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lessons for youth: युवाओं को आलस्य का मोह छोड़ देना चाहिए, क्यों है युवावस्था मानव जीवन की तिजोरी

अब समय आ गया है कि वो अपने स्वाभिमान को जगाएं

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 नरेंद्र यादव नेशनल वाटर अवॉर्डी

mahendra india news, new delhi

आलस्य जीवन का निकृष्ट क्षण है जिसे आज की युवा पीढ़ी अपने आलिंगन में लिए हुए है, युवावस्था में आलस्य का होना ,मतलब जिंदगी को नकार देना है। युवाओं के जीवन का एक एक पल ऊर्जा से भरा होना चाहिए तभी तो कोई भी इंसान युवा होने का लक्ष्य रख सकता है वरना कौन युवा, कौन बूढ़ा, कौन बच्चा सभी तो बराबर है, अगर आयु से नही कम से कम शरीर की ऊर्जा से तो युवा को युवा दिखना चाहिए। 

युवावस्था मानव जीवन की तिजोरी 
युवावस्था, मानव जीवन की तिजोरी है जिसमे न जाने कितना आभूषण भरा होता है इसकी सभी को उम्मीद भी होती है लेकिन अगर तिजोरी खुले तथा वह खाली निकले तो तिजोरी को तिजोरी कौन कहेगा, एक कहावत है हमारे यहां कि जब तक मु_ी बंद है तब तक वो लाख की है परंतु खुलने पर पता चलता है कि वो लाख की है या फिर खाक की है, लेकिन तिजोरी से अपेक्षा तो यही होती है कि उसमे हीरा, जवाहरात, और पैसा निकलेगा जरूर लेकिन अगर खाली निकले तो उसे कोई तिजोरी नही बोलेगा, वही बात युवाओं के संबंध में है अगर उसमे स्फूर्ति, ऊर्जा, ताकत, बल,जीवंतता नही है तो वह युवा नही है, अगर युवा में हिम्मत, हौंसला, उत्साह, करूणा , दया, जस्टिस, परिश्रम, मेहनत, हार्डवर्क, ईमानदारी और सत्यता नही है तो वो युवा नही है।

युवा साथियों , भगवान श्री कृष्ण जी महाराज द्वारा दिए गए श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश में भी यही कहा गया है , श्रीमद्भगवत गीता के प्रथम अध्याय अर्जुन विषाद योग में अर्जुन द्वारा मोह ग्रस्त होने पर अपना गांडीव धरुष छोडक़र अपने रथ के पिछले हिस्से में अवसादित होकर बैठ गए थे तो श्री भगवान श्री कृष्ण जी ने श्रीमद्भागवत गीता के द्वितीय अध्याय में उन्हे उपदेश देते हुए प्रेरणात्मक उद्घोष में कहा था कि अर्जुन तुम अपना मोह त्याग दो, तुम बेवजह ही इन अधर्मी लोगो के प्रति मोहग्रस्त हो। 

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श्रीकृण जी महाराज ने कहा था कि ये तो पहले ही मरे हुए है, ये तो अपने अधर्म की वजह से मेरे द्वारा मारे जा चुके है तुम निमित मात्र हो, तुम्हारे ऊपर कोई पाप नहीं लगने वाला है, ये भूल जाओ अर्जुन की ये पहली बार मर रहे है न जाने ये लोग कितनी बार आए है इस धरती पर और  तुम कितनी बार इस धरती पर आए हो, न जाने कितनी बार आप मरे है और कितनी बार ये सभी मारे गए है, हे पार्थ तुम मोह त्याग दो और खड़े होकर अपना गांडीव उठाओ तथा अधर्म के विरुद्ध लड़ाई लड़ो, ये धर्म और अधर्म की लड़ाई है ये परिवार के बीच की लड़ाई नहीं है ये रिश्ते कोई मायने नहीं रखते, इसलिए रिश्तों के मोह को छोड़ दो, परिवार के मोह को त्याग दो, तात श्री, गुरु जनों वा प्रिय स्वजनो के मोह को छोड़ कर युद्ध करो। 


