युवाओं को व्यवसायिक स्किल ही नहीं व्यवहारिक स्किल की भी जरूरत है, अन्यथा सब कौशल बेकार
Youth need not only professional skills but also practical skills, otherwise all skills are useless
Jul 15, 2025, 12:41 IST
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नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
जब हम युवाओं की बात करते है तो उस उम्र की चर्चा करते है जो सबसे अधिक ऊर्जा से भरी है। यह उम्र भारत में 15 से शुरू होकर 29 तक जाती है, इसी में कुछ हिस्सा किशोरावस्था का भी है, वैसे तो भारत में भले ही सरकार के अनुसार 15 से 29 वर्ष युवाओं के लिए निर्धारित एज है परंतु हमारे परिवारों में तो पालन पौषण के हिसाब से तो 25 वर्ष की आयु भी किशोरावस्था में ही शामिल होनी चाहिए। इसका कारण केवल यही है कि हमारे समाज में कभी 18 वर्ष की आयु से स्वतंत्र नहीं माना जाता है, क्योंकि हमारे मातापिता तो उन्हें बालक ही समझते है। चलो ये कोई विषय नहीं है, आज का विषय तो कौशल विकास है कि हम कैसे एक बेहतर इंसान बनें। हमारे यहां ही नहीं संपूर्ण विश्व में स्किल को केवल व्यवसाय से जोड़ कर ही देखा जाता है और युवा स्किल की बात होती है तो केवल इसे व्यवसायिक दृष्टिकोण से ही आंका जाता है। लेकिन मैं यहां इसे थोड़ा विस्तार देना चाहता हूँ, क्योंकि जीवन केवल व्यवसाय से ही नहीं चलता है। युवाओं को निश्चित रूप व्यवसायिक स्किल की जरूरत है, परंतु इसके साथ ही उन्हें व्यवहारिक स्किल की ज्यादा और पहले आवश्यकता है। हम यहां कुछ ऐसी कौशल की चर्चा करेंगे तो युवाओं के जीवन को ना केवल सफल बनाती है बल्कि जीवन को संवारती भी है, जीवन में संतुष्टि वा शांति भी आती है। व्यावहारिक स्किल में सबसे अधिक जरूरत लाइफ़ स्किल की है जो वर्तमान समय में कही खोती जा रही है, जिस हिसाब से जीवन में तीव्रता बढ़ती जा रही है, मोबाइल फोन का आगमन हुआ है, ए आई की शुरुआत हुई है, हम गुलामियत की ओर बढ़ रहे है अर्थात मशीनों पर अधिक डिपेंड हो गए है। अपना दिमाग चलाना बंद कर दिया है। हम यहां व्यवसायिक कौशल तथा व्यवहारिक स्किल पर विमर्श करेंगे। अगर हम युवा कौशल की बात करें तो उसमें युवाओं के ओवरऑल डेवलपमेंट की बात करते है, जिसमें उसके व्यक्तित्व विकास, बिहेवियरल विकास, व्यवसायिक विकास, तथा सामाजिक विकास की भी चर्चा करते है। वर्तमान समय में व्यवहारिक स्किल पर विमर्श करने की अधिक जरूरत है क्योंकि हमारे युवाओं में व्यवसायिक कौशल होने के उपरांत भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते है। बहुत जल्दी हौंसला तोड़ लेते है, बहुत जल्दी गुस्सा करते है, बहुत जल्दी धीरज गंवा देते है, बहुत जल्दी डर जाते है, बहुत जल्दी तनाव वा अवसाद में आ जाते है और बहुत ही जल्दी जीवन का अंत करने का विचार उनके मन में आ जाता है। इसे ही व्यवहार कहा जाता है कि हमारी युवा पीढ़ी किस तरह से पेश आती है। अगर कोई युवा व्यवसायिक कौशल में अव्वल दर्जे पर है परंतु व्यवहार अच्छा नहीं है तो जीवन में सफलता की कोई गारंटी नहीं है। व्यवसायिक स्किल होना एक बात है लेकिन लोगों के साथ व्यवहार अलग बात है। इसके लिए हमारे युवाओं को कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जैसे;
1. प्रभावी लिस्निंग: सबसे पहली जरूरत है कि किसी बात को सुनने के लिए एटेंशन जरूर दें।
2. स्माइल के साथ आगे बढ़े: जीवन में तनाव से बचने तथा व्यवहारिक रूप से सशक्त रहने के लिए अपना फेस स्माइलिंग रखें, जो आप को एक्स्ट्रा सशक्तिकरण देगा।
3. आधा घंटा मेडिटेशन: सभी युवाओं को अपने मन और शरीर को साधने के लिए हर दिन आधा घंटा मेडिटेशन जरूर करें, इससे मानसिक रूप से सशक्तिकरण होता है।
4. क्रोध का प्रबंधन: हर अवस्था में अपने क्रोध को सार्वजनिक ना करें, जब भी किसी प्रकार का तनाव आए तो दस बार गहरी लंबी सांस ले ताकि हमारा मस्तिष्क को ताकत मिलें।
5. अपनी श्रेष्ठता को अंहकार में ना बदले: जीवन में श्रेष्ठता का भी अहंकार हो जाता है, इसे ईश्वर का आशीर्वाद समझे और इसे एंजॉय करें, सभी की सहायता करें।
6. जीवन को सहजता से जीए: जीवन में कैसी भी परिस्थिति हो, हर युवा को उसे सामान्य ही मानना है, क्योंकि हर इंसान अपनी प्रकृति के अनुसार सत्व, रजस तथा तमस में आता रहता है, इसके प्रति जागरूक रहेंगे तो लाभ होगा। जब तमस हावी हो तो शांत रहना सीखें।
7. अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की रुचि रखें, बिना काम के अर्थ कमाने तथा मेहनत में विश्वास करना सीखें, क्योंकि ज्ञान जीवन को सुख देता है।
8. किसी के प्रति इग्नोरेंस नहीं: अगर अपने मन को शांत रखना है तो सभी के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें, किसी को इग्नोर करने की मानसिकता विकसित ना होने देना, इससे आपका ज्ञान तथा स्वीकार्यता बढ़ेगी।
9. जीवन में सहनशक्ति बढ़ाएं, कोई गलती करे तो उसे पहले समझाएं, सिखाएं, तर्कशीलता के साथ उसकी सहायता करें, उनके स्तर पर जाकर सहायता करने का विचार रखें ताकि वो अपनी मानसिक स्थिति से उभर सकें।
10. अकर्मण्यता जीवन में ना आने दे: जो युवा आलसी है, अकर्मण्य है, कार्य या मेहनत में कोई रुचि नहीं है, कुछ सीखने में रुचि नहीं है तो फिर सभी प्रकार की बुराइयों का आगमन शुरू होता है। इसलिए सदैव कर्म शील रहें।
11. वर्तमान में जीने का प्रयास करें, क्योंकि इससे मेहनत करने में लग्न रहती है।
युवाओं को जीवन के मर्म को समझने की आवश्यकता है, क्योंकि बिना जीवन के अर्थ को समझे, भौतिकता में सारा समय बर्बाद करेंगे तो सबकुछ होते हुए भी जीवन में आनंद नहीं आएगा। इसलिए हर युवा को व्यवहारिक स्किल को विकसित करने की जरूरत है। यहां व्यवसाय जितना जरूरी है व्यवहार भी उससे अधिक जरूरी है।
जय हिंद, वंदे मातरम
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