Lesson: ओम की ध्वनि ब्रह्मांड की सबसे पावरफुल ध्वनि है, विद्यार्थी इसके उच्चारण से सभी कमजोरियां से मुक्त हो सकते है
mahendra india news, new delhi डा. नरेंद्र यादव बताते हैं कि ब्रह्मांड में अगर कोई ध्वनि गुंजायमान है तो ओम की ध्वनि है, ये प्रकृति के हर जगह से निकल रही है। विद्यार्थी एक ऐसा वर्ग है जिसे सबसे अधिक एकाग्रता की आवश्यकता है, विद्यार्थियों को ही याददस्त की भी जरूरत है, विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा ऊर्जा की जरूरत है, इसी वर्ग को सबसे ज्यादा ध्यान की जरूरत होती है और विद्यार्थियों को कैसे स्फूर्तिवान, बलवान, उत्साहित करने की जरूरत है। आप सभी ने महसूस किया होगा जब हम कहीं जंगल से निकलते है, धीरे धीरे हवा चल रही होती है।
अगर कहीं पहाड़ो से हवा टकराकर चलती है तो एक आवाज आती रहती है जो ब्रह्मांड की आवाज होती है उसे ही ओम की ध्वनि कहा जाता है। इस ब्रह्मांड में एक ही ध्वनि है जो सबसे पहले आई तथा चारो तरफ से वो ही ध्वनि आ रही है जिसमे तीन वर्ण है अ, ऊ, और म इनसे ही मिल कर बना है ओम। वैसे तो ॐ में कोई वर्ण नही परंतु इसे पढऩे की दृष्टि से ओम लिखा जाता है।
आज भी इंसान मुंह बंद करके गुंजन करता है तो उसमे भी ॐ की ध्वनि होती है उस ध्वनि में एक अलग सा स्पंदन होता, एक अलग सा संघर्षण होता है जिससे पूरे शरीर में वाइब्रेशन होने लगती है तथा शांति सी महसूस होती है। अगर कोई भी व्यक्ति ओम का उच्चारण करे, ओम का गुंजन करे, या ओम को बारंबार बोले तो ध्यान लगाना आसान हो जाता है।
आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण जी महाराज ने गीता के दसवें अध्याय में कहा है कि मैं शब्दो में ओम हूं। विद्यार्थी जीवन के लिए मैं यहां ये कहना चाहता हूं कि हमारे विद्यार्थियों के लिए पूरी ऊर्जा को एक बिंदु पर लाने के लिए, मन एकाग्र करने के लिए, परिश्रम करने के लिए , मेमोरी बढ़ाने के लिए एक ही उपाय है और वो है ओम का सहारा लेना। एक जीवन में ओम के उच्चारण से बड़ा कोई भी ध्यान का मार्ग नही है। मैं यहां विद्यार्थियों के शुद्धिकरण के लिए चार स्टेप्स में प्रक्रिया बता रहा हूं कृपया ध्यान से पढऩा।
प्रथम स्टेप, सभी विद्यार्थी एक कमरे में या हो सके तो गोल गुंबज वाले कमरे में शांत बैठ जाए और मन को एकाग्र करके बार बार ओम का जोर जोर से उच्चारण करे, एक ॐ ध्वनि दूसरी ध्वनि के बीच में स्थान न बचे इस तरह से उच्चारण करना है और अपनी क्षमता के अनुसार जोर जोर से लगभग 10 मिनट तक करना है जिससे जो ओम की ध्वनि मुंह से निकलकर कमरे की दीवारों से टकराकर तुम्हारे शरीर पर पड़े, ये प्रक्रिया विद्यार्थियों को ध्यान लगाने के लिए सबसे उपयुक्त है।
द्वितीय स्टेप में ओम का गुंजन करना है पहले ध्वनि कमरे की दीवारों से टकरा रही थी अब ध्वनि शरीर की दीवारों से टकराएगी और यह ॐ ध्वनि मन पर गिरेगी जिससे मन शांत होगा और अपना समर्पण करेगा।
