home page

Raksha Bandhan: देश का हर बेटा इस रक्षाबंधन पर एक बहन को गोद ले, ताकि हर बेटी की हो सके रक्षा

 | 
 Raksha Bandhan: देश का हर बेटा इस रक्षाबंधन पर एक बहन को गोद ले, ताकि हर बेटी की हो सके रक्षा

Raksha Bandhan: लेखक डा. नरेंद्र यादव ने कहा है कि देश के प्रिय युवाओं आज मैं ऐसे विषय पर चर्चा कर रहा हूं जो बेहद मार्मिक और जरूरी है, अब समय आ गया की हमारे सारे युवा , आज एक एक बहन जरूर एडॉप्ट करे, हो सकता आजकल के युवाओं को रास ना आएं क्योंकि आजकल के युवा तो अपनी बहन के सिवाय किसी और की  बेटी को तो इंसान मानते ही नहीं बल्कि भोग की वस्तु मानते है, क्या युवाओं की  ये सोच राष्ट्र की बेटियों की इज्जत करने के लिए उपयुक्त है, बिलकुल नहीं , बिलकुल भी उचित नहीं है। 

देश की हर बेटी , बहन , तथा मां को संरक्षण मिलना चाहिए चाहे वो किसी की भी बेटी हो, किसी की भी बहन हो या फिर किसी की भी मां हो, सभी को सहयोग की जरूरत है। एक युवा जो शारीरिक रूप से मजबूत है, ताकतवर है , वो एक पिता के रूप में है, वो एक भाई के रूप में है, वो एक बेटे के रूप में हर परिवार में विराजमान है और मैं इसी उम्मीद करता हूं कि हर पिता ने , है मां ने और हर बहन ने अपने भाई से ये तो वादा लिया ही होगा की उनका बेटा , उनका भाई, या उनका पिता , दूसरे की बहन बेटी वा मां को अपनी ही समझने की काबिलियत होनी चाहिए। इस दुनिया में अलग अलग प्रकार के इंसान है कोई अपने बच्चो को अच्छे संस्कार देते है , कोई अपने बच्चो को बढय़िा संस्कार नहीं दे पाते है। 

खैर ये दुनिया बड़ी विचित्र है, और इस धरती पर कोई भी इंसान आसानी से वासना या सेक्स पर कंट्रोल करना बस की बात नहीं है, जब हम लोग संसार में रहते है तो ज्यादातर युवा या लोगो की आदत एक जैसी होती है कुछ लोग अपनी कुछ अच्छी आदतों की वजह से अपने चरित्र को कुछ अच्छा बनाने की कोशिश करते है। इस संसार में बहुत से लोग या युवा बहुत संस्कारी होते है।

WhatsApp Group Join Now

कुछ बहुत दुराचारी होते है, कुछ बहुत भावुक होते है अगर अच्छी स्थिति आए तो अच्छे और अगर मौका मिले तो अवसर का फायदा उठा सकते है, कुछ लोग इतने अच्छे और पक्के होते है कि उनके पास कैसी भी स्थिति , कैसे भी अवसर आए या मौका आए परंतु वो कभी भी अपने चरित्र को नही बदलते है। मैं यहां हर युवा के पेरेंट्स को आहवान करना चाहता हूं।

कि हरेक के जीवन में ऐसे  बहुत मौके आते है जिस पर ये महसूस होता है की जो भी गलत कार्य व्यक्ति करता है वो सदैव किसी ना किसी के लिए नुकसान दायक होता है, यहां मैं ये भी इंगित करना चाहता हूं कि हर मातापिता , हर भाई, हर बेटा अपनी बहन बेटी या मां को सुरक्षित रखना चाहता ताकि किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो लेकिन इतना होने पर भी हर पुरुष दूसरो के परिवार की मां , बहन, बेटियों  को सुरक्षित नहीं देखना चाहते और ऐसे सोचते है जैसे उनके परिवार की स्त्रियों के अलावा सभी स्त्रियां उनके भोग के लिए है, 

उनके अत्याचार के लिए है, उनके छेड़छाड़ के लिए है , उनके बलात्कार के लिए है, क्यों आज की युवा पीढ़ी अपने को इतना श्रेष्ठ नही बना पाती हैं जिससे की हर बहन बेटी और मां बेरोक टोक , बिना खोफ के कहीं भी घूम सके। मैं आज पूरे विषय में हर युवा को संवेदनशील बनाना चाहता हूं जिससे वो एक संकल्प तो जरूर ले कि इस रक्षा बंधन उपलक्ष्य पर किसी एक बहन को गोद जरूर ले तथा उससे राखी बंधवाने का काम अवश्य करे।

अगर किसी युवा या नागरिक के पास पहले से ही बहन है बेटी है तो भी वो एक बहन या बेटी को रक्षाबंधन के लिए जरूर एडॉप्ट करे तथा उससे राखी बंधवाने का त्यौहार जरूर बनाए।

अगर किसी की कोई बहन  नही है या बेटी नही है तो वो जरूर इस त्यौहार पर एक बहन या बेटी रक्षा बंधन के लिए गोद ले और उसकी इज्जत वा सुरक्षा के लिए एक वादा भी करे। मैं यह सदा के लिए एडॉप्ट करने के लिए नही कह रहा बल्कि रक्षाबंधन के लिए ही गोद लेने की बात कर रहा हूं ये संकल्प भी बहुत बदलाव लाएगा क्योंकि जब हम किसी भी बेटी बहन को सुरक्षा का भरोसा देते है तो उसमे भी आत्मविश्वास जागृत होता हैऐसे एक्शन से दो बाते किसी भी बहन वा बेटी के जीवन में घटित होती है एक तो उसका भय खत्म होता है दूसरा उसमे अपने जीवन के प्रति जिम्मेदारी के साथ साथ अपने भविष्य को अच्छा बनाने की भी आकांक्षा आती है।

ये एक ऐसा त्यौहार है जिसमे हर बहन बेटी को एक भाई की तलास होती है। मैं यहां एक बात और कहना चाहता हूं कि जो युवा किसी भी बेटी को या बहन को बहन जी टाइप की लडकी बोलते है वो अपनी इस बेहूदगी को जीवन में जरूर धारण करे कि वो उन बहन बेटियों से तो अवश्य रखी बंधवाए। वैसे भी हर बेटी बहन जी ही होती है, अपनी भारतीय संस्कृति में हर स्त्री बहन होगी या बेटी होगी या फिर किसी की मां होगी लेकिन कुछ ऐसे युवा है जो कभी नही समझेंगे।

भारतीयता को जिसमे हम तो जब प्राथमिक स्कूल में पढ़ते थे तो टीचर को भी बहन जी कहते थे, लेकिन मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि आजकल कोई बहन जी नही बनना चाहती है सभी इस नाते से ऊपर उठना चाहती है । मैं बहुत ही गंभीरता से कहता हूं कि हर स्त्री बहन बने, बेटी बने, या फिर मां के रूप में अपनी पहचान बनाए। मैं पुन: देश के हर युवा को कहना चाहता हूं कि इस बार रक्षा बंधन पर एक बहन जरूर एडॉप्ट करे तथा एक वादा जरूर निभाएं ।
जय हिंद
लेखक 
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी