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Student life: विद्यार्थियों को वर्तमान में जीने का बोध हो, जिससे भविष्य प्रशनता से भर जाए

टीचर्स के लिए यह सलाह 
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नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने बताया कि विद्यार्थी जीवन, हमारे मनुष्य जीवन मे  सबसे महत्वपूर्ण काल होता है, हममें से कितने मातापिता ऐसे है जो अपने बच्चों की खुशी या प्रशन्नता के लिए कार्य करते है, बहुत कम महनुभाव है जो अपने बच्चों को वरीयता देते है या उनकी जरूरत के आधार पर काम करते है, या उनके जीवन मे वर्तमान की महत्ता बताने के लिए आगे आते हो। 


इज्जत के नाम का बोझ
मैं यहां यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि किसी भी विद्यार्थी के लिए बोझ की जगह बोध की आवश्यकता होती है, हम बोध तो कदापि नही देते , हाँ बोझ जरूर देते है। कभी अपेक्षाओं का बोझ, कभी अपनी इज्जत के नाम का बोझ, कभी उनके भविष्य के नाम का बोझ, कभी कभी तो इतना बोझ लादते है कि उसको वो झेल नही पाते और आत्म हत्या के कदम तक पहुंच जाते है। विद्यार्थी, बच्चे हो , युवा हो या फिर किशोर हो , मातपिता या शिक्षकों ने उन्हें वर्तमान का बोध नही कराया, वर्तमान का ज्ञान नही कराया और न ही वर्तमान में जीना सिखाया। हां, एक बात जरूर है कि हमने किसी विद्यार्थी को भविष्य के लिए जरूर तैयार किया है। 

भविष्य में क्या बनना है
भविष्य की चिंताओं के बोझ भी उन पर डाल दिया है, भविष्य में क्या बनना है, क्या नही बनना है, ये भी हमने उन्हें बताया है परन्तु जिस काल मे जीवन चलता है उस को कभी हम छेड़ना ही नही चाहते है । सभी कुछ तो वर्तमान में होता है, सभी कुछ तो वर्तमान में ही करना है, कल तो कभी होता ही नही है, सदैव आज का ही हम सब सामना करते है और उसी की जानकारी या उसी का ज्ञान हम बच्चो को नही देते है, कितनी विचित्र स्थिति है। 


सब कुछ वर्तमान में घटित होता है, परीक्षा वर्तमान में होगी, पढ़ाई वर्तमान में होगी, जीना वर्तमान में, तैयारी वर्तमान में , जीना वर्तमान में और मृत्यु भी वर्तमान में होती है जब जीवन की सारी घटनाएं वर्तमान से जुड़ी हुई है तो बच्चो को वर्तमान के लिए तैयार किया ही जाना चाहिए। वर्तमान ही अतीत बनता है और वर्तमान ही भविष्य बनता है इस लिए मैं यही बताना चाहता हूँ कि जीवन वर्तमान में है, प्रशंसा वर्तमान में है, हार जीत भी वर्तमान में ही तो है।

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बच्चो को वर्तमान में जीना सिखाया जाएं 
मैं अब विद्यार्थियों व अनेक माता पिता व अभिभावकों को, टीचर्स को यही सलाह देना चाहता हूँ कि बच्चो को वर्तमान में जीना सिखाया जाएं ताकि उन्हें ज्यादा फायदा हो सके। वर्तमान क्या है , इसी क्षण, इसी समय, इसी घड़ी, इसी पल , आज का पूरा खेल वर्तमान है, इसी पल भी तो आज का ही अंश है, इसका बोध या ज्ञान हमे क्यों नही है। जितने भी आदरणीय शिक्षक साहेबान है मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि आपकी रोजी रोटी, जीवन यापन, आपके बच्चो की पढ़ाई, दवाई, जीवन की सभी जरुरते, उन बच्चों की शिक्षा पर आधरित है जिन्हें आप लोग पढा रहे है अगर आपके मन के किसी भी कोने में ये भाव आता है कि इन विद्यार्थियों से हमारी वेतन पर क्या फर्क पड़ता है तो मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि आपका स्कूल आपकी मेहनत पर टिका हुआ है अगर आपके मन मे किसी भी बच्चे के प्रति इग्नोरेंस का भाव आता है तो समंझ लो कि ये आपके बच्चो को भी प्रभावित करेगा। 


भारत देश का हर बच्चा हमारा बच्चा है
मैं तो यही कहता हूँ कि इस भारत देश का हर बच्चा हमारा बच्चा है, भारत देश का बच्चा है उनके वर्तमान की चिंता करना , हम सभी का कर्तव्य है। अगर वर्तमान अच्छा होगा तो भविष्य तो अपने आप ही बेहतरीन होगा। सभी विद्यार्थियों से भी मेरा कहना है कि अपने वर्तमान का एक पल भी बेकार न जाये इसका प्रबंध करना सीखो। सदा वर्तमान का बेहतरीन उपयोग करो। आप खूब पढ़ो, खूब सोवो, खूब मस्ती करो , आपके पास समय बहुत है। 


