फ्लोरेंस नाइटेंगल : सिस्टर, नर्स का करुणामई रूप है, नर्स किसी भी स्वास्थ्य सिस्टम का है आधार

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लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
12 मई 1820 को जन्मी फ्लोरेंस नाइटेंगल ने नर्सिंग को आधुनिक सेवा के रूप परिभाषित किया। चरक संहिता में लिखा गया है कि चिकित्सा पद्धति के लिए पेशेंट, चिकित्सक, दवा, तथा नर्स अथवा परिचारिका या परिचारक की आवश्यकता होती है। नर्स शब्द लैटिन शब्द नटरायर से बना है जिसका अर्थ होता है नर्चर। वैसे नर्स शब्द का भी अर्थ नर्चर अथवा पौषण ही बनता है। 


यहां अंतराष्ट्रीय दिवस के पावन अवसर पर नर्स के पद को परिभाषित करना बेहद जरूरी है। ये समय था वर्ष 1853 का अर्थात 16 अक्टूबर 1853 जब क्रीमिया का युद्ध शुरू हुआ और यह युद्ध फरवरी 1856 तक चला जो कि रशिया अंपायर, फ्रांस, ब्रिटेन , जर्मनी आदि के मध्य लड़ा गया था, जिसमें घायल सैनिकों की देखभाल तथा स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए वहां पर फ्लोरेंस नाइटेंगल तथा उनकी टीम थी जिन्होंने परिवार की एक महिला अर्थात मां बहन के रूप में, ना केवल घायल सैनिकों के ज़ख्मों पर मरहम पट्टी की, बल्कि वहां पर पूर्णरूप से साफ सफाई का भी ध्यान किया गया। यहां नर्स शब्द का अर्थ समझने की जरूरत है और नर्स को सिस्टर शब्द से क्यों नवाजा गया,


 यह सिस्टर शब्द अलंकरण है, यह भी समझने की जरूरत है। सिस्टर अथवा हिंदी में बोले तो बहन अर्थात मां का वो रूप जो माता की अनुपस्थिति में करुणा तथा दया के रूप में आती है। सदियों पहले नर्स को सिस्टर कहने का चलन इस लिए हुआ क्योंकि उन्हें धार्मिक स्थानों पर बीमार लोगों की देखभाल का कार्य करती थी, क्रिश्चिनिटी में धार्मिक सेवा में लगने वाली नर्सेज को सिस्टर कहा जाता था, क्योंकि उनका कार्य मरीजों की तथा  घायलों की देखभाल के साथ साथ उन्हें पौषण के लिए भोजन पानी दवा उपलब्ध कराने का कार्य भी सिस्टर के जिम्मे होता था। उनकी माता की छवि को विकसित करने के लिए उन्हें सिस्टर शब्द दिया गया। जैसे हम अपनी भारतीय संस्कृति में बहन को मां का रूप मानते है वैसे ही पाश्चात्य समाज में भी सिस्टर को मदर का रूप माना जाता है। सिस्टर जैसे अपने भाइयों बहनों की सेवा करती है उसी प्रकार की देखभाल तथा सेवा की जरूरत घायलों को, बीमारों को होती है। फ्लोरेंस नाइटेंगल ने इसे धार्मिक सेवा से उठकर एक चिकित्सीय व्यवसाय के रूप में विकसित किया तथा नर्स अथवा सिस्टर को एक महत्वपूर्ण स्थान देने का कार्य किया। जैसे कि चरक संहिता में लिखा है कि चिकित्सा का पूरा क्षेत्र नर्सेज बिना अधूरा ही नहीं है, बल्कि आधारहीन है। मैं यहां सभी नर्सेज को सिस्टर के रूप में देखना चाहता हूँ और उन्हें भी अपनी छवि को सिस्टर की छवि के साथ जोड़ने की जरूरत है। नर्सिंग का चलन क्रिश्चिनिटी से ज्यादा प्रभावी हुआ, इसीलिए शुरुआत में इस क्षेत्र में अधिकतर सिस्टर इसी धर्म से आती थी। लेकिन जैसे जैसे चिकित्सा के क्षेत्र में नर्सेज की जरूरत बड़ी तो यह एक व्यापक क्षेत्र बन गया तथा सभी  क्षेत्रों वा हर धर्म से नर्सेज इसमें आने लगी। क्या आपने गौर किया है कि अधिकतर इस क्षेत्र में बहने ही क्यों आती है, हालांकि वर्तमान में तो पुरुष भी नर्सिंग के क्षेत्र कार्य करने लगे है। परंतु नर्स शब्द तथा सिस्टर शब्द ही दर्शाता है कि मां का रूप महिला में हो सकता है,

