यह 24 दृष्टिकोण जो आपकी पर्सनेलिटी को विराट रूप देगा, युवाओं का व्यक्तित्व 360 डिग्री का होना चाहिए
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर, एंड वॉलंटियर
ने बताया है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण काल को देखा जाए तो बहुत लंबा और विस्तृत होना चाहिए। उन वर्षो के लंबे अरसे में एक व्यक्ति अपना जीवन जीरो डिग्री से शुरू करता है तथा समय के साथ जीवन उज्ज्वल होता जाना चाहिए परंतु जब हम देखते है कि लोग जितने बड़े यानी आयु में बड़े होते जाते है उतने ही विवेकहीन होते जाते है, जितनी उम्र बढ़ती जाती है उतने ही तर्कहीन होते जाते हैं,
व्यक्तिको अपनी आयु के साथ साथ नेचर, विश्व तथा अन्य जीवों के लिए भी कल्याणकारी होते जाना चाहिए था परंतु लोग कैसे संवेदनहीन होते जाते है यही विचारणीय विषय हैं। कोई भी इंसान जन्म के समय से कोई व्यक्तित्व नही लेकर आता है लेकिन जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती है वैसे वैसे वो गुणों तथा अवगुणों को ग्रहण करने लगते है, उन्ही से उनके व्यक्तित्व की डिग्री का आंकलन होता हैं। युवा साथियों, मैं यहां सर्वप्रथम व्यक्तित्व के 360 डिग्री को समझाने की कौशिश कर रहा हूं, जैसे कि आप सभी जानते होंगे कि ज्योमीति में जीरो डिग्री से 360 डिग्री के कोण होते है और वही किसी भी युवा या इंसान के दृष्टिकोण को दर्शाता हैं।
जो जितना छोटा देखते हैं उनका दृष्टिकोण उतना ही छोटा होता है या यूं भी कह सकते है कि जिसका दृष्टिकोण जितना कम होता है उनकी दृष्टि भी वहीं तक जाती है। यही दृष्टिकोण, किसी भी युवा अथवा व्यक्ति की परिपक्वता को भी दर्शाता हैं, यही दृष्टिकोण उनकी तर्कशीलता तथा तर्क हीनता को भी दर्शाता हैं क्योंकि जिनकी दृष्टि जितना कम देख पाती है या यूं कहे कि जो जितना संकीर्ण सोचता है उसका दृष्टिकोण उतना ही छोटा अथवा कम मिलेगा। युवा साथियों, दृष्टि कोण में 180 डिग्री मनुष्य के सामने होता है तथा 180 डिग्री मनुष्य के पीछे की तरफ होता हैं, इसमें भी सामने वाले हिस्से को भी देखें तो 120 डिग्री को कोई भी युवा आसानी से देख सकता है अगर वो देखना चाहे तो और बाकी का 60 डिग्री यानी दोनो आंखो के दोनो साइड में 30 तथा 30 डिग्री का दृष्टिकोण होता है
जो हमारी तर्कशीलता को दर्शाता है, यह उन क्रियाओं को विचार करने के लिए होता है जो सामने से तो कुछ दिखती है परंतु उसका लक्ष्य कुछ और होता हैं। इसी प्रकार बिलकुल सामने दोनो आंखो के बीच का क्षेत्र जो 30 डिग्री का है उसे भी कुछ लोग आंकलन नही कर पाते है। इसी प्रकार किसी व्यक्ति या युवा के पीछे का हिस्सा होता है जिसे कोई भी अच्छी तरह देख नही पाते है उसके लिए भी सतर्क तथा जागरूक रहना ही तो पिछले 180 डिग्री के व्यक्तित्व या दृष्टिकोण को दर्शाता है।
इस पीछे के क्षेत्र में भी हमारे दोनो कंधे के पिछली ओर 15 तथा 15 डिग्री क्षेत्र को भी हम बहुत कम जागरूकता होते हुए भी देख सकते हैं। किसी भी व्यक्ति या युवा का व्यक्तित्व उसके दृष्टिकोण पर आधारित होता है, वो किसी भी दृश्य को देखकर क्या विचार करके आंकलन करता है या प्रति पक्ष में क्या निर्णय लेता है वही उनका दृष्टिकोण होता है तथा उसी से उनकी पर्सनेलिटी बनती हैं। हर व्यक्ति अथवा युवा के व्यक्तित्व के 15 तथा 15 डिग्री के 24 भाग है यही हमारे पूरे दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।, जैसे दिन के 24 घंटे होते है। जब हम किसी विषय पर बात करते है तो हमे निर्णय लेने से पहले उस चिंतन को 360 डिग्री पर घुमा कर देखना होगा, उसके बाद ही अपना निर्णय लें, क्योंकि हर दृष्टिकोण पर सोचें बिना, कोई निर्णय नहीं होना चाहिए। अब मैं 24 दृष्टिकोण बताने का प्रयास करूंगा जिससे आप सभी युवाओं को अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने का अवसर मिलेगा। और आप स्पष्ट तौर पर किसी के बहकावे में आने से बच सकते हो।
