mother in life: जीवन में एक मां का क्या है योगदान, आपके जीवन में आप कभी शांत बैठकर दृश्य दर दृश्य इमेजिन करे
mahendra india news, sirsa नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने बताया कि मां की महिमा जानते तो सब होंगे परन्तु मानते बहुत ही कम लोग है। क्या आपने कभी दृश्य देखा हो या किसी मूवी में देखा हो कि कैसे कोई व्यक्ति अपनी मां को अनाथलय या किसी स्टेशन पर या कहीं भी भीड़ में छोड़ कर चले जाते है, वो एक बार भी उस मां की परेशानी व पीड़ा को ध्यान में नही रखता।
बच्चे की नींद न टूट जाए
दोस्तो मैं आज एक रेस्टोरेंट में डिनर करने गया था तो मैंने सामने वाली टेबल पर एक यंग माँ को देखा जो अपने लगभग छह माह के बच्चे को कंधे से लगाकर बैठी थी और उनका पूरा परिवार बड़े मजे से भोजन कर रहा था तथा आनंद कर रहे थे लेकिन वो माँ अपने बच्चे के लिए हिलना भी नहीं चाह रही थी कभी बच्चे की नींद न टूट जाये, मैं ये दृश्य देखते हुए सोंच रहा था कि एक माँ , कैसे अपने बच्चे के लिए अपनी सभी खुशियां न्यौछवर कर देती है। और ये तो बहुत ही साधारण दृश्य है, ऐसे कितने ही दृश्य एक माँ के जो बच्चे को पालते हुए आते है जिसमे रात के वो मुश्किल भरे काम जब बच्चा रोता है और माँ उसके लिए पूरी पूरी रात जगती है लेकिन कभी भी अपनी तखलिफ़ किसी को नही बताती है।
कभी समय मिले तो शांत बैठ कर
एक व्यक्ति को पालने पौषने में एक माँ का कितना समय लगता है और कितनी मुश्किल और पीड़ा से गुजरती है क्या कभी किसी ने अपने जीवन मे विचार किया है दोस्तो अगर कभी समय मिले तो शांत बैठ कर , आपके जीवन को बनाने में आपकी माँ का क्या कॉन्ट्रिब्यूशन है उस मूवी को अपने दिमाग मे जरूर चलाना, तब आप सभी को ये बात समंझ में आएगी की जब हम बड़े हो जाते है और शादी हो जाती है तब माँ के प्रति क्या रवया होता है वो बहुत पीड़ा देने वाला होता है एक माँ के लिए।
बहुत खुशी से अपने बच्चो को पालती है
साथियों इस धरती पर माँ, जैसा कोई प्राणी नही है जो बिना फीस के, बहुत खुशी से अपने बच्चो को पालती है, पढ़ाती लिखाती है , वो कभी भी अपनी जिंदगी की खुशियों के बारे में नही सोंचती है लेकिन क्या हम उसके बदले थोड़ा भी ऋण उतार पाते है शायद नही। इसी को लेकर आज का ये लेख है, मैं आपके सामने ऐसे कुछ ही दृश्य रख रहा हूँ जो एक माँ के जीवन मे आते है जब वो अपने बच्चों का पालन पौषण करती है। आप सभी नीचे बताएं गए दृस्यो को
कृपया इमेजिन जरूर करना ताकि एक माँ के साथ हम सब न्याय कर सके:-
दृश्य 1. जब कोई भी स्त्री अपने बच्चे को जन्म देती है वो खुशी के साथ साथ गर्व भी महसूस करती है, वो खुशी और गर्व उसके चेहरे से झलकती है।
दृश्य 2. जब बच्चा बिल्कुल छोटा होता तो उसकी तखलिफ़ के साथ ही माँ को भी दुख होता है और उसके आराम के लिए माँ रात रात भर जगती है। इसे इमेजिन करिए कि कितना मुश्किल होता रात भर जागना।
दृश्य 3. जब बच्चे को परेशानी होती है तो वो कैसे रात में भी बच्चे के लिए डॉक्टर के पास भागती है उसे दिखाने के लिए। और उसको दवाई दिलाकर ही चैन लेती है।
दृश्य 4. जब कभी घर परिवार में शादी विवाह होता है तो वो अपने बच्चे के लिए कैसे सभी खुशियां छोड़कर बच्चे के साथ रहती है और अपना खाना पीना छोड़कर कैसे पहले बच्चे को खिलाती है और फिर खुद खाती है, इमेजिन करो उस पल को।
दृश्य 5. जब कभी परिवार के साथ एक माँ को किसी होटल या रेस्टॉरेन्ट में खाने के लिए जाना पड़ता है तो वो अपने बच्चे को साथ लेकर जाती है और उसको पहले खिलाती है तथा अपने खाने का इतना ख्याल नही रखती है उनका व्यवहार ऐसा होता है कि किसी भी प्रकार से बच्चे को परेशानी नही होनी चाहिए।