तृतीय स्टेप में ओम की ध्वनि तेजी से हूं हूं की आवाज में जोर जोर से बाहर फैंकनी है जिससे जो भी कचरा अंदर जमा है वो सब बाहर निकल जाए , इसमें किसी प्रकार की हिचक नहीं करनी है। 10 मिनट तक ये हूं हूं की आवाज, नाचना, हंसना ये सब करने के बाद चौथे स्टेप में, एक जगह शव आसन में रहना है और शरीर के भीतर हो रही उस नाद को महसूस करना है जिससे की मन में किसी भी प्रकार की भावनात्मक अस्थिरता ना रहे। और किसी भी विद्यार्थी का मन मस्तिष्क शांत, स्थिर, एकाग्र, मौन होकर पूरी वीर्य ऊर्जा को उर्धगामी बनाने का प्रयत्न करे जिससे अपना जीवन अथवा भविष्य प्रकाशमय हो जाए।
अगर विद्यार्थियों के अलावा भी कोई व्यक्ति ओम का उच्चारण मंत्र के रूप में करते है तो आप सभी भी अनुभव भी किया जा सकता है जब हम ओम का जितनी तेज आवाज में उच्चारण या गुंजन करते है तो पूरे शरीर वा मस्तिष्क में स्पंदन होने लगता है, दांतो मे थराहट पैदा होती और हर व्यक्ति इस वाइब्रेशन को महसूस करते है। मैं यहां युवाओं तथा विद्यार्थियों को इसलिए फोकस करता हूं क्योंकि वो ही इस समाज, राष्ट्र की शक्ति है उनकी ऊर्जा और उत्साह को बचाना आवश्यक है।
हम युवाओं या विद्यार्थियों को भेड़ बकरियों की तरह ट्रीट नहीं कर सकते, ये कोई कीड़े मकोड़े नही है जिनको ऐसे ही छोड़ दिया जाए फिर आने वाले समय क्या ऐसे युवा देश चलाएंगे जो बिल्कुल कमजोर रह जायेंगे, या शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर रह जायेंगे तो क्या खाक देश की सेवा कर पाएंगे। हमारे पास इस ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली मंत्र है और अगर हम अपनी संस्कृति द्वारा दिए गए मंत्र को अपने ही युवाओं और विद्यार्थियों को नही देंगे तो फिर किसको देंगे। जिस महामंत्र को वैदिक संस्कृति से ईसाइयों ने आमेन के नाम से अंगीकार कर लिया और उसका अभ्यास करते है।
इस्लाम ने आमीन के नाम से अंहकार कर लिया, सिख धर्म ने एक ओंकार के नाम से स्वीकार करके इसका उच्चारण करके अपना उत्थान कर रहे है और हम जिन्होंने इस महामंत्र की खोज की और जो मंत्र मूलरूप में है , क्यों हम उसे अपनी युवा पीढ़ी या विद्यार्थियों को अभ्यास के लिए नही देना चाहिए, क्या ये महामंत्र बुगुर्गो के लिए है जिनका अब कुछ नहीं हो सकता है। हमे तो अपनी युवा पीढ़ी तथा युवाओं को बचाना है , उसे नशे से बचाना है, उसे सेक्स से बचाना है, उसे अवसाद से बचाना है , उसे जीवन में सशक्त बनाना है, इन सब के लिए महामंत्र ओम की जरूरत है। इस महामंत्र ओम को हर युवा एवम् विद्यार्थियों को अपनाना चाहिए और खूब , लगातार उच्चारण वा गुंजन करना चाहिए ताकि हम एक सशक्त युवाओं की फौज तथा विद्यार्थियों को तैयार कर सके।
जय हिंद
लेखक
नरेंद्र यादव
राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेता