विश्व के सबसे बड़े मोटिवेशनल गुरु भगवान श्री कृष्ण की शरण में जाए, सभी युवा उत्साह से भर जायेंगे

 
Take refuge in the world's greatest motivational guru Lord Shri Krishna, all the youth will be filled with enthusiasm
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भगवान श्री कृष्ण
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
मैं ये लेख दुनिया के सभी युवाओं को समर्पित कर रहा हूं, आजकल पूरे भारत में भागवत कथा कौन करे और कौन करें, यही चर्चा जोर जोर से हो रही है। कोई कहता है कि केवल ब्राह्मण कथा करेंगे, कोई कह रहा है कि कोई भी कर सकते है।यहां विषय बहुत ही कन्फ्यूजिंग हो गया है, लोग धर्म के नाम पर जमन को बहकाने का कार्य कर रहे है, यहां जातियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है, राजनीतिक महानुभावों को देश से कोई मतलब नहीं है उन्हें किसी भी कीमत पर सत्ता चाहिए, क्योंकि सत्ता का खेल ही डिवीजन पर आधारित है तो ये सभी महानुभाव जातियों को अधिक बढ़ाएंगे। एक तरफ लोग भगवान कृष्ण की बात करते है, 
श्रीराम जी की बात करते है, लेकिन उनके चरित्र क्या कहते है, उन्हें कोई पढ़ना नहीं चाहते है। यहां किसी को भी ब्राह्मण, वैश्य, क्षेत्रीय, शूद्र का अर्थ नहीं पता है, अरे ये ह्यूमन डेवलपमेंट की सीढ़ियां है लेकिन हमारे विद्वानों ने इसे जातियां बना दी। मैं बड़े बड़े विद्वानों से पूछना चाहता हूँ कि क्या ब्राह्मण जाती में पैदा होने वाले सभी लोग ब्राह्मण है, या वैश्य में पैदा होने वाले सभी लोग वैश्य है, या जो क्षत्रिय व्यवस्था में पैदा होने वाले लोग क्षत्रि है या फिर शूद्र के रूप में पैदा हुए लोग सदा ही शूद्र रहेंगे,
 ये कहा लिखा है, कौन से शास्त्र में लिखा है? परंतु कुछ लोग इसी को हथियार बना कर सारा खेल चल रहा है और हम चाहते है कि इन सबका सॉल्यूशन राजनीतिक लोग कर देंगे, तो लोग भूल में है। इन सभी व्यवस्थाओं को कुछ समझदार लोगों को अपने हाथ में लेना होगा, तभी इन सभी समस्याओं का हल होगा। यहां तो कथा कहने वाले ही हमारे महापुरुषों पर भी कीचड़ उछाल रहे है कोई भगवान श्री कृष्ण जी महाराज को बांसुरी वाला बोलते है कोई रसिया बोलते है, कोई माखन चोर कहते है, कोई महिलाओं के वस्त्र चुराने वाला कहते है, कोई माखन की मटकी फोड़ने वाला कहते है, किसी किसी ने उन्हे आशिकी का कान्हा कहा है, कोई उन्हे गिरधर गोपाल, किसी ने उन्हे बंसीवाला कहा, कोई उन्हे छलिया कहता है, तो किसी ने उन्हे गोपाला कहा। 
सभी को ऐसे चरित्र चाहिए जिसमें में वो खुद फिट बैठ जाएं। अरे कुछ तो विचार करो कि भगवान श्रीकृष्ण संपूर्णता लिए हुए थे वो 16 कलाओं में निपुण थे, वो योगी पुरुष थे, वो चक्रधर थे, वो मनमोहक थे। मैं ये लेख इन सब बातो को बताने के लिए नही लिख रहा हूं, बल्कि मैं भगवान श्रीकृष्ण के उस रूप को दिखा रहा हूं जिसे अब देखना युवाओं के लिए अति आवश्यक हो गया है, कितना और बहकावे में आओगे। श्री कृष्ण का ईश्वरीय रूप देखना जरूरी है और वो रूप है महाभारत के बीच श्री कृष्ण जी द्वारा अर्जुन को दिए गए श्रीमद्भगवद् गीता उपदेश का। उस सुदर्शन चक्र को लिए हुए श्री कृष्ण जी को भी, देखने की आदत बनानी चाहिए। 