आज उसी श्रीमद्भागवत गीता को साक्षी मान कर भगवान श्री कृष्ण जी के प्रेरणा को याद करते हुए मैं युवाओं को ये प्रेरणा देता हूं कि हे युवाओं इस अधर्म रूपी आलस्य को त्याग दो और जीवन का युद्ध लड़ो, जीवन में संघर्ष करो, चाहे तुम्हारे रास्ते में कोई भी विपदा आए , सभी को छोड़ कर आगे बढ़ो, युवा साथियों गीता के दूसरे अध्याय में भगवान श्री कृष्ण जी यही तो एक युवा योद्धा को उपदेश देते है वही तो आज मैं कहा रहा हूं कि तुम भी भगवान श्री कृष्ण को सामने अपने इष्ट के रूप में मानते हुए अपने मोह को छोड़ दो, तुम्हारे सामने बहुत सी बाधाएं है जो तुम्हे युवा बनने से रोक रही है,जहां से आलस्य उत्पन्न होता है , आप सभी को इतना तो पता ही है कि आलस्य और ऊर्जा वा उत्साह का स्रोत कौन सा है। आलस्य , नकारात्मकता है और ऊर्जा , उत्साह सकारात्मकता का प्रतीक है, अब हमारे देश के युवाओं को ये तय करना है कि तुन्हें ऊर्जा चाहिए या फिर निरुत्साह या आलस्य चाहिए। अगर आज की पीढ़ी के युवाओं के पास जंक फूड, मैदा, चीनी, नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, कोल , पेप्सी, रियल जूस की सेप में अनरियल जूस, चिप्स, कुरकुरे, नमकीन,पैक्ड फूड का ऑप्शन है तो निश्चित ही वो सुस्ती के शिकार और निर्बलता के शिकार होंगे।

उनके शरीर में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिंस, जिंक, ह्यूमोग्लोबिन की कमी होगी और ये भोजन किसी को भी तरह से ऊर्जा नही दे सकते है, और जब शरीर को ऊर्जा नही मिलेगी तो शरीर जर्जर होगा, बीमारियों से घिरा होगा अगर युवाओं को शक्ति बल, ऊर्जा और स्फूर्ति उत्साह चाहिए तो सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही, मखन, अंकुरित चने , अंकुरित मूंग, अंकुरित मेथी, खीरा, अलग अलग प्रकार के फ्रूट, ड्राय फ्रूट, हल्दी वाला दूध, गिलोय का पानी, मोटा अनाज, श्री अन्न, मल्टी ग्रेन आटे की रोटी, सुबह का नाश्ता या खाना हैवी तथा पौष्टिकता वाला लेना चाहिए। नाश्ते में मैदा , चीनी, वा ज्यादा नमक को त्यागना चाहिए, लस्सी पीयो, ताजा जूस पीयो। मेरा युवा पीढ़ी से यही निवेदन है कि तुम्हारा भोजन रीजन और सीजन के अनुसार होना चाहिए तब आपको न केवल फुर्ती मिलेगी बल्कि उत्साह और ऊर्जा भी मिलेगी, आप का जीवन की धारा ही बदल जाए, अगर आप में ऊर्जा होगी तो हर समय तुम उत्साह महसूस करेंगे, तथा उत्साह ही किसी भी जीवन में आनंद भरता है। जीवन उत्साही बनता है। हे युवाओं आज ही स्वाद का मोह त्याग दे, 


मीठे नमक का मोह त्याग दे, ए सी का मोह त्याग दे, कोल्ड्रिक्स का मोह त्याग दे, बीयर वा शराब का मोह त्याग दे, रजाई का वा बिस्तर का मोह छोड़ दे, जंक फोड , पीज़ा , बर्गर , मैदा का मोह छोड़ दे, गलत संगत का मोह छोड़ दे , गलत दोस्तो का मोह छोड़ दे, तभी आलस्य का मोह छूटेगा क्योंकि ऊर्जा और उत्साह , कभी भी आलस्य को जिंदा नही रहने देंगे इसलिए ऊर्जा और उत्साह , पौष्टिक भौजन और व्यायाम द्वारा लेकर आए। कुछ व्यायाम ऐसे है जो शायद आज की जेनरेशन के लिए बहुत जरूरी है , आज हमारे  शहर के बच्चे ही नही बल्कि गांव के बच्चे भी पोटी पोज में नही बैठ सकते है, 


नीचे बैठकर खाना नही खा सकते है, दौड़ नही लगा सकते है, बच्चे उक्कुडू नही बैठ सकते है, प्लाथी मार कर नही बैठ सकते है ये सभी प्रकार की एक्सरसाइज बच्चो को निरंतर करनी चाहिए। तभी वो स्वस्थ होंगे और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के बाद ही आप आलस्य को त्याग सकते है, आलस्य त्याग के बाद , सभी युवा अपने को राष्ट्र निर्माण में , स्वनिर्माण में तथा सत्य तथा सद्भावना के स्थापना में लग पाएंगे। चलो मिल कर अपने को आलस्य से निवृत करते है और ऊर्जा तथा उत्साह के द्वारा जीवन संसार के उत्थान में लगाते है।
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी