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effect of mobile: मोबाइल फोन की लत, युवाओं ने अगर मोबाइल की लत नही छोड़ी तो जीवन पर क्या पड़ेगा असर

युवाओं ने जो डिग्री ली है उसी अनुसार कार्य करें
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नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने बताया कि भगवान बुद्ध ने कहा था कि जीवन मे सम्यकता होनी चाहिए, किसी भी चीज की अति नही होनी चाहिए। संस्कृत में कहते है " अति सर्वत्र वर्जयेत" इसलिए कहा जाता है कि अगर जीवन मे कुछ भी करना है तो उसे अंतुलन में करे, उसे बैलेंस में ही करना चाहिए। भगवान बुद्ध ने जब सन्यास लिया जो उन्हौने तपस्या के सारे तरीके अपनाए, भगवान बुद्ध ने आखिर में यही कहा था कि जीवन सदैव सम्यक जीना चाहिए। जब हम युवाओं की बाद करते है तो वर्तमान में मोबाइल फ़ोन का प्रयोग इतना बढ़ गया है कि युवाओं को इसके अलावा कुछ दिखता ही नही है। 


जल्दी न उठने की आदत बढ़ रही है 
उन्होंने बताया कि आजकल युवाओं में प्रात: जल्दी न उठने की आदत तेजी से बढ़ती जा रही है और सारा सारा दिन मोबाइल फ़ोन में बिजी रहना , सबसे बड़ी समस्या हो गई है, इसका एक् कारण ये भी है कि ग्रामीण युवा ही क्या शहरी युवाओं में भी मोबाइल से चिपके रहने की आदत बड़ी ही तीव्र गति से युवाओं के भविष्य को आलसी बनाता जा रहा है। ये समस्या छोटी नही है किसी भी कार्य मे रुकावट डालने के लिए मोबाइल फोन एक दानव का रूप ले चुका है। यहां तक कि जो पुलिस  के लोग ट्रैफिक मैनेजमेंट में लगे हुए है उनका भी कम से कम 50 प्रतिशत समय  मोबाइल फ़ोन को देखने मे गुजरता है। 


बडी आयु के लोग भी मोबाइल फोन की गिरफ्त
अब तो युवाओं की बात करे , बड़ी उम्र के लोग भी मोबाइल फोन की गिरफ्त में जकड़े जा रहे है। उनको ज्यादातर समय मोबाइल फ़ोन जैसे उपकरण को देखने मे गुजरता है, जब कि उससे कोई भी ज्यादा लाभ नही होने वाला है। अगर स्कूल कॉलेज व यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी व टीचर को देखे तो वो भी ज्यादा समय इसी में गुजारते है। जितने भी स्टूडेंट्स है वो भी पढ़ाई से ज्यादा मोबाइल को समय देते है। जिसमे कोई खास देखने लायक नही होता , समय की बर्बादी के सिवाय कुछ भी नही होता। 

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मात पिता की जिम्मेवारी 
मैं यहां ये कहना चाहता है कि जो एक टीचर और मात पिता की जिम्मेवारी है वो उसको निभाते नही है, विद्यार्थियों को अपने भविष्य का तथा अपने कैरियर के कोई ख्याल नही है और ना ही स्टूडेंट्स को मेहनत करने की आदत नही रही है। वर्तमान में ज्यादातर विद्याथियों के पास कोई हूनर नही है भले ही वो पी एच डी की डिग्री ले ले परन्तु वो बनना चाहते है सरकारी विभाग में ग्रुप डी, चपरासी, बस में कंडक्टर, ड्राइवर, ऐसा क्यों है जब कोई युवा इतनी बड़ी शोध की डिग्री लेकर भी सरकार के विभाग में अपने स्वभिमान का सौदा करके एक चपरासी बनने की तैयारी करता है इसका सीधा अर्थ ये है कि आज का ग्रामीण युवा काम से जी चुराने लगा है, इसमे मैं ऐसा नही कह रहा कि कोई भी काम छोटा है। 


अपने आत्मसम्मान को ठेस न लगने दें
मैं केवल ये कहना चाहता हूँ कि युवाओं ने जो डिग्री ली है उसी अनुसार कार्य करे। अपने आत्मसम्मान को ठेस न लगने दे। जीवन मे अगर खुश रहना है तो मेहनत को जीवन मे उतरने दो, अनुसाशन को जीवन मे आने दो, किसी को सम्मान को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाओ, अपनी दिनचर्या को मोबाइल से मुक्त करो, समय के पालन को अपनी दैनिक कार्य मे सम्मलित करो, आलस्य को त्याग कर , स्फुर्तिमान बनो, अपने खान पान को भारतीय क्लाइमेट के अनुसार करो, शरीर व मन को साधने के लिए अभ्यास को जीवन मे शामिल करो। मोबाइल फ़ोन की लत ने युवाओं को नकारा कर दिया है अगर इसको नही छोड़ा तो युवाओं का जीवन बेकार हो जाएगा । 

