मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार एडवोकेट बलजीत सिंह ने एसवाईएल पर लिखी पुस्तक भेंट की

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Senior Haryana journalist Advocate Baljit Singh presented a book written on SYL to Chief Minister Naib Singh Saini
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार एडवोकेट बलजीत सिंह द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर लिखी गई पुस्तक की प्रति हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को आज भेंट की। इस दौरान एडवोकेट बलजीत सिंह द्वारा लिखी पुस्तक के विमोचन बारे में भी विचार विमर्श मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से किया। मुख्यमंत्री ने जल्द ही पुस्तक का विमोचन करने की बात कही। बता दें कि हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार एडवोकेट बलजीत सिंह ने एसवाईएल पर लिखी पुस्तक में एसवाईएल पर अभी तक हुए पूरे घटनाक्रम को बताया गया है। इस पुस्तक में हर पहलू पर चर्चा की गई है।

 नशे के खिलाफ अभियान की जानकारी ली सीएम ने 
इस अवसर पर सुनील अरोड़ा, जेजी न्यूज के संचालक संसार भूषण दिवाकर एवं युवराज सिंह ने भी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की जेजी न्यूज के द्वारा डिजिटल प्रचार वाहन के माध्यम से चलाए जा रहे नशे के खिलाफ अभियान की भी हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जानकारी ली और कहा कि यह लड़ाई सब की है और समाज में हर एक व्यक्ति को नशे को जड़ से खत्म करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी वहीं उन्होंने बताया कि हरियाणा में 5 अप्रैल से 27 अप्रैल तक नशा मुक्ति अभियान के तहत साइक्लोथॉन 2.0 का आयोजन किया जा रहा है यह राज्य स्तरीय पहल 5 अप्रैल को हिसार में शुरू होगी और 27 अप्रैल को सिरसा में समाप्त होगी।


सरकारें आती जाती रहीं, पर SYL सूखी 
एडवोकेट बलजीत सिंह ने बताया कि करीब छह दशक से पंजाब और हरियाणा के बीच चले आ रहे सतलुज यमुना लिंक नहर (SYL) विवाद का अब तक हल नहीं निकल सका है। हरियाणा सरकार के अनुसार, समझौते के तहत यदि प्रदेश को पानी मिलता तो करीब 10.08 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकती थी। यह जमीन करीब 42 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन करती। इस अनाज के नहीं होने से दक्षिण हरियाणा के धरतीपुत्रों को सालाना 19 हजार 500 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है। मंत्री पानी देने से साफ मना कर चुके हैं।

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क्या है एसवाईएल विवाद
हरियाणा के गठन के बाद से ही एसवाईएल का विवाद शुरू हो गया था। समझौते के तहत ब्यास और रावी में बहने वाले 4.22 मिलियन एकड़ फीट(MAF) पानी पंजाब को, 3.5 एमएएफ हरियाणा को और 8.6 एमएएफ राजस्थान को देना तय हुआ। इसके बाद हरियाणा में चौधरी देवीलाल ने नहर बनाने का कार्य शुरू करवाया। 1980 में नहर खोदने का काम पूरा भी कर लिया गया। पंजाब ने नहर बनाने का कार्य 1982 में शुरू किया मगर शिरोमणि अकाली दल के विरोध की वजह से इसे रोक लिया गया। 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने शिअद प्रमुख हरचंद सिंह लोंगोवाल के साथ समझौता कर पानी के बंटवारे को लेकर नया ट्रिब्यूनल स्थापित करने पर सहमति बनाई। इस समझौते के एक माह बाद ही आतंकियों ने लोगोंवाल का मर्डर कर दिया। 1988 में मजत गांव के पास परियोजना पर कार्य कर रहे 30 मजदूरों का मर्डर कर दिया गया। 1990 में आतंकवादियों ने चीफ इंजीनियर एमएल सेखरी और अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख को भी मार डाला। 1996 में हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।