गई। बाबा ने कई वर्ष वहां पर तपस्या की। मौन धारण किया। अकसर शिवरात्रि को वह कुटिया से बाहर निकलते थे। 27 जुलाई, 2003 को बाबा हरिद्वार में शिवरात्रि के दिन स्वर्ग सिधार गए।

कुटिया में आकर्षित करती है 71 फीट ऊंची प्रतिमा
समाजसेवी गोविंद कांडा ने बताया कि कुटिया के अंदर करीब 71 फुट ऊंची शिव भगवान की प्रतिमा बनी हुई है और उनके साथ ही नंदी की भी प्रतिमा है। जो काफी दूर तक मीलों दूर से दिखाई पड़ती है। इसके अलावा कुटिया के अंदर बनाई गई गुफा, जिसमें अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान है। जिन्हें बाहरी कारिगरों से तैयार करवाया गया है।


रानियां रोड स्थित बाबा तारा कुटिया में स्थापित शिवालय पर भी शिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां पर मुख्य आकर्षण का केंद्र शिव प्रतिमा, शिवालय, नंदीश्वर और गुफा हैं। यहां पर स्थापित शिवलिंग महाराजा विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन से लाया गया है। इसका उदगम स्थल नंदेश्वर ओंकारेश्वर से नर्मदा नदी है। यह त्रिशूल युक्त शिवलिंग है।