आओ चलते है उन 24 दृष्टिकोणों की ओर जो आपकी पर्सनेलिटी को विराट रूप देगा, जैसे ;
1. पूर्व ग्रह से ग्रसित ना होना।
2. हर बात, दृश्य, को स्थिर मन से पूरा सुनना तथा देखना।
3. बिना पक्षपात के अपनी बात कहना और सुनना तथा देखना।
4. विनम्रता को अपने व्यक्तित्व में साथ रखना।
5. किसी के साथ क्रोध का सहारा ना लेना।
6. गुणवत्ता को विशेष महत्व देना, जिससे कि गुणो का सम्मान हो सकें।
7. चाटुकारिता तथा मेहनत में से मेहनत को ही चुनना।
8. ईमानदारी का सदैव सम्मान करना ।
9. सत्य के उजाले में विचारों तथा दृश्यों का आंकलन करना।
10. किसी का फायदा ना कर सको तो नुकसान ना होने पाए, इसे ध्यान में रख कर ही विश्लेषण करें।
11. वस्तुओं की शुद्धता का सम्मान सदैव मन तथा मस्तिष्क में हो।
12. विचारों के आदान प्रदान में दुष्टता ना हो, विचार ना मिलने पर भी मन भेद ना हो।
13. समय का पालन करने वाले अनमोल हीरे होते है, इसे दृष्टि में रखें।
14. किसी के प्रति द्वेष तथा अपने प्रति द्वेष का आंकलन करने की कला होनी चाहिएं।
15. अपने कर्तव्य की पालना में प्रकाष्ठा करने का प्रयत्न करें।
16. जीवन में मर्यादा के दामन को सदैव थामे रखे, मर्यादा के बिना जीवन व्यर्थ है, पशु समान हैं।
17. पीठ पीछे भी सत्य, ईमानदारी, और मेहनत का सम्मान करना ।
18. चाटुकारिता, सिद्धांतहीन तथा बिना मर्यादा के लोगों की पहचान कर, उन्हे बढ़ावा ना दें।
19. किसी की मेहनत, ईमानदारी, सच्चाई वा सादगी का पीठ पीछे भी मजाक ना बनाना, क्योंकि वो राष्ट्र की धरोहर है, भले ही आप पसंद ना करें।
20. वैमनस्यता के साथ कभी खड़े ना हो, जीवन प्रेम से तथा आपसी सहयोग से चलता हैं।
21. प्रेम , करूणा, दया, सहकार , जीवन की पहचान है, कटुता, दुश्मनी, झूठ, बेईमानी मृत्यु हैं।
22. महिला का सम्मान ही जीवनदायिनी हैं। स्त्री का अपमान पशुता है।
23. समय का एक एक क्षण कीमती हैं, इसका ध्यान रखना चाहिए।
24. युवाओं का आभूषण, मेहनत, कला, सत्य, ईमानदारी, समयनिष्ठा, ब्रह्मचर्य ही हैं।
इन सभी प्रकार के दृष्टिकोण का चिंतन करने के उपरांत ही जीवन में कोई निर्णय लेना चाहिए। अधिकतर हमारा व्यक्तित्व हमारे घर, पालन पौषण, हमारी संगत, हमारे स्वार्थ, निजी हित, हमारा कम्फर्ट, हमारी मंशा, उद्देश्य तथा एजेंडे के अनुसार ही तय होता है जो हमारे दृष्टिकोण का व्यापक हिस्सा नहीं है, ये हमारी संकीर्णता को दर्शाता है। चाहे हम किसी भी धर्म, पंथ, जाति, व्यवसाय, लिंग , रंग से ताल्लुक रखते हों, हमे अपने दृष्टिकोण को व्यापक रूप से आभूषण की तरह सजाना और संवारना चाहिए। कुछ लोगों का दृष्टिकोण केवल 15 डिग्री से उपर नही उठता, कुछ 30 डिग्री , तो कुछ केवल 45 डिग्री तक ही पहुंच पाते हैं, कुछ जो ज्यादा अभ्यास करते है वो 60 डिग्री तथा 75 डिग्री तथा 90 तक भी पहुंच जाते है, सभी युवाओं को इतना अभ्यास करना है कि दृष्टिकोण 360 डिग्री तक पहुंचे।जीवन को हर एंगल प्रदान करना ही तो अभ्यास हैं।
जीवन में दृष्टि से ज्यादा दृष्टिकोण जरूरी है क्योंकि 360 डिग्री में अगर दृष्टि घुमाएं तो हमे हर चित्र अलग अलग दिखाई देंगे, इससे हमे दुनिया दिखाई देगी। जिससे हर व्यक्ति की जरूरत, आजीविका, ईमानदारी, सच्चाई, चाटुकारिता, बेईमानी, झूठ, वैमनस्य, कटुता, लालच, स्वार्थ, परोपकार, राष्ट्रभक्ति, मेहनत, सादगी, सम्मान दिखाई देगा, उसी से हमे अपना जीवन का रास्ता तय करना चाहिए।
जय हिंद, वंदे मातरम