lesson: युवाओं के भरोसे को जिंदा रखने के लिए, हम सब को ईमानदारी से कार्य करने की जरूरत है
mahendra india news. com डा. नरेंद्र यादव ने बताया है कि भरोसा और विश्वास दोनों ही बड़े नाजुक शब्द है अगर एक बार टूट जाए तो दुबारा बनना बड़ा मुश्किल हो जाता है। अगर किसी के जीवन मे से भरोसा निकल जाये तो ऐसा लगता है जैसे आशा ही निकल गई है। किसी का भी जीवन भरोसे और विश्वास पर टिका हुआ है अगर उसे ही बाहर कर दिया जाए तो जीवन जीने का आनंद ही खत्म हो जाता है।
प्रेरणा से सफर आसान होता है
युवा अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण आयु होती है जिसमे कोई भी व्यक्ति बड़े बड़े और सुनहरे सपने देखता है और उसे पूरा करने के लिए अथक प्रयास भी करता है। जैसे कि हम सभी जानते है युवा अवस्था चुनोतियों की आयु है बहुत सी कठिनाइयों के साथ हर युवा, अपने भविष्य को सुंदर बनाने के लिए प्रयत्न करता है, और जीवन की आशा, विश्वास व भरोसे के साथ ही आगे बढ़ता है युवाओं में बेहद शक्ति का संचार होता है परन्तु फिर भी उन्हें किसी न किसी की मेंटरिंग की जरूरत होती है जिसकी प्रेरणा से उसका सफर आसान होता जाता है।
फिर सही दिशा देने का कार्य करते है
किसी भी युवा के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद मेंटर माता पिता होते है जो अपना 100 फीसद अपने बच्चों को देते है परंतु फिर भी भविष्य के सफर में बहुत से ऐसे लोग होते है जो यदा कदा मिलते रहते है और या तो वो युवाओं को यूज करते है या फिर सही दिशा देने का कार्य करते है, कभी कभी युवाओं के जीवन मे जोश इतना भरता है कि वो बड़ी ही आसानी से अपने कैरियर के रास्ते को बहुत सफलता से पूरा कर लेते है लेकिन कई बार कुछ ऐसे महानुभाव मिल जाते है जो किसी के जीवन को भी पटरी से उतार कर अपना उल्लू सीधा कर लेते है, उन सरलता लिए हुए युवाओं को यूज कर, ऐसे छोड़ देते है जैसे वो उनको जानते भी नही है। मैंने बहुत बार देखा है कि ढेर सारे नवयुवक अपने को दिखाने के लिए ऐसे लोगो के चंगुल में फंस जाते है जो उन्हें अपने एजेंडे के अनुसार उनसे काम कराते है, कुछ काम ऐसे भी करा लेते है जो अवैधानिक होते है और उन युवाओं के भविष्य को मझधार में छोड़ कर खुद निकल जाते है, कुछ लोगो को नशे का लालच दिखा कर यूज किया जाता है।
और ऐसे कितने ही बच्चो के भविष्य को दांव पर लगा देते है। कुछ लोग ऐसे होते है जो अपने नकारात्मक एजेंडे को पूरा कराने के लिए किसी के भरोसे और विश्वास को तार तार कर देते है, जिसे दुबारा बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। और आगे से कोई भी व्यक्ति किसी बहुत सभ्य लोगो पर भी विश्वास नही करते। ऐसी गतिविधियां जो कुछ स्वार्थी , व राष्ट्र विरोधी लोगो द्वारा की जाती है परन्तु वो राष्ट्र के विश्वास की जड़ो को हिलाने का काम करती है। हो सकता वो , युवाओं को ऐसे गर्त में धकेल कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहा होगा । परन्तु ये कार्य समाज को पूर्ण रूप से हिला देते है।
अब समय ऐसा आ गया
कितनी मार्मिक बात है लेकिन आज तो हर कदम पर लोग न जाने कितने लोगों के साथ ऐसी ऐसी घटनाएं करते है और लोग ठगे जाने के बाद भी कुछ नही बोलते है। अब समय ऐसा आ गया कि कोई किसी की मदद नही करना चाहते। इससे सबसे बड़ा नुकसान क्या हुआ कि जो लोग वास्तव में मदद के हकदार थे उनकी भी कोई मदद नही करते। क्या ये करतूत विश्वास व भरोसे को तोड़ने के लिए काफी नही है। जब हम अपने गलत एजेंडे के लिये किसी के जीवन को खतरे में डाल देते है तो क्या ये करतूत कभी क्षमा करने योग्य हो सकती है लेकिन आज भी ऐसे लोग है जो छोटे से, रोजी रोटी के लालच देकर न जाने कितने युवाओं को जीवन की पटरी से नीचे उतार देते है। कुछ लोग तो शराब और केवल रोटी के लालच में ही युवाओं को यूज करते है और जब उम्र निकल जाती है तो उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है। बाद में वो ही युवा अपराध की तरफ बढ़ जाते है, कोई बहन बेटियों के साथ गलत छेड़छाड़ करते है।
