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बेटियों को क्यों जरूरी है आत्मरक्षा के गुर सिखना, प्रशिक्षण तथा अभ्यास कराएं

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बेटियों को क्यों जरूरी है आत्मरक्षा के गुर सिखना
mahendra india news, new delhi

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
ने अपने लेख में बताया कि देश विदेशों में आए दिन बेटियों के साथ अत्याचार, दुराचार, गलत व्यवहार और यहां तक कि बलात्कार की घटनाएं घटित होती हैं। कड़े से कड़े कानून भी बन गए, फिर भी ये घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ये दुनिया सदैव से ही कमजोर पर ही वार करती हैं, यह जंगल से लेकर और पढ़े लिखे, ज्ञानवान व्यक्तियों तक पर लागू होती हैं। 


जंगल में जो ताकतवर है वो छोटे वा कमजोर को मारता हैं, लेकिन ये तो जानवरों की बात है जिनके पास न तो कोई शिक्षा है, ना कोई संवेदना है, ना विवेक है, विश्लेषण करने की क्षमता हैं। परंतु इन सब के विपरीत इंसान एक सभ्य समाज में रहने वाला प्राणी माने जाते है, उनके पास शिक्षा है, ज्ञान है, विवेकशीलता है, भले बुरे का ज्ञान है फिर भी वो जानवरों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। अगर शारीरिक तौर पर देखें तो हम पाते है कि हमारी महिलाएं , पुरुषों से थोड़ी कमजोर है, या उनके भीतर विनम्रता, ममता, स्नेह, संवेदना , करुणा तत्व अधिक होने के कारण, वो अधिक हिंसक नही हो सकती है। अगर एक महिला सशक्त हो जाए, तो कोई भी आसानी से उस पर हाथ नही डाल सकता हैं। 

क्योंकि हमने खूब देखा है कि भले ही कोई आदमी शराब के नशे में हो, भले ही कितना भी खूंखार हो , वो अपने से शक्तिशाली के सामने खड़ा नही हो सकता है, वो अपने से शक्तिशाली व्यक्ति से बचने की कौशिश करता है, लेकिन अगर सामने कोई कमजोर खड़ा हो तो उस पर सभी हावी होने की कौशिस करते हैं। इस संसार की रीत है कि कमजोर को दबावों और मजबूत और ताकतवर के आगे झुक जाओ। इसलिए हमे अपनी बेटियों को सशक्त बनाना जरूरी हैं। इस धरती पर जो भी जीव रहते है, अगर मैं यूं कहूं कि पेड़ पौधों या खेत में खरपतवार को भी देखो तो आप पाएंगे, भारी पेड़ छोटे पेड़ों को खा जाते है, खेतो में अगर खरपतवार ज्यादा हो जाए तो असल फसल को भी दबा देते हैं। इसलिए ये धरती सशक्तो के लिए ही है। 

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हर देश में एक संविधान बना हुआ है जिसके अनुसार सिस्टम चलना चाहिए, लेकिन फिर भी पैसे से , राजनीतिक रूप से सशक्त या किसी अपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोग कमजोर को दबाने का प्रयास करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कानून मकड़ी के जाले की तरह होता है, कमजोर तो उसमे फंस जाते है लेकिन पावरफुल लोग उसे तोड़कर निकल जाते हैं। यही कुछ आमतौर पर होता है। इसलिए मेरा मानना है कि हमे अपनी बेटियों बहनों को प्रशिक्षण देकर सशक्त करने की जरूरत हैं। किसी भी बेटी का सशक्तिकरण केवल लठ चलाने से, केवल तलवार चलाने से, या किसी भी प्रकार की कम्बाट ट्रेनिंग से मजबूती नही आयेगी। हम सभी को अपनी बेटियों के सशक्तिकरण के लिए पांच तरीके अपनाने होंगे, जिन्हे हर मां बाप को जरूर करना चाहिए,

 जैसे ;
1. बेटी को बचपन से सशक्त बनने को प्रेरित करना चाहिए
2. बेटियों को खूब शिक्षित बनाएं
3. बेटियों को तर्कशीलता सिखाएं, उन्हे किसी भी प्रकार की गतिविधियों में कमजोर मत बनाओ। अगर बेटियां तर्कशील बनेगी तो उसे सही और गलत का विश्लेषण करने की क्षमता पैदा होती है।