भूत और भविष्य में मत जियो
इस लिए कभी भी भूत और भविष्य में मत जियो। वर्तमान में जीना सीखो, वर्तमान का होंश करो, वर्तमान में जीना सीखो, वर्तमान के प्रति सजग रहो। कभी मूर्छित अवस्था मे मत रहो, हम सदैव अपने कॉम्फोर्ट जॉन में रहना पसंद करते है क्यों कि आगे निकलना है तो सुविधा वाला जीवन छोड़ना पड़ेगा, कुछ भी बदलने के लिए बोध की जरूरत होती है, होश की जरूरत होती है परन्तु कोई भी मनुष्य बोध के साथ जीना नही चाहता क्यों कि इसमें होंश की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए नींद छोड़नी पड़ेगी, उसके लिए सजग रहना पड़ेगा, हमेशा तैयार रहना पड़ेगा, बदलाव के लिए हर पल सजग रहना है। 

हमारा शरीर तो कहीं रहता है
सुविधा छोड़ के कही भी जाना ओढ़ सकता है, एक ढर्रे की जिंदगी को किसी भी पल छिड़ने का आदेश आ सकता है, बोध सजगता है , जिसमे जीने से सफलता सदैव आपके पास आती है। अबोध, अज्ञान और मूर्छा में जीना ही असफलता का कारण है , हम जब भी वर्तमान में सजगता और होश के साथ रहते है तो हमारा शरीर और मन व बुद्धि एक साथ मिलकर कार्य करते है जिसका परिणाम सौ फीसदी आता है लेकिन जब भी हम वर्तमान में न रह कर बोध पूर्वक काम नही करते है तो हमारा शरीर तो कहीं रहता है और शरीर कहीं पर रहता है। 


हम इसीलिए एकदम तैयार नही हो पाते, हमे अगले पल क्या होगा इसका एहसास भी नही रहता है क्योंकि हम अबोध है, हम होंश में नही है। बिना बोध के ही हमे क्रोध आता है, बिना होंश के ही कोई किसी हत्या कर देता है, बिना होंश के कोई किसी को गाली देते है, भगवान बुद्ध का जीवन अखंड बोध से जीया जाने लगा था। एक बार महात्मा बुद्ध किसी गांव से गुजर रहे थे तो लोगो ने उन्हें बहुत गाली दी इस पर भगवान बुद्ध ने लोगो को कहा कि आपका काम पूरा हो गया हो तो मुझे जाने दो मुझे दूसरे गांव में जाना है यह सुनते ही लोग क्रोधित हो गए और कहने लगे कि ऐसे कैसे जाओगे , हम गाली दे रहे है और तुम कुछ भी नही बोल रहे हो , इसपर भगवान बुद्ध ने कहा कि आप आप जो क्रोध में हो मुझे आप पर गुस्सा नही बल्कि तरस आ रहा है। 

कि आप होंश में नही हो , क्यों कोई भी व्यक्ति जो अखंड बोध में होता है वो ऐसा व्यवहार कर ही नही सकता, जो व्यक्ति बोध में है वो क्रोध नही कर सकता , जो बोध में होता है वो गाली नही दे सकता, वो क्रोध नही के सकता, वो अभद्र व्यवहार नही कर सकता, वो सजगता में कोई गलत कार्य नही कर सकता। मैं यहां हर विद्यार्थियों को कहना चाहता हूँ कि अपना वर्तमान में बोध के साथ रहना सीखे। जहां आप हो वहां ही आपका मन, मष्तिष्क भी बने। 


अब मैं एक विद्यार्थी को अगर वर्तमान में बोध और सजगता व होंश के साथ अपने हर कार्य को करें तो बच्चे, युवा , व किशोर विद्यार्थी जीवन मे विभिन्न नेगेटिविटी से बच सकते है जो निम्न प्रकार है:-
1. अगर बोध के साथ रहे तो नशे से बचेंगे।
2. कुसंगति से बचेंगे।
3. क्रोध पर कंट्रोल कर पाएंगे।
4. धर्य को रख पाएंगे।
5. खाने पीने में बोध के साथ रहेंगे तो फ़ास्ट फ़ूड से बच पाएंगे जॉन केवल शरीर को कमजोर करते है बल्कि ब्रेन को भी वीक करता है। जितना फ़ास्ट फ़ूड को पचाने में एनर्जी लगती उससे एक चौथाई भी शरीर को नही मिलती, इसमे मैदा, नमक, चीनी होने के कारण ये शरीर को बीमार करता है। जवानी में ही यह फ़ास्ट फ़ूड हार्ट, बी पी व डियाबिटिस का कारण बनता है।

6. बोध के साथ जीवन जीते हो तो कोई गलत कार्य नही करेंगे।
7. होंश व सजगता से व्यक्ति में सभ्यता का जन्म होता है।
8. बोध , से मैमोरी पावर भी बढ़ती है।
9. बोध के साथ आपकी विश्लेषण करने की शक्ति वढती है।
10. निर्णय करने की शक्ति में इजाफा होता है।
11. अगर जीवन मे बोध जागता है तो   मोबाइल के प्रयोग पर भी रोक लग जायेगी।

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इस तरह से हम ये कह सकते है कि विद्यार्थियों को वर्तमान में जीने का अभ्यास कराया जाए तथा सजगता, होंश व अखंड बोध के साथ रहने का भी प्रैक्टिस कराई जाए। ताकि न तो जीवन मे तनाव हो , न ही दबाव तथा न ही अवसाद, विषाद की स्थिति पैदा हो। और सभी विद्यार्थियों का जीवन आनंदमय हो।
लेखक डा.नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र, हिसार व राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेता।