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chanakya policy: मनुष्य जाति की एक जीवन कौशल है, जीवन जीने की एक कला है


11 जीवन के कौशल, अगर युवाओं को अपना खुद का निर्माण करना है तो जीवन जीने के कौशल को सीखने का मन से प्रयत्न करे

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 अगर युवाओं को अपना खुद का निर्माण करना है तो जीवन जीने के कौशल को सीखने का मन से प्रयत्न करे

mahendra indai news, new delhi

डा. नरेंद्र यादव बताते हैं कि निर्णय लेना , मनुष्य जाति की एक जीवन कौशल है, जीवन जीने की एक कला है। एक निर्णय पीढय़िों पर असर डालता है, उस निर्णय की वजह से या हम उत्कृष्ट रास्ते पर चले जाते है या फिर गलत राह पर चले जाते है निर्णय लेना तो हर इंसान को पड़ता है चाहे वो सही हो चाहे वो गलत हो और अनिर्णीत रहना भी कई बार हम पीछे धकेल देता है। 


आपको बता दें कि जीवन में इस जीवन कौशल का जितना बड़ा प्रभाव है शायद उतना किसी और कौशल का नही होता । बहुत बार हमारा मन अस्थिर रहता है और हम उस समय निर्णय लेते है तो उसका परिणाम बेहतरीन नही होता है। वैसे तो युवाओं के जीवन में बहुत से जीवन कौशल होते जिससे एक युवा का जीवन शुभ बनता है। परंतु ग्यारह जीवन कौशल ऐसे है जो किसी के भी जीवन में निर्णायक बदलाव लेकर आते है।

पहला जीवन कौशल या उसे स्किल भी कह सकते है वो आत्म जागरूकता है। जिसे हम ध्यान या होश भी बोलते है, अगर कोई भी युवा या फिर किसी भी आयु का इंसान जागरूक होकर जीवन जीता है तो उससे कोई गलती नही हो सकती। जागरूकता जिसे अंग्रेजी में अवेयरनेस बोलते है अपने हर कार्य के प्रति होंशपूर्ण रहना, अपने हर कदम में ध्यानपूर्वक चलना , भोजन ध्यान पूर्वक करना, क्या सही है क्या स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, और क्या समयनिष्ठ होने केलिए ठीक है।

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 क्या अपने लिए परिवार के लिए, समाज के लिए, राष्ट्र के लिए आवश्यक है उसे तत्काल करने का जज्बा पैदा करना, जीवन में सेल्फ अवेयरनेस अगर है तो आपसे कोई भी गलत कर्म नही करा सकता, युवा कभी किसी के बहकावे में नहीं आ सकता है। जब हम आत्म जागरूकता की बात करते है तो हम  स्वास्थ्य जागरूकता, मानसिक जागरूकता, तथा आध्यात्मिक जागरूकता के आधार पर भी हमे जीवन का रास्ता तय करना है।

दूसरा जीवन कौशल, समय की निष्ठा का पालन करना । जीवन में जागरूक हो तो समय के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण रखना। समय से बलवान कोई नही है, एक बार जो क्षण निकल जाता है वो वापिस लौट कर नहीं आता।

तीसरा जीवन कौशल, निर्णय लेने की   क्षमता विकसित करना, कभी भी निर्णय को टालने की प्रवृति ना बनाओ, एक निर्णय सब कुछ बदलने की क्षमता रखता है। निर्णय लेते व्यक्त स्थिर बुद्धि रखना आवश्यक है।

चौथा जीवन कौशल, विश्लेषण करने की क्षमता। युवाओं को चाहिए कि जब भी कोई बात सुने , दृश्य देखे, किसी पर विश्वास करने की बात आए, धर्म जाति, परिवार गौत्र ,क्षेत्र की बात आए तो कोई भी विचार करने से पहले उसके हर पहलुओं पर विश्लेषण करे, जो व्यक्ति कह रहे है, बता रहे है उस व्यक्ति की कितनी विश्वसनीयता है, वो राष्ट्र या ह्यूमिनिटी के लिए कितना लाभदायक है, जो बाते युवाओं को बताया जा रहा है क्या वो राष्ट्र के लिए , उस युवा के लिए , या फिर समाज या बेटी सशक्तिकरण के बारे में कितना कुछ कहा जा रहा है उसकी सत्यता कितनी है, तभी युवाओं को किसी की बात मानना या ना मानना , ये उस युवा की निजी सहमति है। और हर युवा को उन सभी जानकारियों का विश्लेषण करना हर युवा की जिम्मेदारी है।