बहुत सी बार, युवा बेचारे जीवन मे नशे के जाल में इस प्रकार जकड़ जाते है कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है, कुछ युवा ऐसे तस्करों के हत्थे चढ़ जाते है जो उनको जेल तक मे भिजवा देते है। फिर बाद में वो कहीं के भी नही रहते। जब हम किसी युवा के जीवन को राष्ट्र को समर्पित करना चाहते है तो हमे उनके रास्ते को प्रशस्त करने के लिए उसमे विश्वास जगाना पड़ता है, भरोसे के सहारे ही युवा अपनी मंजिल तक का सफर तय करते है, और प्रत्येक युवा अपनी शक्ति को ऐसे स्तर पर ले जाता है कि वो राष्ट्र के विकास में काम आती है। बड़े बड़े लोगो की कमाई का शिकार , युवा पीढ़ी ही होती है जैसे एड उधोग में काम करने वाले फ़िल्म जगत के लोग भी तो युवाओं को ही तो चीट करते है जैसे शराब की एड, तम्बाकू की एड, पान मशाले कि एड, सौंदर्य प्रसाधनों की एड, शैम्पू की एड , ब्रांडेड जूते कपड़ो की एड, पानी की एड, पिज़ा बर्गर की एड, फ़ास्ट फ़ूड की एड , सभी के निशाने पर युवा पीढ़ी ही तो है, क्या ये लोग देशभक्ति का काम कर रहे है, क्या ये युवाओं के चरित्र निर्माण का काम कर रहे है, क्या ये जीवन की सादगी की एड कर रहे है, क्या ये पालक खाने व अंकुरित चने से स्वस्थ शरीर की पब्लिसिटी कर रहे है , क्या ये देशी घी की एड कर रहे है, या ये किसानों के गेंहू की एड कर रहे है, ये तो युवाओं को पटरी से उतारने की बात कर रहे है और अपने घर भर रहे है।
क्या कभी कोई एक्टर फ्री में एड करता है नही बिल्कल नही करते है और उन्हें ये भी पता है कि एड की वजह से इस वस्तु की कीमत लगभग दुगनी हो जाती है लेकिन फिर भी गरीब लोगों को ये लूट ही रहे है, ये बिल्कूल , युवाओं की जिंदगी के लिए घातक है। क्या कभी कोई फ़िल्म जगत के लोग जो किसी भी चीज की एड करते है वो युवाओं के मन की व्यथा को जान सकते है या उनकी पीड़ा को पढ़ सकते है, क्या वो युवाओं की आर्थिक स्थिति को जान कर कोई एड लेते है, क्या ये लोग युवाओं की स्थिति का अंदाजा लगा सकते है जब वो ऐसे लोगो की एड की वजह से अपने मातपिता के साथ बवाल करते है और उनका जीना हराम कर देते है, बेचारे गरीब मातपिता अपनी कष्ट कमाई से उन युवाओं की मांग पूरी करते है जो ऐसे एड देखकर अपनी डिमांड को जगा लेते है और न केवल अपने जीवन को बल्कि अपने पेरेन्ट्स के जीवन को भी परेशानी में डालते है। युवा पीढ़ी बेचारी चारों तरफ से घिरी हुई पीढ़ी है जिनके ऊपर स्वास्थ्य की चिंता, भविष्य की चिंता, कैरियर की चिता, पियर प्रेसर , और न जाने कैसे कैसे दबाव है फिर ऊपर से लोग उनकी एनर्जी का दुरुपयोग करने के लिए मंडरा रहे है।
अब तो जरुरत इस बात की है कि हम किसी भी यूथ के साथ चीटिंग न करे, उनकी सेहत का, उनकी शिक्षा का, उनके चरित्र का , उनके स्वाभिमान का, उनके भविष्य का व उनके पौष्टिक भोजन का , उनके मातापिताओं की अपेक्षाओं के साथ कोई भी , कभी भी धोखा न करे और उनके जीवन मे ईमानदारी के साथ झांके। उन्हें कभी भी नशे, फ़ास्ट फ़ूड, अपराध, अनैतिकता और नकारात्मकता तथा सेक्स की तरफ न धकेले। सभी युवाओं को उनके असली रूप निर्भय, निष्पक्ष , स्वाभिमानी, साहसी, हिम्मती, उत्साही , ईमानदार , देशभक्त ही रहने दे। उन्हें उनके मातपिता के देखभाल करने वाले बने रहने दे। युवा पीढ़ी , हमारे राष्ट्र की धरोहर, सम्पदा, सम्पति और संजीवनी है। उन्हें सहेज कर रखने की जरूरत है। इसलिए इनका भरोसा न तोड़े और न टूटने दे।
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवार्डी
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार