home page

सात सितारा नागरिकों की परिकल्पना, क्या देश को विकसित बनाने के लिए जरूरी है, ये हैं सात सितारा

 | 
The concept of seven star citizens, is it necessary to make the country developed, these are the seven stars
mahendra india news, new delhi

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
ने अपने लेख में बताया है कि आज महर्षि स्वामी दयानंद जी की जयंती के अवसर पर, मै अपने नागरिकों के चरित्र को पांच स्टार या सेवन स्टार बनाने की जरूरत पर विमर्श करना चाहता हुं। क्योंकि इस देश की कायाकल्प करने वाले महापुरुष तथा महर्षि स्वामी दयानंद जी के जीवन से हमे ये तो सीखना ही चाहिए। आज मैं, किसी सेवन स्टार होटल की बात नही कर रहा हूँ , आज मैं किसी सात सितारा बिल्डिंग की बात भी नही कर रहा हूं मैं , ना ही किसी सेवन स्टार हॉस्पिटल की बिल्डिंग की बात भी नही कर रहा हूँ।  प्रिय देशवासियों मैं कोई भौतिक वस्तुओं की सात सितारा वाले दर्जे की बात नही कर रहा हूं। 


मुझे पता है आज ऐसे लोगो को बहुत कम पसंद किया जाता है, जो सच्ची बात बोल देता है या फिर किसी के सामने, उसकी कमियों को गिना देता है , तो वह व्यक्ति उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है । व्यक्ति अंदर से इतना खोखला हो गया है कि वह  अपनी बुराई सहन नही कर सकता है। इसीलिए हमने कहीं न कहीं मानव निर्माण को तवज्जो देना कम कर दिया है। हम सिर्फ भौतिक वस्तुओं के विकास की बात करते है, लेकिन मानव निर्माण को कहीं हमने बहुत पीछे छोड़ दिया है। हम पांच सितारा होटल, सात सितारा होटल या सात सितारा बिल्डिंग की बात बहुत जोर दे कर करते है। हम हर बिल्डिंग चाहे वहां रहने की बात हो या फिर इलाज कराने की बात हो, या खाने बात हो या कोई ऐसी इमारत, जिसमे एक इंसान को रहना हो, उसके स्तर को हम पांच सितारा या फिर सात सितारा बनाने के लिए पूरे पैसे और मेहनत लगाते है। आज कल तो मार्किट ही हमारे ऊपर हावी हो चुकी है , हम मॉल को अपना जीवन दर्शन ही मान बैठते है। आज कल तो हर पंखा भी सात सितारा है, हर रेफेरिजरेटर भी स्टार लिए हुए आते है, कोई फाइव स्टार तो कोई फोर स्टार और गाड़ियां भी स्टार लेकर हमारे घरों तक पहुंचती है। परंतु ह्यूमन को कभी हमने सात सितारा बनाने की कौशिश नही की, उन्हें कभी भी फाइव स्टार बनाने के प्रयास नहीं किए। हमने अपने बच्चों को भी कभी स्टार देने की कौशिश नहीं की और ना ही हमने ह्यूमन बीइंग को स्टार देने की योजना नहीं बनाई। जो लोग इस विषय को लेकर प्रवचन व उपदेश करते है वो चाहे किसी भी धर्म से क्यों न हो , वो सभी भी किसी न किसी भौतिक संसाधन जोड़ने के धंधे में फंस जाते है, वो भी बिल्डिंग बनाने में लग गए, या सम्पति बनाने में अपना सारा जीवन खराब कर रहे है, वो भी घर बार छोड़कर आए और यहां अपने व्यवसाय चलाने में अपनी ऊर्जा वेस्ट करने लग गए है । 

