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Youth of India:दूसरों की जय से पहले खुद को विजय करे भारत के युवा नरेंद्र यादव

कई बार हम ऐसे लोगो की जय बोलते है जो आपराधिक होते हैं
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नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने कहा कि आज विषय ऐसा है जो हमारे राष्ट्र, समाज व परिवार के लिए अपरिहार्य है। जब हम राष्ट्र या सामुदायिक उत्थान की बात क रते है तो मन मे ये चिन्तन भी साथ साथ आता है कि क्या हम बिना स्वंय को नियन्त्रित किये, राष्ट्र के विकास की बात सोच सकते है। नही बिल्कुल भी नहीं क्यों कि राष्ट्र व समाज बहुत विराट रूप है, उसके उत्थान के लिए हमें एक विकसित व्यक्तित्व की ही जरूरत पड़ती है। 

जीवन भी विचित्र है
कोई भी व्यक्ति जब तक खुद को जगायेगा नहीं वो दूसरो को कैसे जगा सकता है। खुद को जब तक उठाएगा नहीं तो वो अन्य को किस तरह उठा सकेगा। जीवन भी विचित्र है और हमारी आदते वही विचित्र है। हम उस कार्य को करने की आकांक्षा करते है जिसमे हम खुद अभ्यस्त नही होते है। पहले हमें अपने को व्यवस्थित करने होगा , उसकेबाद ही तो हम दूसरे की जिम्मेवारी ले सकते है। दुसरो की जय से पहले हमें खुद को विजय करना है यानी कि खुद पर विजय पाना है, अपने मन पर विजय पाना है। लेकिन ये इतना आसान नही है कहने को तो यह बहुत आसान लगता है। 


हम सबको सुधारना चाहते है
जब हम अपने आप की बात करते है तो हमे अपने अंदर कोई दोष नजर नही आता, हमे केवल दुसरो में खामियां नजर आती है अगर कोई हमारे प्रिय जन हमारी कमी बताने की कौशिश करता है तो हम उससे झगड़ा कर लेते है। ये तो सबसे बड़ी विंडम्बना है कि हम सबको सुधारना चाहते है लेकिन स्वंय को पढऩा भी नही चाहते। जब हम कई बार किसी से पूछते है कि आप मे क्या क्या तो अच्छाइयां है एवम कौन कौन से कमियां है इनको बताओं तो लोग बगले झांकने लगते है ये उन्हें ये भी ज्ञान नही है कि हमारे अंदर क्या कमियां है व क्या क्या मेरी ताकत है। 

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जीवन मे जब हम दूसरों पर उंगली उठाते है
उन्होंने बताया कि जब हम ये ही नहीं जान पाते तो हम दूसरों के उत्थान की बाते कैसे कर लेते है। जीवन मे जब हम दूसरों पर उंगली उठाते है तो हम कभी ये नही सोंचते की हमारी कितनी कमियां है। हम सब को पहले अपने को सशक्त करने की जरुरत है। हम ज्यादातर बार यही करते है कि औरों के किये ही जीवन जीने का काम करते है, न तो हम अपने को मूल्यवान बनाते है और न  ही अपनी कीमत बढ़ाने का प्रयास करते है। हम दूसरों की जय बोलते है किसी पार्टी की जय बोलते है, किसी राजनेता की जय बोलते है, किसी बाबा व ढोंगी की जय बोलते है, कभी कभी हम दूसरों के दादा प्रदाता तक कि जय बोलते है। आपको ये जानना चाहिए कि जय केवल देश, राष्ट्र, धरती माँ अपने मातपिता की बोलनी चाहिए। 

उनका पतन हो तो राष्ट्र का कल्याण हो
कई बार हम ऐसे लोगो की जय बोलते है जो आपराधिक होते है। बहुत कम लोग ऐसे होंगे जिसने शायद ही अपने माता पिता की जय बोली हो। लेकिन इसके विपरीत हम महा पाखंडियों की जय बोलते है जिनकी जय नही , उनका पतन हो तो राष्ट्र का कल्याण हो।

उन्होंने कहा कि इस लेख के माध्यम से कहना चाह रहा हूं कि हमें, दूसरे की जय करने से पहले, खुद को विजय करना या यूं कह सकते है कि हमे खुद को काबू कटना होगा। हमे अपनी सभी इंद्रियों को नियंत्रित करना सीखना चाहिए।


अपने खुद के नियंत्रण के लिए, हम सब को मानव मूल्य पर ध्यान देने मि जरूरत है। जो निम्न प्रकार से है:--
1. ईमानदारी
2. निर्भीकता
3. स्वतंत्रता
4. विश्वास
5. टीम भावना
6. विनय
7. जिम्मेदारी
8. समय की पाबंदी
9. आत्म जागरूकता
10. परिश्रम
11. आत्म संतुष्टि