मोबाइल फ़ोन की लत ने युवाओं को निम्न तकलीफ देनी शुरू कर दी है जो कि उनको मजा देना शुरू कर दिया है।
1. ग्रामीण युवाओं ने कृषि का काम छोड़ा दिया है।
2. हर रोज अपने गांव से एक बैग लटका कर शहर आ जाते है ताकि पूरा दिन मोबाइल व दोस्तो के साथ टाइम वेस्ट कर सके, क्यों कि घर मे काम करना पड़ेगा।
3. अपनी कक्षा में भी मोबाइल का उपयोग करते है।
4. इससे युवाओं में विचलन इतना बढ़ रहा है कि उनका ध्यान कहीं भी नही लगता। ना ही वो अपना टारगेट तय कर पाते है।
5. किशोरावथा में विशेषकर लड़को में  शायनेस बढ़ जाती है लेकिन लड़कियों में ये बीमारी नही आती वो बहुत ही वोकल होती है।
6. वर्तमान में युवाओं में अपने मातपिता को धोखा देने के उदाहरण बढ़ते जा रहे है।
7. मोबाइल फ़ोन , युवाओं के लिए एक बीमारी बन गई है, इस बीमारी से इतनी आसानी से नही उभरा जा सकता है।


8.इस मोबाइल की वजह से युवाओं में  पढ़ाई लिखाई छोड़ , इस उपकरण का उपयोग इसलिए किया जा रहा है कि वो टाइम पास करने के लिए झूंठे दोस्तो से लाइक चाहते है, जिनको नही जानते उनसे दोस्ती करना चाहते है क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण है कि वो मोरैली इतना गिर चुके है कि वो किसी को फेस नही कर सकते, किसी को नमस्कार करने में उन्हें शर्म आती है, अनुशासन को पालना उनके लिए कठिन कार्य है
9. अब मोबाइल की वजह से हमारे विद्यार्थियों में शिक्षा का स्तर बहुत ज्यादा गिर गया है, स्नातकोत्तर में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को एक आवेदनपत्र नही लिखना आता है।
10. छोटे छोटे बच्चों में मोबाइल फ़ोन की लत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। 


11. मोबाइल से युवाओं ने क्या क्या खोया, इन्होने लिखना पढ़ना खोया,  वार्तालाप खोया, असली दोस्ती खोई, ज्ञान खोया, समय की पालना खोई, कान की सुनने की शक्ति खो रहे है, घर की शान्ति खोई, रात की नींद खोई, सुबह का सूरज उगता देखना खोया, आंखों की चमक खोई, याददाश्त खोई, गुरु जनों का आदर खोया, घर का पैसा खोया, मातपिता का विश्वास खोया, किताबो के प्रति सम्मान खोया और बहुत सी चीजें खोई है।

    अगर आने वाले समय मे हमारे ग्रामीण युवाओं ने ये लत नही छोड़ी तो उनके लिए जीविका के साधन जुटाने बहुत मुश्किल हो जाएगा। और मेहनत से कतराता युवाओं आलस्य में डूबेगा। इसकी वजह से अपराध उसे घेरेगा, नशा जीवन मे आएगा, पड़े पड़े जीवन को बीमारी घरेगी, नशे की वजह से वासना आएगी और उससे जीवन जीना दूभर हो जयेगा। 

आओ मैं , ऐसे ग्रामीण युवाओं के लिए इस लत से छुटकारे के लिए कुछ उपाय सुझा रहा हूँ जो निम्न है कृपया इन पर ध्यान दे:-
1. सबसे पहले मोबाइल का व्रत करना सीखें।
2. शाम को 8 बजे मोबाइल को एक लॉकर में रखना सीखे।
3. स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों व टीचर के लिए मोबाइल फ़ोन लॉकर वी व्यवस्था आवश्यक हो गई है।
4. हर घर मे रात 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक मोबाइल फ़ोन लॉकर बनाना बेहद जरूरी है।
5. खाना खाते व्यक्त मोबाइल फ़ोन अलग एक जगह पर रखने का नया कांसेप्ट हर में शुरू करे।
6. फिर धीरे धीरे मोबाइल फ़ोन का प्रयोग प्रत्येक दिन कम करते जाए।
7. सरकारी नौकरी वालो के लिए हर विभाग में मोबाइल फ़ोन लाने पर बैन हो।


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8. हर सप्ताह मोबाइल फ़ोन व्रत हो जो 24 घण्टे का हो।
9. बच्चो को बहलाने के लिए कभी भी मोबाइल फ़ोन का सहारा न ले।
10. मोबाइल से छुटकारे के लिए हर सम्भव प्रयास करे।
  ग्रामीण युवाओं को अब मोबाइल फ़ोन के प्रयोग पर हरहाल में रोक लगानी पड़ेगी नही तो युवाओं का भविष्य व कैरियर व आजीविका पर बहुत प्रश्न खड़े हो जाएंगे और युवाओं में मेहनत के प्रति अलगाव हो जाएगा।
डा. नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र, हिसार व राष्ट्रीय जल पुरुस्कार विजेता