अब समय आ गया कि हम नागरिकों को पांच सितारा या सात सितारा बनाने में अपनी ऊर्जा की खपत करे। अपनी ताकत को लगाए , अब समय आ गया कि हम अपने नागरिकों को कंज़्यूमर बनने की बजाय उन्हें नागरिक बनाने पर ज्यादा जोर दे। और इस कार्य के लिए हमे हर शिक्षण संस्थान , हर धार्मिक स्थल, हर  पार्क, हर मनोरंजन स्थल पर नागरिक प्रशिक्षण सेंटर खोलने की आवश्यकता है जिन सात सितारों की बाते हम कर रहे है वो आखिर है क्या चीज , इन पर भी चर्चा कर लेनी चाहिए। आओ हम इन सातों सितारों की या यूं कहें कि सेवन स्टार कौन कौन से है जो हमारी चेस्ट पर लगने चाहिए। वैसे तो आपने सेना या पुलिस या फिर पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के अधिकारियों के कंधों पर स्टार लगे देखे होंगे, पर आम नागरिकों के चेस्ट पर अगर मानव मूल्यों के स्टार लगे तो कैसा लगेगा। निश्चित तौर पर बहुत ही सुंदर लगेगा और हर नागरिक अपने आप को गौरान्वित महसूस करेगा। जिन सात सितारों की हम बात कर रहे है वो है:--
1. पंक्चुअलिटी ( समय की पाबंदी)
   समय का ज्ञान करना ही तो पंक्चुअलिटी है। समय का प्रबंधन होगा तभी तो हम सदैव समय को तरजीह देंगे। अगर देश का हर नागरिक समय का पालन करें तो राष्ट्र विकसित होगा।
2. संवेदनशीलता:
  करुणा, दया, परोपकार , व निष्पक्षता का हम सभी को भान होता है। और ये गुण , हमे राष्ट्र के हर नागरिक के साथ जोड़ने का कार्य करता है।
3. परिश्रम:
  परिश्रम ऐसा गुण है जो व्यक्ति को जो चाहे दिलाता है, मेहनत का कोई विकल्प नही है। मेहनत हम को कार्य करने का जुनून सिखाती है।
4. अनुशासन:
   अनुशासन एक ऐसा गुण है जो स्वंय को सही दिशा में चलाने के लिए काफी है। अनुशासन में जीवन जीने की एक सटीक और नियमित शैली होती है जो समय सीमा, सीमित व्यवहार, वेशभूषा का ज्ञान, नियमो का ज्ञान कराना सिखाती है। अनुशासन ही जीवन को आगे बढ़ाने का मूल मंत्र हैं।
5. डिवोशन:
    वैसे तो डिवोशन अपने आप मे 
 बहुत गुणों का समेटे हुए है जैसे डेडिकेशन, श्रद्धा, कर्तव्यनिष्ठा, लगन व कर्तव्य के प्रति लगाव। 
6. ईमानदारी व निर्भयता: जीवन में अगर निर्भयता तथा प्रसन्नता चाहते हो तो ईमानदार रहना सीखना होगा। जीवन में आनंद तथा हैप्पीनेस का यही मूलमंत्र है।
  7. सेल्फ अवेयरनेस: आत्म जागरूकता ऐसा विषय है जिससे हर इंसान अपने गुणों, अवगुणों की पहचान करता है तथा उसी के आधार पर अपने अवगुणों को गुणों में परिवर्तित करने की योजना बनाता है। हर व्यक्ति का जीवन दैवी संपद तथा असुर संपद से भरा होता है लेकिन इनकी सही पहचान करने के लिए हमे आत्म जागरूक होना पड़ता है तभी सफलता मिलती है।
     अगर कोई नागरिक इन सातों गुणों को जीवन मे पालन कर आगे बढ़ता है तो हम कह सकते है कि वो सेवन स्टार नागरिक है और अगर एक बात को फॉलो करता है तो वो एक सितारा नागरिक होगा । इसी तरह जिसके पास जितने गुण वो उतने ही स्टार नागरिक होगा। मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि हमारा पहला गुण पंक्चुअलिटी ही होता है, क्योंकि वो उत्साह पैदा करती है, अगर कोई भी व्यक्ति जीवन मे समय का पाबंद नही है तो आप समंझ जाओ की वह महानुभाव अपने जीवन से दूसरों को ज्यादा कुछ सिखाना नही चाहता । पंक्चुअलिटी , हमे सिखाती है कि हम समय का कितना प्रबंधन करते है क्यों कि समय ही बलवान है वो कभी लौट कर वापिस नही आता । जब हम बेजान चीजो को स्टार्स से डेकोरेट कर सकते है तो नागरिको को क्यों नही कर सकते है। जब एक टेलीविजन फाइव स्टार हो सकता है तो एक इंसान भी तो स्टार्स से डेकोरेट करने का प्रावधान होना चाहिए। स्वामी दयानंद जी कहते थे जो जिंदा है वो ताकतवर है या वो ही स्ट्रेंथ है , और जो निर्जीव है वो मृत्यु के समान है। अगर एक एक नागरिको पर ध्यान दिया जाए तो हम ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर सकते है जो विश्व विजेता होगा , अगर हम हर नागरिक को पंक्चुअल, परिश्रमी, अनुशासित, लगनशील,अवेयर या फिर कौशल से परिपूर्ण तथा संवेदन शील बना लेते है तो देश का हर नागरिक सच्चा देशभक्त होगा जो हर जगह अपना सर्वोच्य न्यौछावर करेगा। इसी लिए चलो मिल कर, हर नागरिक को कार्य करने वाला, परिश्रमी, सत्यता से परिपूर्ण, ईमानदारी तथा आत्म जागरूक बनाने की योजना बनाते है जिससे सभी का जीवन उत्कृष्ट बनेगा। जब नागरिक उत्तम श्रेणी के होंगे तो राष्ट्र विकसित बनेगा।
जय हिंद, वंदे मातरम

 

WhatsApp Group Join Now