चिकित्सक दिवस पर विशेष: चिंतनीय: अनगिनत जिंदगियों को लील रहा कैंसर, कैंसर विशेषज्ञ डॉ. जीएन वर्मा ने बताए अनमोल उपाय, खतरे हो सकते हैं कम
अंतरराष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर हरियाणा मेें सिरसा शहर के प्रमुख एमडी पैथोलॉजिस्ट एवं कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. जी.एन वर्मा ने अपने व्यवसाय के प्रति पूर्ण दायित्व निभाते हुए आमजन को गंभीर कैंसर रोग के सिलसिले में जागरूक किया है। कैंसर अनुसंधान में अग्रणी डॉ. वर्मा बेबाकी से कहते हैं कि इस समय विश्व में कैंसर रोग अनगिनत जिंदगियों को लील रहा है मगर पूर्ण जागरूकता और उपायों के साथ इस रोग पर अंकुश लगाकर कीमती मानवीय जिंदगी को बचाया जा सकता है।
डॉ. जीएन वर्मा के मुताबिक कैंसर की रोकथाम केवल स्वास्थ्य पेशेवरों की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि सभी व्यक्तियों का साझा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जागरूकता और
सक्रिय स्वास्थ्य प्रथाओं की संस्कृति को बढ़ावा देकर, हम कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं। डॉ. जीएन वर्मा ने महिलाओं और पुरुषों में कैंसर रोग की बारीक विवेचना से आमजन को जागरूक किया है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर व डिम्बग्रंथि कैंसर को माना जाता है जबकि वहीं पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर व कोलोरेक्टल कैंसर को माना जाता है।
अपनाएं स्वस्थ जीवन शैली
कैंसर जैसे खतरनाक रोग पर अंकुश के लिए डॉ. जीएन वर्मा ने अनमोल उपायों बारे कहा कि यदि स्वस्थ जीवन शैली अपनाई जाए तो काफी हद तक इसके खतरों को कम किया जा सकता है। इनमें सर्वप्रथम इंसान को संतुलित आहार लेने के अलावा नियमित व्यायाम के साथ-साथ शराब व तंबाकू से परहेज अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि नियमित जांच के माध्यम से इस रोग के शीघ्र पता लगाने से सफल उपचार की संभावनाओं में नाटकीय रूप से सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा कि उम्र, लिंग और पारिवारिक इतिहास के आधार पर व्यक्तियों को अनुशंसित
स्क्रीनिंग दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर की स्थिति का पता लगाने के लिए मैमोग्राम, सर्वाईकल कैंसर की स्थिति में पैप स्मीयर और एचपीवी परीक्षण, पुरुषों में कोलोरेक्टल कैंसर की जांच के लिए कोलोनोस्कोपी तथा पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए पीएसए परीक्षण को अनिवार्य बताया गया है। बेहतर उपायों की श्रृंखला में डॉ. जीएन वर्मा कहते हैं कि पर्यावरण और व्यावसायिक
कार्सिनोजेंस के संपर्क को कम करना महत्वपूर्ण है। सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां सुनिश्चित
करें, हानिकारक रसायनों के संपर्क को सीमित करें और अपने समुदाय में स्वच्छ हवा और पानी की वकालत करें। उन्होंने बताया कि कैंसर की रोकथाम में तनाव प्रबंधन और मानसिक कल्याण को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। दीर्घकालिक तनाव और अनसुलझे भावनात्मक मुद्दे समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं। अपनी दिनचर्या में सचेतनता, पर्याप्त नींद और मानसिक स्वास्थ्य सहायता को शामिल करें।
सब्सिडी देकर सरकारें दे सकती हैं अपना योगदान
प्रसिद्ध पैथोलोजिस्ट डॉ. जीएन वर्मा कहते हैं कि इस रोग के उपचार में व्यय काफी होता है और ऐसे में यह सुनिश्चित नहीं होता कि प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति अथवा उसका परिवार इस रोग के निदान के लिए पर्याप्त राशि खर्च कर सके। ऐसे में अनिवार्य है कि सरकारें कैंसर प्रभावितों की मदद के लिए सामने आकर कल्याणकारी राज्य का अपना प्रमुख दायित्व निभाए। आनुवंशिक परीक्षण की लागत पर सब्सिडी देने की सरकारी पहल रोगी के जीवन में उजाला ला सकती है। बीआरसीए उत्परिवर्तन के लिए राष्ट्रव्यापी स्क्रीनिंग कार्यक्रम लागू करने से व्यवस्थित रूप से उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान की जा सकती है। आनुवंशिक परीक्षण और उसके बाद सुनिश्चित करने के लिए नीतियां निवारक उपाय स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने चिकित्सक दिवस पर सभी से आह्वान किया कि वे कैंसर की रोकथाम और शीघ्र पता लगाने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए अपनी नियमित जांच करवाएं व स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। उन्होंने चिकित्सक समाज से भी आह्वान किया कि वे भी पुरुषों और महिलाओं दोनों में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और परिणामों में सुधार करने के लिए मिलकर काम करें।