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युवाओं को केवल रास लीला, प्रेम लीला, मखन, गोपियों या गोपियों के बीच घिरे कान्हा या फिर बांसुरी बजाते कान्हा को ही जीवन में नही बसाना है, क्योंकि हमारे भोले भाले लोग उनके इन रूपों की गहनता नहीं जानते है और ना ही कभी बताया गया है।  युवाओं को कालिया नाग पर नृत्य करना, अन्याय के प्रतीक कंस को भी मरना है, धरती पर आसुरी शक्ति पूतना का भी वध करने तथा सामर्थ्य होने के बाद भी शिशुपाल की सौ गलतियों को माफ करना भी सीखना चाहिए। सर्वसमर्थ्य होने के बाद भी शांति का प्रस्ताव लेकर जाने, अधर्म के विरुद्ध धर्म की लड़ाई लड़ने की शक्ति को भी देखने की क्षमता युवाओं में होनी चाहिएं। अब जो मैं आपके सामने रखने जा रहा हूं कि जरूरत पड़ने पर गलत को गलत और सच को सच कहने का आत्मबल भी हो युवाओं में। 
अगर इससे भी आगे जाना पड़े तथा सुदर्शन चक्र भी चलाना पड़े तो उसको भी चलाने का जज्बा पैदा करे युवा। अब मैं उन महान योगी और इस ब्रह्मांड के सबसे महान मोटीवेटर भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा दिए गए गीता उपदेश जिसने अर्जुन की शिथिल पड़ी ऊर्जा तथा मनोभावों को ऊर्जावान बनाया, जीवन में प्रेरणा भरने का कार्य किया , जब भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा महान धनुर्धर अर्जुन को प्रेरित करना शुरू किया तो  अर्जुन के विषाद का अंत नहीं हुआ, उन्हे अपने मन में उमड़  रहे मोह, रिश्तों के आकर्षण को छोड़ने के लिए बहुत ही मौलिक बातो से प्रेरित किया, परंतु अर्जुन का मोह कम होने का नाम ही नही ले रहा था। गीता के दूसरे अध्याय में श्री कृष्ण जी महाराज द्वारा गीता के उपदेश द्वारा एक जीवन में घटित सभी मोह के कारणों को बताया और उनसे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है। अर्जुन के मोह का निवारण न होते हुए फिर उन्होंने गीता के अगले अध्याय में कर्म योग , 
ज्ञान योग, ध्यान योग, गूढ़ ज्ञान, भगवान के ईश्वरीय रूप , विराट रूप के दर्शन अर्जुन को कराए और उन्हें मोटिवेट किया गया। हमारे यहां तो आजकल  कुछ मोटीवेटर ऐसे उछल के बाते करते है और खुद मोह , लोभ ग्रस्त है उन्हे पैसे का बहुत बड़ा लालच है और वो भी प्रेरणा की बात करते है कि कैसे पैसा कमाया जाए, कैसे लोभ को अपनाया जाए और कैसे प्रतिस्पर्धा की जाए, कैसे कंपैरिजन किया जाए , कैसे दूसरो को मारा जाए, कैसे दूसरो को मात दी जाए , कैसे दूसरो से लड़ने के लिए संघर्ष करे , ये है उन सब का प्रेरणा देने का तरीका। बिलकुल श्रीमद्भगवद् गीता के उलट प्रेरणा देना का कार्य करते है और अपना लोभ और मोह पूरा करते है। 
ये युवाओं की जिम्मेदारी है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति ,गुरु की तलास करनी चाहिए जो खुद भी इन जंजालों से मुक्त हो। ऐसे ही सभी युवा , अपने जीवन में एक मेंटर या मोटीवेटर या गुरु जरूर रखे, जिससे कि जब भी किसी युवा को अगर मन में कोई द्वंद हो, या कोई अवसाद हो, कोई भय हो , या कोई मोह हो, या कोई लोभ हो, या किसी प्रकार की मन में बेईमानी आए तो उससे निजात पाने के लिए , 
श्री कृष्ण जी द्वारा दिए गए गीता उपदेश द्वारा युवा अपनी भावना को स्थिर करके आगे बढ़ सके और किसी भी प्रकार से अपने स्वाभिमान, मानव मूल्यों, मन के अवसाद तथा भय के साथ समझोता न करके , अपनी आत्मा को जगाकर होश में रहकर ही जीवन में आगे बढ़े। जो आपके मस्तिष्क में सालो से भरे जा रहे कचरे को निकाल कर दूर कर दे वही आपका गुरु, मेंटर, मोटीवेटर हो सकता है। हर युवा अपने को निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार, गलत को गलत कहने की शक्ति रखने वाले बने और अपने जीवन को सार्थक बनाएं और श्रीमद्भगवद् गीता पढ़े तथा मंथन होगा करें।
जय हिंद, वंदे मातरम