वास्तव में दूसरे को प्रेरणा देने वाला बन जाता है
ये नौ जीवन मूल्य, किसी भी व्यक्ति का मूल्य बढ़ा देता है, किसी भी इंसान में वैल्यू एडिसन करते है। और ये  किसी भी व्यक्ति को आम से खास बनाने का काम करती है। जब एक नागरिक में ये 11 मानव मूल्य विधमान होते है, वो वास्तव में दूसरे को प्रेरणा देने वाला बन जाता है, वो दुसरो की जय करने वाला बन जाता है, वो दुसरो का कल्याण करने वाला बन जाता है, वो खुद की विजय के साथ साथ दुसरो की जय करने लायक बन जाता है। और खुद की इंद्रियों का विग्रह कर उन पर नियंत्रण करने में सक्षम होता है। अब मैं आपके साथ ग्यारह जीवन मूल्यों को कैसे अपने जीवन मे उतारे और कैसे अभ्यास करें। 

इसकी चर्चा कर रहे है:-
1. ईमानदारी : 
ईमानदारी की जीवन मे उतारने के लिए किसी भी इंसान को दो अवगुणों पर काम करने की आवश्यकता होती है, पहली मोह का त्याग करना , दूसरा स्वार्थ से निस्वार्थ बनना। इस तरह से हम काफी हद तक ईमानदारी को जी सकते है।

2. निर्भीकता:-- निर्भीकता के लिए तीन गुण आवश्यक है, पहला गुण है मेहनत, दूसरा गुण है ईमानदारी का जीवन मे उतरना, और तीसरा गुण है लोभ लालच से छुटकारा। अगर ये तत्व किसी के भी जीवन मे आते है तो निर्भयता उतपन्न होती है।

3 . स्वतंत्रता:-- स्वतंत्रता के अभ्यास के लिए एक इंसान को दो बातों से छुटकारा पाने की जरूरत है, पहला शारीरिक और मानसिक गुलामी, दूसरा आत्म स्वाभिमान को जगाना। तभी कोइ व्यक्ति जीवन मे स्वतंत्रता का आनंद ले सकता है।

4. विश्वास:-- अपने नाम के साथ विश्वसनीयता जोड़ने के किये अपने जीवन मे तीन गुणों को उतारने के लिए कुछ अभ्यास करने पड़ते है, पहला अभ्यास मन, कर्म, वचन की रूपता का, दूसरा अभ्यास समय की पाबन्दी का , तीसरा अभ्यास ईमानदारी का, तभी जाकर किसी के नाम के साथ ट्रस्ट वरथी जुड़ता है। और ये समंझ लो कि ये सबसे बड़ा टैग होता है।


5.टीम भावना:- इसके लिए सहअस्तित्व की भावना  दिल के अंदर जगानी पड़ती है।

6. विनय :-- विनय को जीवन मे उतारने के लिए सभी प्रकार के अहंकार चाहे वो ज्ञान का हो, चाहे धन का हो , चाहे वो संसाधनों का हो, को जीवन मे छोड़ना पड़ता है। तब जाकर जीवन मे विनम्रता का आगमन होता है।

7. जिम्मेदारी:-- जीवन मे अगर  जिम्मेवार बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को अभ्यास करना है तो पहल, कार्य पूरा करने की नीयत, किसी भी काम को करने का विश्वास दिलाने के बाद ही , आप जिम्मेदार कहलायेंगे।


8. समय की पाबंदी:-- इस खासियत को जीवन मे उतारने के लिए हमे समय के एक एक पल का महत्व समझने की जरूरत होती है।


9. आत्म जागरूकता:-- आत्म जागरूकता के लिए तीन अभ्यास करने की आवश्यकता है, पहला स्वाध्याय, दूसरा ध्यान योग व प्राणायम करना, तीसरा अपने प्रति, परिवार के प्रति, समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति संवेदनशील होना।

10. परिश्रम :-- जीवन मे अगर कोई भी व्यक्ति मेहनत को जगह देना चाहते है तो तीन अभ्यास करने पड़ेगे, पहला कर्म के महत्व समझना, दूसरा कार्य करने में रुचि लेना, तीसरा कर्म फल के महत्व को समझना।

11. आत्म संतुष्टि :-- आत्म संतुष्टि उन लोगो को नसीब होती है जो हर स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार हो , जिसमे हर हाल में खुश रहना आता हो, जो हीन भावना को अपने ऊपर हावी नही होने देता।

हमें अपने को देश सेवा में लगाना है या राष्ट्र भक्ति में लगाना है तो हमे पहले अपने को विजय करना पड़ेगा, अपनी इच्छाओं पर विजय प्राप्त करना होगा, हमे इंद्रियों को जीतना होगा तभी हम दूसरों की जय कर सकते है। इसलिए सही कहा है कि हर युवा को, दूसरे जय करने से पहले खुद विजय करना आना चाहिए। 
डा. नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र हिसार हरियाणा