जंग में जाने वाले घोड़े बारात में नाचने नहीं जाते है, इसे समझने का प्रयत्न करे युवा पीढ़ी

Mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
वर्तमान युवा पीढ़ी हर कार्यक्रम की परिणति डांस पर ले जाकर छोड़ते है यही सबसे चिंतनीय पहलू है। ये आप सभी जानते है कि जिन घोड़ों को बग्घी में जोड़ते है या जिन्हें बरातों में नाचने के कार्य में लिया जाता है उन्हें अधिक सजाया जाता है और फिर उन्हें अपनी चाबुक के इशारों पर नचाया जाता है, और वो नाचते भी है क्योंकि उनका काम ही ये है। मैं यहां बहुत ही सजगता और विनम्रता से कहना चाहता हूँ कि युवा भी खुद को जंगी बनाना चाहते है या सजावटी, ये युवाओं को खुद तय करना है। जो यूथ फैशन, मेकअप, प्रसाधनों के उपयोग में अत्यधिक खर्च करने वाले है वो तो शायद सजावटी की ही कैटेगरी में आते है।
जो युवा जंगी है या संघर्ष करना जानते है वो सजावटी होना बिलकुल पसंद नहीं करते, उन्हें फैशन पसंद नहीं होता है, उन्हें टेलीविज़न पर चलने वाले प्रचार के अनुसार प्रसाधनों के उपयोग से परहेज ही रहता है। हमारी जितनी भी कपड़ों की कंपनी है, परफ्यूम की कंपनी, प्रसाधनों की कंपनी, पिज्जा बर्गर हट सभी हमारे युवाओं को फैशन में उलझाने में लगी हुई है, लड़कियों के लिए अलग परफ्यूम, लड़को के लिए अलग परफ्यूम, फटे हुए कपड़ों को फैशन के नाम पर दस गुणा कीमत बेच ने के लिए युवाओं को बरगलाया जा रहा है और हम भेड़ों की तरह व्यवहार कर रहे है, शराब की कंपनियां शराब के प्रचार के लिए एड कर रही है।
युवाओं में जिस प्रकार से फैशनेबल बनने की होड़ लगी है, उससे तो बाराती घोड़े बनने की ही अधिक संभावना होती है। युवाओं को जंग लड़ने के लिए जीवन में संघर्ष, मेहनत, बेहतर स्वास्थ्य, स्थिर मानसिकता, संकल्पशीलता तथा सशक्त भावना का धनी बनना होता है। आप सभी ने देखा होगा कि जो घोड़े बारात में नाचते है या दूल्हे की बग्गी खींचते है उन्हें खूब सजाया जाता है, सुंदर काठी पहनाई जाती है, सुंदर मुखौटा पहनाया जाता है, ऊपर चमकते हुए कपड़े डाले जाते है, फिर वो बग्गी खींचते है या बरातों में नचाए जाते है लेकिन इनके विपरीत जो घोड़े जंग में जाते है, उन्हें सजाया नहीं जाता है, उन्हें कोई लदान नहीं पहनाया जाता है, कोई मुखौटा नहीं पहनाया जाता है, बस वो वैसे ही दौड़ते है, खूब दौड़ते है। यहां बारातों में नाचने वाले घोड़ों को दौड़ना मना है, उनका एक दायरा होता है, इसी प्रकार कुछ लोग ऐसे होते है जो बाराती होते है, बग्गी खींचने वाले होते है लेकिन उनके दायरे तय होते है।
युवाओं को इन घोड़ों से सीखने की जरूरत है कि उन्हें जंगी घोड़ों की तरह बिहेव करना है, सजावटी नहीं बनना है, किसी की बग्गी नहीं खींचनी है, किसी के अनुसार नाचना नहीं है, बल्कि जीवन को संघर्ष को समर्पित करना है, ताकत के साथ जीवन में मेहनत करनी है। बिना सोचें विचारे किसी का पिट्ठू नहीं बनना है, किसी के सुर में सुर नहीं मिलाना है, किसी के स्वर के लिए अपना मुंह इस्तेमाल नहीं होने देना है। तर्कशील बनना है, सही को सही तथा गलत को गलत कहने की हिम्मत जुटानी है। घोड़ा हो तो जंगी हो, बाराती तो किसी के चारे पर पलते है और उन्हीं के आगे ठुमकते है। अगर अपना मालिक बनाना है तो अपने मातापिता को बनाओ, भारत को बनाओ, राष्ट्र को बनाओ, देश को बनाओ, किसी ऐसे व्यक्ति को ना बनाओ जो तुम्हे बेईमानी सीखते हो, जो तुम्हे चोरी, अत्याचार, अन्याय सिखाते हो, झूठ बोलना सिखाते हो, क्योंकि जीवन सत्य से, अहिंसा से, ईमानदारी से तथा मेहनत से ही चलेगा। युवा साथियों, चाहे आप विद्यार्थी हो, चाहे कोई व्यवसाय करते हो, चाहे खेती करते हो, चाहे खाली भी रहते हो, फिर भी इस राष्ट्र के पक्ष में खड़े होने की आदत डालना। किसी के लिए गलत उपयोग मत होना, जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर, राजनीतिक पार्टी के नाम पर उपयोग मत होना, इससे जीवन में कभी ग्लानि नहीं होगी, हीन भावना नहीं आएगी। जंगी बनने या
संघर्षी बनने लिए सात बाते दिमाग में रखकर ही व्यवहार करना, जो निम्न है, जैसे;
1. अवसरवादी मत बनना, किसी की आपदा में मौकापरस्ती मत ढूंढना।
2. मेहनत से जी ना चुराना। फैशन से दूर रहो, बड़ी बड़ी एड को देखकर पैसे बर्बाद मत करो। उस पैसे से परिवार और खुद की सेहत के लिए कार्य करो, सेहत को सुधारो।
3. नैतिकता के साथ किसी भी हाल में समझौता मत करना, चाहे जीवन बिना किसी आराम के ही गुजारना पड़े।
4. राष्ट्र प्रथम का विचार, मातापिता का मान, खानदान की इज्जत को साथ लेकर चलना।
5. किसी की भी बारात या बागी खींचने वाले घोड़े की तरह मत बनना।
6. बिना ज्ञान के जीवन जीना, अंधकार को कबुल करने जैसा है। तर्कशीलता के साथ जीना सीखना बेहद जरुरी है।
7. किसी की भी चापलूसी मत करना, जीवन को आत्मसम्मान के साथ जीना ही आत्मा के साथ जीना है, यही श्रीमद्भगवद् गीता में लिखा है।
अपनी मंजिल खुद तय करना, किसी के पाखंड,बहकावे में आकर कार्य करना, किसी व्यक्ति विशेष के आगे झुकना, जो तुम्हे पाखंड में धकेल रहे है, किसी के यहां शराब वा भोजन के किये गलत कार्य करना ही तो राष्ट्र के साथ गद्दारी जैसा है। आप युवा है आप फैशन के लिए नहीं हो, आलस के लिए नहीं हो, आप झूठ बोलने के लिए नहीं हो, आप न तो अन्याय अत्याचार झेलने या करने के लिए नहीं हो, आप केवल खुद को सशक्त करने, मातापिता का सहारा बनने, प्राकृतिक संरक्षण के लिए हो तथा आप राष्ट्र प्रथम के लिए हो। आओ मिलकर जंगी बने, संघर्षी बने और जीवन को सार्थक बनाएं।
जय हिंद, वंदे मातरम