4. हर घर में अपनी बेटियों के मन की बात सुनने की आदत डालें, ताकि बेटियां अपने मन की बात कहने की हिम्मत जुटा सकें। और उसकी बातों को दबाने की कौशीस मत करों।
5. हर बेटी को नृत्य सिखाने से पहले लठ चलाना सिखाओ, उन्हे तलवार चलाना सिखाओ, उन्हे सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दो। उन्हे चिलाना , दहाड़ना सिखाओ, उन्हे भागना सिखाओ, दौड़ना सिखाओ, उन्हे गिड़गड़ाना नही, उन्हे लडना सिखाओ, तभी वो मजबूत होगी।


ये सारी दुनियां जानती है कि बेटियों के बिना विश्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, बेटियों के बिना शांति की कल्पना भी नहीं हो सकती है, बेटियों के बिना संस्कार, स्नेह, प्रेम , करुणा, संवेदना का विचार भी नही किया जा सकता है। इसलिए बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए सभी को आगे आना चाहिए और अगर पुरुष अपनी हरकतों से बाज नहीं आते है तो फिर बेटियों को ही तलवार उठा लेनी चाहिए, बेटियों को ही लठ उठाना होगा। आप सभी ने आम घरों में देखा होगा कि एक व्यक्ति जो रोज शराब पीकर घर में आता है, वो गलियां देता है, अपनी पत्नी को पीटता है, बच्चों को पीटता है, ऐसा वो इसलिए कर पाता है क्योंकि कोई भी पत्नी उसके खिलाफ लठ नही उठती है, वो बेटियां ऐसे लोगों के विरुद्ध सशक्त नही होती है और उनके द्वारा किए गए अत्याचार को सहन करती रहती हैं, बोलती नही है, बदनामी से डरती है। अगर वो बेटी  मन , कर्म तथा वचन से सशक्त होगी तो उस शराबी व्यक्ति की हिम्मत ही नहीं होगी। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जो लोग अपराध करते है वो बहुत कमजोर होते है, अगर उनके खिलाफ लठ उठा लो , तो ऐसे लोग तुरंत भाग खड़े होते हैं। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि हम अपनी बेटियों को शिक्षा के साथ साथ लठ चलाना भी सिखाएं। उन्हे नृत्य सिखाने से पहले , उसे अपने जीवन, अपनी मान मर्यादा की रक्षा करना सिखाएं। वर्तमान कलयुग है उसमे किसी से कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती है। 

इसलिए हर बेटी को छह बाते खुद सीखनी हैं।
1. नृत्य से पहले शारीरिक वा मानसिक रूप से सशक्त बनो।
2. किसी के भी बहकावे में ना आवे।
3. मातापिता के अलावा किसी की बातों पर विश्वास न करें।
4. किसी भी पुरुष की चिकनी चुपड़ी बातों में ना आए।
5. रोज व्यायाम करों, दौड़ लगाओ, मुक्का मारना सिखों, लठ चलाना सिखों, आवाज में भय पैदा करो, विश्लेषण करने की शक्ति पैदा करने का अभ्यास करें।
6. बिना सोचे समझे किसी ऐसी जगह पर मत जाना, जहां आपको खतरा लगता है, और अगर जाना पड़े तो सशक्तिकरण के साथ जाएं, एक दूसरी बेटी का साथ देना सीखना चाहिए, ताकि कोई आपका फायदा न उठा पाए।
                 

मेरा मत है कि सभी बेटियों की आवाज इतनी सशक्त होनी चाहिए कि कोई भी उस आवाज से ही भयभीत हो जाएं। सभी बेटियों को रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर, नांगेली बाई, दुर्गा देवी, चिन्नमा मां, की तरह व्यवहार करना चाहिए। सभी बेटियों को अपने घर में ही बॉक्सिंग, कंबाट, रस्सी कूदना आदि व्यायाम करना चाहिए, जिससे जीवन खुद ही सुरक्षित हो जायेगा। किसी के आगे गिड़गिड़ाओं मत, किसी के आगे रोवो मत, किसी के आगे झुको मत, किसी की गलत बात को स्वीकार मत करों, फिर देखो सभी बेटियां , अपनी सुरक्षा खुद कर लेगी।
जय हिंद, वंदे मातरम