देश के हर बच्चे को मेंटर की जरूरत, क्योंकि वही हैं विकसित राष्ट्र का आधार

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
ने अपने लेख में आज बताया है कि अगर समाज मे देंखे तो हमे लगता है कि हर बच्चे को दिशा निर्देश देने वाले की जरूरत है। बच्चे या किशोर का सशक्तिकरण या तो शिक्षा से होता है या फिर संस्कार से होता है। शिक्षा मिलने की जगह या तो स्कूल है या फिर घर एक पाठशाला के रूप में स्थापित किया जाता है। आप सभी अपने स्तर से देखते है कि हमारे समाज मे बच्चे मातपिता की लापरवाही की वजह से जीवन मे भटक जाते है और अपने भविष्य को बर्बाद कर लेते है। बहुत से बच्चे या किशोर गलत लत के वशीभूत होकर इधर उधर भटक जाते है। अपराध की दुनिया मे या फिर नशे की ओर चले जाते है। हमारे समाज मे अच्छे को अच्छा व बुरे को बुरा कहने वाले नही रहे। हम समाज के हर बेटे बेटियों को अपनी संतान नही समंझते, और उनके उत्थान को राष्ट्र का उत्थान नही मानते । जब कि सोंचना यह चाहिए कि अगर एक बच्चा भी पिछड़ता है या भटकता है।
तो समंझ लेना चाहिए कि हमारा समाज पिछड़ रहा है, हमारा राष्ट्र पिछड़ रहा है। जब हम समाज मे देखते है तो लोग न तो अपने बच्चे या किशोर की केअर कर पा रहे है और न ही किसी दूसरे को दिशा दे पाते है। स्कूल में शिक्षण एक व्यवसाय के रूप में विकसित हो गया है । शिक्षक , गुरु नही बनना चाहते । गुरु का अर्थ है अपने जीवन को, विद्यार्थी के जीवन को उज्ज्वल बनाने में समर्पित कर दें। शिक्षक का मतलब अक्षर ज्ञान कराना नही है, उन्हें पूर्ण रूप से विकसित करना है। शारीरिक रूप से , मानसिक रूप से, सामाजिक, तथा आध्यात्मिक रूप से सबल बनाना है। जब शिक्षक की अपने काम के अनुरूप जीवन शैली न हो तो क्या होगा। शिक्षण व्यवसाय नही है यह सेवा है, ये नौकरी भी नही है ये राष्ट्र सेवा है। कुछ शिक्षक ऐसे भी होते है जिसे अपना कार्य अच्छा नही लगता और वो उन व्यवसायों के पीछे भागते हैं, जो उनकी गरिमा के भी विरुद्ध है। जीवन मे जहां तक मैं सोंचता हूँ, शिक्षण से प्रतिष्ठित कोई कार्य नही है। वो आने जीवन मे न जाने अपने कितने शिष्यों को डॉक्टर बनाते है, न जाने कितने को इंजीनयर बनाते है, और न जाने कितने को राजनेता, कितने को अभिनेता व कितने को सिविल सेवा में भेजते है। एक शिक्षक व अभिभावक अपने आप में एक संस्थान होता है, अगर वो सिद्धान्तों पर रह कर देश सेवा करते है तो। मैं ऐसे शिक्षकों, मातपिता व अभिभावकों को नमन तथा वंदन करता हूँ जो अपने शिष्यों व बच्चों को जागरूक नागरिक बनाने के लिए प्रयास और प्रयत्न करते है।
समाज मे 3 प्रकार के लोग है और घर मे भी 3 प्रकार के मातपिता है। पहला तो अपने बच्चों को कोसने के सिवाय कुछ नही करते है उनके पास धैर्य नहीं है, जीवन में शांति नहीं, उनके पास ज्ञान नहीं है, वो अपना कंपैरिजन अपने बच्चों से करते है जो निहायत गलत है। कुछ को अपने बच्चों को सही दिशा देने के लिए समय ही नही है व ना ही वो अपने बच्चों के साथ संवाद करते है। कुछ ऐसे महानुभाव है जो अपने बच्चों को पैसे तो देते है लेकिन उनके संस्कारो के बारे कोई कार्य नही करते है और वो बच्चे भी अपने जीवन मे भटक जाते है । इसी प्रकार समाज मे भी तीन प्रकार के लोग है एक तो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है, जो अपने समाज में सभी बच्चों पर नजर रखते है कि गलत दिशा में जा रहे है या सही दिशा में जा रहे है तथा उनके मातापिता को आगाह करते रहते है। कुछ नकारात्मकता का प्रसार करते है और गलत काम को बढ़ावा देते है तथा बच्चे चाहे किसी के भी हो वो उन्हें गलत की ओर ही धकेलने में लगे रहते है। कुछ किसी काम के नही होते, वो न अच्छे को अच्छा कह सकते है न ही बुरे को बुरा कह सकते है वो बीच के होते है। उनका जीवन या तो दूसरों के पिछलगु बन कर कटता है या फिर ताश खेल कर कटता है या फिर नशा करके बीतता है उनको अपने या दूसरे बच्चों से कोई लेना देना नही है । वो अपने बच्चों के भविष्य के बारे में , उनके स्वाभिमान के बारे में, उनके कैरियर के बारे में कभी नही सोंचते। वो ही लोग चुनावो में वोट बेचतें है, वो ही लोग चुनावो में वोट के बदले शराब पीते है। हम अपने बच्चों के लिए केवल अभिभावक ही नही है हम उनके मेंटर भी बने, उनको दिशा और दशा देने वाले भी बने । हर बच्चे या किशोर या नवयुवक को मेंटर की आवश्यकता है जो उनकी बातों में सहभागी बने । माँ , अपनी बेटी की मेंटर बने और पिता , अपने बेटे का मेंटर बने और उनसे वार्तालाप करे। हर दिन घर की पाठशाला लगाए ताकि वो अपने दिल की बात आप से कर सके। और गलत संगत से बच सके। जब हम अपने बच्चों, किशोरों या नवयुवकों से घर की पाठशाला में प्रेम से, आदर से बात करते है तो वो इन संस्कारों को अपने अंदर सहेजते है। उनका प्रचार प्रसार करते है। अब समय है हर दस बच्चों , किशोरों या नवयुवकों को एक मेंटर उपलब्ध कराया जाए,जो उन्हें इंस्पायर कर सके। हर बच्चे को संस्कार देंगे तो वो देशभक्त बनेगा, अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित करेगा, एक अच्छा नागरिक बनेगा। हर बहन, बेटी, माँ की इज्जत करेंगे और समाज को सशक्त बनाएंगे। जीवन छोटा है,
हम कौशिश करे कि हर बच्चे को एक मेंटर की छत्र छाया मिले जो उनके जीवन को पॉजिटिव दिशा में लेकर जाए। हर बच्चा देश का बच्चा है हमे इस बात पर गौर करने की आवश्यकता है। देश जी डी पी तथा प्रति व्यक्ति आय भी इन सभी बच्चों के कंधों पर है, जिन्हे हम शायद इसलिए इग्नोर कर देते है कि ये कौन से हमारे बच्चें है। हो सकता ये बच्चें आपके ना हो, हमारे ना हो, परंतु ये सभी देश के बच्चे तो है ही।
जय हिंद, वंदे मातरम