दृश्य 6. जब कोई माँ किसी खरीददारी के लिए बाजार जाती है और छोटा बच्चा वहां कुछ भी मांग ले जैसे खिलौना, आइसक्रीम या कोई भी खाने की चीज, तो माँ उसकी इच्छा पूर्ति के लिए कैसे अपनी जरूरी सामान पर भी कटौती कर , उस बच्चे को मन चाही वस्तु दिलाती है।
दृश्य 7. जब बच्चा स्कूल जाने लगता है तो कैसे सुबह जल्दी उठकर उसको नहलाना, कपड़े पहनना व स्कूल के लिए टिफिन तैयार कर के बच्चे को भागती भागती बस तक छोड़ती है या खुद स्कूल छोड़ कर आती है और अपनी सभी इच्छाओं को त्याग देती है।
दृश्य 8. जब स्कूल में बच्चे को दिक्कत होती है और स्कूल से सूचना आती है कि आपके बच्चे को कोई तखलिफ़ है तो सब कुछ छोड़कर कैसे एक माँ भागती है अपने बच्चे को देखने के लिए, क्या ये इमेजिन कर सकते हो तो करो।
दृश्य 9. जब बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो कैसे एक माँ उसे तैराकी सिखाने के लिए, उसको सकेटिंग सिखाने के लिए रोज लेकर जाती है और अपनी सभी जरूरी कार्यो को कैसे समायोजित करती है ये माँ से सीखना चाहिए, की कैसे स्नेह को प्रदर्शित किया जाता है।
दृश्य 10. जब बच्चा छोटा होता है और सर्दी के दिन होते है और बच्चा रात में बिस्तर में पेशाब व पोट्टी कर देते है तो कैसे रात में ही बिस्तर को बदलती है और सूखा बिस्तर बच्चे के नीचे बिछाती है और गीले पर खुद सोती है क्या कभी ये रातों की आरामदायक नींद का त्याग सोंचा है।
दृश्य 11. जब गर्मी के दिन होते है और बच्चा रात में बार बार पानी मांगता है और एक माँ बार बार उठकर उसे पानी पिलाती है तथा बच्चे की मांग पूरी कर के भी खुशी महसूस करती, और कभी भी बच्चे को डांटती नही ।
दृश्य 12. जब बच्चा कभी किसी वस्तु के लिए जिद करते है तो कैसे एक माँ अपने पास बचाई हुए पैसे से अपने बच्चे की जिद को पूरा करती है, आप इस दृश्य पर गौर करना।
दृश्य 13. जब बच्चा छोटा होता है और बार बार दूध पीता है तो अपनी नींद को छोड़कर एक माँ कैसे उसकी भूख शांत करती है उसे भी इमेजिन करने की कौशिश करे।
दृश्य 14. जब माँ, कभी अपने बच्चे के साथ सफर कर रही है और रास्ते मे कोई परेशानी बच्चे को हो जाती है तो कैसे एक माँ बस या ट्रैन को रुकवा कर अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाती है और दवाई दिला कर , उसे राहत देती है ये सीन भी कभी मष्तिष्क में लेकर आये।
दृश्य 15. जब कभी एक माँ को अपने बच्चे की सेहत या अपनी सेहत में से एक को चयन करना हो तो वो सदैव बच्चे की सेहत को ही आगे रखेगी और अगर एक माँ को अपने खाने व अपने बच्चों के खाने की पसंद में से एक का चयन करना हो तो भी एक माँ अपने बच्चों की पसंद को ही मानती है।
दृश्य 16. कभी कभी अपने बच्चे के कैरियर के लिए कैसे एक माँ अपने अच्छे खासे कैरियर व भविष्य की न सोंच कर , अपने बच्चों के कैरियर या पढ़ाई लिखाई के लिए सब कुछ छोड़ देती है वो पल भी कभी शांत बैठ कर इमेजिन करे।
दृश्य 17. जब बच्चा छोटा होता है और बोलना शुरू करता है तो बच्चा कैसे बार बार नए नए सवाल पूछता है और माँ उसके हर सवाल का जबाव देती है भले ही वो उटपटांग हो, या उसका जबाव न भी ही तो भी एक माँ बिना इरिटेट हुए जबाव देती है , उससे हम क्या सीख सकते है ये इमेजिन करो।
दृश्य 18. जब बच्चा खेलने के लिए बाहर जाता है और किसी भी प्रकार की चोट खाकर आता है तो एक माँ उसकी गलती देखे बगैर कैसे उसकी मरहम पट्टी करती है। वो कभी भी बच्चे को हतोउत्साहित नही करती।
दृश्य 19. जब रात में बच्चे नही सोते है तो माँ कैसे उसको लोरी सुना कर या कोई कहानी सुना कर उसे सुलाने की कौशिश करती है, और इसके विपरीत अपनी दुख परेशानी को ध्यान में लाये बगैर , खुशी खुशी बच्चो का ध्यान रखती है।
दृश्य 20. जब माँ अपने बच्चे को खाना सीखाती है और बच्चा कई बार उल्टी भी कर देता है, वह माँ बगैर किसी घिन के उसे अपने कपड़े से साफ करती है तो भी उसे खुशी व गर्व होता है। इसी तरह जब बच्चे को चलना सिखाती है तो भी बच्चा बार बार गिरता है तब भी वो माँ अपने बच्चे को मोटीवेट करती है और चलना सिखाती है।
