भारत ने एक बार फिर दुनिया को मेडिटेशन के द्वारा तन से, मन से व भावनाओं से स्वस्थ बनाने का बीड़ा उठाया
mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
6 दिसंबर 2024 का दिन विश्व इतिहास में दर्ज हो गया था, जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत द्वारा दिए गए संयुक्त रूप से सौजन्य करने के वर्ल्ड मेडिटेशन दिवस को मंजूरी दी, जिसको विश्व के कई देशों ने अपनी सहमति प्रदान की। भारत भूमि से उठी ये आवाज, मौन और ध्यान के रूप में 21 दिसंबर को पूरी धरती पर गूंजेगी। भारत ने इससे पहले योग को भी विश्व पटल पर प्रचारित व प्रसारित करने का गुरु कार्य किया है। अब दुनिया में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार दिनांक 21 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष मेडिटेशन दिवस के रूप में मनाया जाएगा, भारत इस दिवस को मनाने में यू एन ओ के साथ संयुक्त संयोजक होगा।
जिस प्रकार से पूरी दुनिया में लोगों का ध्यान स्वास्थ्य से हटता दिख रहा है तो यह बेहद जरूरी हो गया है कि जिस प्रकार योग के द्वारा लोगों को स्वस्थ रहने की भारत ने गुरु के रूप में प्रेरणा दी, उसी प्रकार अब मेडिटेशन की शिक्षा व अभ्यास के द्वारा सभी को तंदुरुस्त करने का बीड़ा भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से उठाने का निर्णय लिया है, इस कार्यक्रम का नेतृत्व करने का बीड़ा भी उठाया है। 21 दिसंबर , धरती पर वो दिन जो वर्ष के सबसे छोटे दिन के रूप में होता है, तथा रात सबसे लंबी होती है, जैसे योग दिवस भी 21 जून को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह दिन वर्ष का सबसे बड़ा दिन व रात सबसे छोटी होती है। इस मेडिटेशन दिवस आयोजन का उद्वेश्य विश्व में हर उम्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने के लिए किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत गोल 3 के अंतर्गत विश्व स्तर पर मेडिटेशन दिवस के आयोजन का निर्णय लिया गया है, जिसके द्वारा नागरिकों को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने पर कार्य किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण दिवस के आयोजन में विभिन्न संस्थाओं द्वारा जैसे ट्रांसजेडेंटल मेडिटेशन, आर्ट ऑफ लिविंग, पतंजलि योग पीठ, विश्व स्तरीय पर सहयोग किया जा रहा है, जिससे जनसामान्य के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान के द्वारा ध्यान दिया जा सकें। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा महर्षि महेश योगी जी द्वारा दी गई टी एम पद्धति के द्वारा मेडिटेशन करने की सलाह दी गई है।
ट्रांसजेडेंटल मेडिटेशन से तात्पर्य है कि भावनाओं से परे होकर,भावातीत होकर ध्यान की प्रैक्टिस करना है। शरीर को स्वस्थ करने के लिए जितना जरूरी व्यायाम वा योग है उससे कहीं अधिक मेडिटेशन है, क्योंकि जैसा हम विचार करते है वैसा ही बनते है। जैसा हम सोचते है वैसा ही बनते है। अगर हम मेडिटेशन के द्वारा अपनी ऊर्जा को एकत्रित करके एक स्थान पर लगाएं तो निश्चित रूप से हमारा स्वास्थ्य अच्छा होगा, हम हर प्रकार की रुग्णता से निजात पा सकते है, जब हम मानसिक रूप से नकारात्मक होते है या कमजोर होते है तभी हमारा जीवन रोग की चपेट में आता है।
इस ध्यान दिवस के माध्यम से विश्व स्तर पर शांति वा कलेक्टिव हार्मरी लाने की बात की गई है। ध्यान एक कला है, मेडिटेशन एक आर्ट है, जो हमे जीवन जीना सीखती है, जो हमे भीतर से हर प्रकार की चिंता, हर प्रकार के तनाव दबाव तथा अवसाद को बाहर निकालने का कार्य करती है। जब हम एक व्यक्ति के जीवन में शांति की बात करते है या फिर विश्व स्तर पर शांति की बात करते है तो हमारे सामने एक बेहतर स्किल के रूप में मेडिटेशन ही आता है। दुनिया के किसी भी कठिन से कठिन कार्य को करने से पहले अगर ध्यान की प्रक्रिया की जाए तो उसका परिणाम उत्तम आता है।
ध्यान प्राणायाम के द्वारा किया जाता है तो रिजल्ट अतिउत्तम आते है। ध्यान, अष्टांग योग का सातवां आयाम है, या यूं कहे कि सातवां स्टेप है। ध्यान के बाद समाधि का स्थान है जिसे साधु संत मुक्ति के राह के रूप में देखते है और आम जन, विश्व के युवा, विश्व के विद्यार्थी के लिए ये हर प्रकार की चिंता, दबाव, तनाव, नशे या पेयर प्रेशर से परे होने की स्किल है। इसलिए जब मेडिटेशन की बात करते है तो फिर हमारे सामने महर्षि पतंजलि का अष्टांग योग पद्धति भी आती है जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और उसके उपरांत समाधि की क्रिया तक पहुंचा जाता है।
जब हम विश्व स्तर पर शांति व सामूहिक सद्भावना को स्थापित करने की बात करते है तो हमे ध्यान से पहले खुद के जीवन को पांच यम, पांच नियमों से भी जोड़ना आवश्यक है क्योंकि शांति व सद्भावना व्यक्ति के वो गुण है जो हर प्रकार की नेगेटिविटी से परे जाने पर ही मिलते है, हर प्रकार के षडयंत्रों से परे जाने पर ही मिलते है, हर प्रकार से न्याय, निष्पक्षता, निर्भकता, सत्यता वा ईमानदारी पूर्वक जीवन जीने से ही हमारे व्यक्तित्व में समाहित होते है।
विश्व मेडिटेशन दिवस के माध्यम से भारत फिर एक बार विश्व का नेतृत्व कर रहा है, यही हम भारतीयों के लिए गौरव का विषय है, हम सहसंयोजक के रूप में विश्व को ध्यान की विधि अपनाने वा इसका अभ्यास करने के लिए एक बार फिर से आगे आए है, निश्चित रूप से हम सभी के लिए गौरांवित करने वाले क्षण है। आओ मिलकर ध्यान करें, अपने तन मन व भावनाओं को स्वस्थ बनाए और विश्व स्तर पर शांति तथा सामूहिक शांति स्थापित करने के लिए अपना अपना योगदान दें।
जय हिंद, वंदे मातरम