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 उन्हें प्राकृतिक रूप से और ईश्वरीय गुणों के रूप में ये शक्ति उन्हें मिली हुई है। ममता का गुण, करुणा का गुण, दया का गुण, सेवा का गुण ईश्वरीय गुण है जो स्त्रियों को ही दिए गए है। सेवा शब्द, करुणा से शुरू होता है, बिना करुणा, दया के सेवा का आरंभ ही नहीं हो पाता है। इसलिए चिकित्सीय क्षेत्र में बहनों को अधिक महत्व दिया जाता है ताकि मरीजों की देखभाल जिम्मेदारी, जवाबदेही, करुणा, पौषण के साथ की जा सके। यहां हमे कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि कई बार हम नर्स शब्द या सिस्टर तो बोलते है परंतु सम्मान का भाव कम होता है। विचार ये करना है कि क्या नर्स, डॉक्टर से कम है, नहीं बिल्कुल नहीं, क्योंकि पेशेंट को डायग्नोसिस करने के बराबर उसकी समय से दवाई, पौषण, तथा देखभाल या मोटिवेशन से होता है। डॉक्टर चिकित्सालयों में बामुश्किल हर पेशेंट को दो या तीन बार विजिट कर पाते है, और इसके विपरित नर्स अथवा सिस्टर जो सभी पेशेंट्स के लिए बहन का रूप है, मां का रूप है वो पूरा समय उनकी सेवा सुश्रुषा में लगी रहती है। इसलिए चिकित्सा के क्षेत्र में लगे सभी लोगों को नर्स को अधिक सम्मान देने की जरूरत है। साथियों आप सभी ने कभी ना कभी तो अपने घर में भी अनुभव किया होगा, कि जब कोई बीमार होता है और लंबे समय तक बीमारी चलती है तो उसकी देखभाल के लिए हम नर्स की ही सेवा लेते है चाहे वो स्त्री के रूप में हो या पुरुष के रूप में हो। दोस्तों, वो नर्स इसलिए हमारे लिए सिस्टर है क्योंकि एक बहन ही जो मां का रूप है, वो ही किसी अनजान मरीज की देखभाल कर सकती हैं, वो ही मां के रूप में उसकी पोटी, सुसु साफ कर सकती है, वो ही उसके बिस्तर की साफ सफाई का ध्यान रख सकती है अथवा रख सकते है, वो ही उसके भोजन पानी दवाई का ख्याल कर सकती है या रख सकते है, इसलिए नर्स हम सभी के लिए मां बहन के रूप में ईश्वरीय शक्ति है, उनका सम्मान सभी को करना चाहिए, चाहे वो डॉक्टर हो, टेक्नीशियन हो, पेशेंट हो, या पेशेंट के परिवार वाले हो। मैं यहां हमारी नर्स अथवा सिस्टर्स को भी निवेदन करना चाहता हूँ कि आप भी विनम्रता तथा करुणा के गुण को अपने भीतर पुष्पित और पल्लवित करने का प्रयास करें, क्योंकि नर्सेज के कार्यों का आधार ही यह है। मैं यहां कुछ टिप्स देना चाहता हूँ, जिससे भारतीय चिकित्सा व्यवस्था में और सुधार हो सकें, जैसे ;
1. सभी नर्सेज अथवा सिस्टर अपने पद अथवा अलंकृत शब्द का अर्थ समझने की कौशिश करें।
2. नर्सिंग नौकरी से अधिक सेवा है, इसे सभी ध्यान में रखे।
3. सिस्टर के अर्थ को साकार करने के लिए, सभी डॉक्टर साहेबान, पेशेंट्स, तथा पेशेंट्स के परिवार वाले भी बहनों की तरह ही मान सम्मान करें।
4. नर्सेज बहनों से निवेदन है कि कभी भी मरीजों को झिड़के नहीं, भला बुरा न कहे, क्योंकि वो तो पहले से पीड़ित है, परेशान है।
5. सभी नर्सेज अथवा सिस्टर या कोई ब्रदर के रूप में है तो वो हर दिन फ्लोरेंस नाइटेंगल के सिद्धांतों को जरूर याद करें।
6. नर्सिंग क्षेत्र का आधार करुणा है इसे अपने जीवन में साथ लेकर चलें क्योंकि बीमार व्यक्ति को करुणा की, मोटिवेशन की जरूरत होती है।
7. नर्सिंग कोई दवाई देना या ड्रिप लगाने तक सीमित नहीं है अगर ऐसा होता तो इनका नाम चिकित्सीय सहायक होता, परंतु ऐसा नहीं है क्योंकि नर्सिंग का अर्थ मां की तरह देखभाल करना है, इस सिद्धांत का ध्यान सभी करें।
   हम सभी को जरूरत है आज एक संकल्प लें कि अपनी चिकित्सीय पद्धति वा स्थिति को अधिक से अधिक बेहतर बनाने के लिए, इस क्षेत्र में सेवा दें रहे सभी का सम्मान करेंगे। सभी डॉक्टर साहेबान को भी ये समझने की जरूरत है कि चिकित्सा कोई व्यवसाय नहीं है, ये तो सेवा भाव है, ये करुणामई सेवा है। सभी हॉस्पिटल संचालकों से आह्वान है कि उन लोगों को याद करे , अपने व्यवसाय के साथ साथ अस्पताल बनवाते थे, पानी की टैंक बनवाते थे, धर्मशालाएं बनवाते थे, वो लोगों के लिए पेड़ पौधों की कतार लगवाते थे। उन भामाशाहों के लिए अस्पताल बनाना, सेवा का कार्य था ना कि व्यवसाय था। प्लीज अस्पतालों को व्यवसाय मत बनाओ, जब नर्सेज, सिस्टर के रूप में कार्य कर सकती है तो डॉक्टर तथा हॉस्पियल संचालकों को भी पिता के रूप में तथा भाई के रूप में सेवा देने का संकल्प लेना चाहिए। इस क्षेत्र में विश्वास कायम रखना बेहद आवश्यक है।
जय हिंद, वंदे मातरम