पांचवा जीवन कौशल, परिश्रम में निरंतरता को बनाए रखना है। जब जीवन में युवाओं को सफलता की राह आसान हो , जब कोई भी व्यक्ति जीवन में सफलता चाहता है तो उसे एक निर्णय तो स्पष्ट तौर पर लेना पड़ेगा कि उन्हें मेहनत करनी है और निरंतर करनी है। कभी भी मेहनत में कोई भी कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए। लगातार परिश्रम करना ही जीवन की जीवनी है।

छटा जीवन कौशल, भावनाओं में स्टेबिलिटी या भावनाओं की स्थिरता की कला , हर युवा को या व्यक्ति को अपनी भावनाओं में स्थिरता लानी होगी। क्योंकि ज्यादातर जो ठगी , भावनाओं की अस्थिरता के कारण होती है। अगर आप देखेंगे तो जान पाएंगे कि हमारी बहन बेटियां और मातृ शक्ति भावनाओं के मामले में बहुत कमजोर एवम् अस्थिर रहती है और गांवों में शहरो में ठगी कर लेते है  या बहका देते है, क्यों कि महिलाओं में विनम्रता है स्नेह है, ममता है, इसी वजह से वो भावुक होती है ऐसे केवल महिलाएं ही नही है बल्कि कुछ पुरुष भी जो भावनात्मक रूप से स्थिर नहीं है उसी कारण से ही कोई भी पाखंडी उनको पाखंड में धकेल देते है। युवाओं को अपने आप को इतना स्थिर भावना का मालिक बनाना ताकि वो अपना निर्णय सही तरह से ले सके।

सातवां जीवन कौशल, तनाव पर काबू करना। युवाओं को चाहिए कि अपने जीवन को या जीवन शैली को इतना सशक्त किया जाए कि कभी भी तनाव , जीवन में ना मंडराएं। जब व्यक्ति या युवा अपने जीवन में निष्काम कर्म को बढ़ावा देंगे और जीवन से जब कंपटीशन एवम् कैंपेरिजन को निकाल दिया जाता है तो तनाव को काबू कर लिया जाता है।

आठवां जीवन कौशल, क्रोध को पॉजिटिव रूप देना। जैसा आप जानते है कि अग्नि, खाना पकाने के काम आती है और घर में आग लगाने के भी काम आती है। हमे क्रोध को ऐसी दिशा में नही लगाना जो युवाओं का खुद का और दूसरो का भी अहित करे। हमे अपने क्रोध को अपने स्वाभिमान तथा अपनी जिंदगी को खुद के निर्माण वा राष्ट्र के निर्माण में लगाने के लिए परिश्रम करने के संकल्प के रूप में लगाएं अथवा जगाएं। क्रोध वो शक्ति है जो अग्नि प्रज्वलित करती है वो ऐसा प्रकाश देती है जो सारी दुनिया को प्रकाशमान कर देती है।


नौवां जीवन कौशल, युवाओं को अपने जीवन में सृजन को अपनाना चाहिए, जीवन रचनात्मकता के लिए है विध्वंश के लिए नही। जीवन में सदैव सृजन से पुष्पित तथा पलवित होता है। 


दसवां जीवन कौशल, सभी से समानुभूति। जीवन में लोगो के पास सहानुभूति तो होती है और उसके द्वारा लोग दूसरे के दुख में आनंद लेते है परंतु इसके विपरित समानुभुति का होना बिलकुल दूसरे के दुख को अपना समझना , यही युवाओं की पहचान होनी चाहिए।


ग्याहरवा जीवन कौशल, करूणा के साथ धैर्य रखकर सुनने की आदत डालनी चाहिए ताकि जीवन में दूसरे लोगो के दुख तकलीफ देखने की आदत भी जगे और अहंकार से मुक्ति मिले। अपने मातापिता को सुनने की भी आदत डालनी चाहिए, जीवन इन्ही कौशल का नाम है। अगर युवाओं को अपना व्यक्तित्व उच्च श्रेणी का रखना है तो जीवन को राष्ट्र को समर्पित करना पड़ेगा।
जय हिंद 
लेखक
नरेंद्र यादव
राष्ट्रीय जल शक्ति पुरस्कार विजेता