कैसे उसके योगदान को भुलाकर
दोस्तो, जब वो ही माँ बूढ़ी हो जाती है तो कैसे उसके योगदान को भुलाकर हम उसे कहीं भी अनाथलय में छोड़ने को तैयार हो जाते है क्या उस कुकृत्य से पहले हमने शांत बैठ कर अपनी माँ के योगदान का आंकलन किया है जो उन्हौने आपकी जिंदगी में दिया है। क्यों हमे उनकी कोई भी सलाह बुरी लगने लगती है क्यों हमे उनकी कोई बात भी काटने को दौड़ती है, क्यों हम उनके आगे इरिटेशन दिखाने लगते है।
बुजुर्ग माँ के बेटों से ये कहना चाहता हूँ
मैं, आज इस लेख के माध्यम से उन सभी बुजुर्ग माँ के बेटों से ये कहना चाहता हूँ कि आपको पालने पौषने में एक माँ में 22 -24 साल खर्च होते है जिन वर्षों में वो माँ कभी भी चैन से नही सोई होगी जिसने तुम इस धरती माँ पर लाने , बड़ा करने और शिक्षित करने का विराट कर्म किया है। अगर आप सभी बेटों में से कोई भी अपनी माँ के त्याग को परखना चाहते है तो उनके द्वारा किये कार्य जिनमे से जो कुछ मैंने कुछ दृस्यो के माध्यम से आपके सामने रखे है तो आप शांत बैठ कर उन दृश्यों को इमेजिन जरूर करना ताकि आप सभी उस माँ के सच्चे दर्शन हो सके ।
आप सभी निम्न प्रश्न , अपने मन से पूछ सकें:-
1. जिस माँ ने मेरी सभी बातों पर गौर किया , आज उनकी एक बात भी मुझे क्यों बुरी लगती है ?
2. जिस माँ ने मेरे लिए रात रात भर की नींद खोई है , आज मैं उनकी एक रात भी सेवा क्यों नही कर पा रहा हूँ?
3. जिस माँ ने मेरी छोटी सी तखलिफ़ के कारण भी रात में भी डॉक्टर को दिखाया था तो क्यों आज मैं , अपनी माँ की बड़ी तखलिफ़ को भी इग्नोर करता हूँ ?
4. जब मेरी माँ ने मेरी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जिद को भी बड़ी खुसी से पूरा किया था तो आज क्यों मैं, अपनी माँ के नजर के चश्मे बनाने में भी दिक्कत होती है?
5. जब मेरी माँ ने सर्दियों की ठंडी रातों में भी मुझे सूखे बिस्तर पर सुलाकर वो खुद गीले बिस्तर पर सोई फिर भी मैं, क्यों अपनी माँ के लिए एक सुंदर बिस्तर का प्रबंध नही कर सकता ?
6. जब एक माँ ने हमारे छोटेपन में हमारे हजारों सवालों के जबाव दिए है तो आज हमें, उनका एक सवाल भी क्यों खलता है ?
7. जब एक बुजुर्ग माँ ने अपने बच्चों को कई वर्षों तक नहलाया और साफ कपड़े पहनाकर स्कूल भेजा था तो आज हम , उन्हें एक दिन भी नहलाने में क्यों नफरत करते है ?
8. जब एक माँ ने तुन्हें सदैव खुशी और गौरव से बड़ा किया तथा अपने सभी बच्चो की सभी बातों को बड़े चाव से सुना और भरी भीड़ में भी तम्हारे नाक, मुहँ साफ किये, अपने बच्चों के शुशु पोट्टी बड़े गर्व के साथ साफ किये तो आज हमे अपनी बुजुर्ग माँ को साथ ले चलने में क्यों नही गर्व महसूस होता है ?
9. जब एक माँ ने अपने बच्चों पढ़ाई, खेल, परीक्षा के लिए अपनी सारी खुशियां न्यौछवर कर दी तो आज हम उस माँ कर लिए एक दिन भी क्यों नही देना चाहते ?
10. जब एक गरीब माँ ने अपनी के कमजोर आर्थिक स्थिति होने पर भी अपने सभी बच्चो की खुवाहिशे , लोगो के घरों में बर्तन साफ करके भी की हो , तो आज हमारे लिए उस महान माँ की दो रोटियों के लिए भी क्यों परेशानी होती है ?
11. जब माँ बूढ़ी हो जाती है तो हम उनको सहारा देने में अपनी तौहीन क्यों समझने लगते है और वो ही माँ जिसने हमें चलना सिखाया उसे चंलने में सहयोग करने में हम क्यों हिचकते है ?
दोस्तो सवाल तो बहुत है परन्तु समझने के लिए तो इतने भी बहुत है। मैं बस यही चाहता हूँ कि भाइयों बहनों, अपनी माँ की सम्भाल जरूर करो और बुढ़ापे में उनकी जो भी जरुरते है उसे पूरा करने में खुशी और गर्व महसूस करे।
लेखक नरेंद्र यादव
राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेता